तीन युद्धों में उपयोग हो चुकी Indian Air Force की हवाई पट्टी को पंजाब में मां-बेटे ने बेच डाला

Share Politics Wala News

बंटी- बबली को भी छोड़ दिया पीछे, देश की सुरक्षा की कोई परवाह नहीं

#politicswala report

Indian Air Force’s runway was sold fraudulently-आपने धोखाधड़ी के कई बड़े किस्से सुने होंगे।

कई बार धोखाधड़ी के तरीकों को सुनकर आपको आश्चर्य भी हुआ होगा लेकिन अब एक ऐसा मामला सामने आया है

जिसने धोखाधड़ी के अब तक के सभी कारनामों को पीछे छोड़ दिया है।

दरअसल मामला यह है कि पंजाब के फिरोजपुर में एक मां और बेटे ने मिलकर

द्वितीय विश्व युद्ध के समय का एक हवाई पट्टी को ही बेच डाला।

AI Image

इस हवाई पट्टी का भारतीय वायुसेना ने 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान अग्रिम लैंडिंग ग्राउंड के रूप में इस्तेमाल किया था।

बताया जा रहा है कि 1997 में एक मां और बेटे ने कुछ राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से इसे बेच दिया।

यह मामला 28 साल बाद सामने आया है तो आरोपी उषा अंसल और उनके बेटे नवीन चंद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

तीन युद्धों में उपयोग हो चुकी Indian Air Force की हवाई पट्टी को पंजाब में मां-बेटे ने बेच डाला

जाँच के बाद मामला दर्ज

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख निदेशक को इस मामले की जांच का आदेश दिया था।

20 जून को दाखिल हुई जांच रिपोर्ट के आधार पर FIR दर्ज की गई है।

मामला भारतीय दंड संहिता की धाराओं 419 (भेष बदलकर धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति प्राप्त करना),

465 (जालसाजी), 467 (मूल्यवान दस्तावेजों, वसीयत आदि की जालसाजी), 471 (नकली दस्तावेज को असली बताकर इस्तेमाल करना)

और 120B (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज किया गया है।

रक्षा मंत्रालय को फिर सौंपा

यह हवाई पट्टी फत्तूवाला गांव में स्थित है, जो पाकिस्तान की सीमा के बहुत करीब है।

मई 2025 में उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही यह ज़मीन रक्षा मंत्रालय को वापस सौंपी जा सकी है।

विजिलेंस जांच में पुष्टि हुई है कि यह ज़मीन भारतीय वायुसेना की है।

इसे 12 मार्च 1945 को ब्रिटिश शासन द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के उपयोग हेतु अधिग्रहित किया गया था

यह तीन युद्धों में उपयोग की गई।

जांच के अनुसार, आरोपी उषा और नवीन (गांव डूमनी वाला निवासी) ने धोखे से इस ज़मीन पर अपना स्वामित्व जताया

फिर कुछ राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से रिकॉर्ड में हेराफेरी कर इसे बेच दिया।

वर्षों तक कार्रवाई नहीं

इस मामले में मूल शिकायत एक सेवानिवृत्त राजस्व अधिकारी निशान सिंह द्वारा की गई थी।

वर्षों तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

2021 में हलवारा एयरफोर्स स्टेशन के कमांडेंट ने फिरोज़पुर के उपायुक्त को पत्र लिखकर जांच की मांग की।

कोई कार्रवाई नहीं होने पर निशान सिंह ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर न्यायिक जांच की मांग की थी।

याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि ज़मीन के मूल मालिक मदन मोहन लाल का निधन 1991 में हो गया था।

बिक्री के दस्तावेज 1997 में बनाए गए और 2009-10 की जमाबंदी में सुरजीत कौर, मनजीत कौर, मुख्तियार सिंह, जगीर सिंह, दारा सिंह, रमेश कांत और राकेश कांत को ज़मीन का मालिक दिखाया

गया, जबकि सैन्य विभाग ने उन्हें कभी ज़मीन हस्तांतरित नहीं की थी।

सुरक्षा के लिए खतरा

उच्च न्यायालय ने फिरोज़पुर के उपायुक्त को निष्क्रियता के लिए फटकार लगाई।

इस ज़मीन घोटाले को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरा बताया।

न्यायमूर्ति हरजीत सिंह बराड़ ने अपने आदेश में पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के प्रमुख निदेशक को

आरोपों की सच्चाई की व्यक्तिगत रूप से जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

जांच को चार सप्ताह के भीतर पूरा करने का आदेश दिया गया था।

अब जब जांच रिपोर्ट सामने आई तो पूरा सच सामने आया और वायुसेना को उसकी जमीन वापस मिल सकी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *