Sharbat Jihad Controversy: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को योगगुरु बाबा रामदेव द्वारा दिए गए ‘शरबत जिहाद’ बयान पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह बयान न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि माफी के लायक भी नहीं है।
अदालत ने कहा कि यह टिप्पणी अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देने वाली है।
इस पर पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वे ऐसे सभी वीडियो हटा लेंगे, जिनमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली बातें कही गई हैं।
लव जिहाद, वोट जिहाद, शरबत जिहाद…
दरअसल, 3 अप्रैल को बाबा रामदेव ने पतंजलि के नए शरबत उत्पाद के प्रचार के दौरान एक वीडियो में कहा था कि, एक कंपनी शरबत बनाती है और उससे जो पैसा मिलता है, उससे मदरसे और मस्जिदें बनती हैं।
अगर आप पतंजलि का शरबत पिएंगे, तो गुरुकुल बनेंगे, आचार्य कुलम बनेगा। पतंजलि विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षा बोर्ड आगे बढ़ेगा।
रामदेव ने इसके बाद 12 अप्रैल को एक और वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने कहा, मैंने शरबत जिहाद कहा तो सबको मिर्ची लग गई। अरे मैंने क्या कहा गलत?
जैसे लव जिहाद, लैंड जिहाद, वोट जिहाद चल रहा है। वैसे ही अब शरबत जिहाद भी चल रहा है। मैं ये नहीं कह रहा कि वो आतंकवादी हैं, पर उनकी निष्ठा इस्लाम के प्रति है।
योग जिहाद, गुरु जिहाद, पतंजलि जिहाद…
इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने पलटवार किया।
उन्होंने कहा कि अगर रामदेव को ‘जिहाद’ शब्द से इतनी मोहब्बत हो गई है, तो लोग उनके प्रचार को भी ‘योग जिहाद’, ‘गुरु जिहाद’ या ‘पतंजलि जिहाद’ कह सकते हैं।
रामदेव अपने शरबत का प्रचार करें, लेकिन हमदर्द जैसी कंपनियों पर धार्मिक आधार पर टिप्पणी करना अनुचित है।
रामदेव बिना किसी दूसरे प्रोडक्ट की बुराई के पतंजलि का सामान बेच सकते हैं, लेकिन उनका यह बयान बुराई करने से आगे निकल गया है।
रूह अफजा भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है। हमदर्द जैसी प्रतिष्ठित कंपनी आजादी से पहले से ही देश में सेवा कर रही है। उसकी पहचान, उसकी गुणवत्तापूर्ण यूनानी, आयुर्वेदिक दवाओं और शरबतों से है।
हमदर्द ने दायर की हाईकोर्ट में याचिका
बाबा रामदेव की इस टिप्पणी को लेकर रूह अफजा शरबत बनाने वाली प्रतिष्ठित कंपनी हमदर्द ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
हमदर्द की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील दी कि यह बयान धार्मिक आधार पर कंपनी की छवि खराब करने वाला है और नफरत फैलाने वाला है।
उन्होंने इसे हेट स्पीच की श्रेणी में रखा और कहा कि रामदेव जैसे प्रसिद्ध व्यक्ति को बिना किसी की छवि बिगाड़े भी अपना उत्पाद बेचना आता है।
उन्होंने कहा कि यह सामान्य प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि धार्मिक उन्माद फैलाने का प्रयास है।
सभी विवादित वीडियो को हटाएगा पतंजलि
बाबा रामदेव की ओर से अधिवक्ता राजीव नायर ने कोर्ट को बताया कि पतंजलि सभी विवादित वीडियो हटा देगा।
इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि रामदेव को एक हलफनामा दाखिल करना होगा, जिसमें यह वादा हो कि वे भविष्य में इस तरह की धार्मिक टिप्पणी नहीं करेंगे।
साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी बातों को अपने तक सीमित रखें और सार्वजनिक रूप से न कहें।
बता दें इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन और ऐलोपैथिक दवाओं के खिलाफ बयानबाजी को लेकर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को लोगों से माफी मांगने का आदेश दिया था।
उन्होंने कहा कि रामदेव का यह रुख लगातार समाज में भ्रम फैलाने और धार्मिक ध्रुवीकरण की दिशा में जाता है।
पहले दवाखाना थी रूह अफजा शरबत कंपनी
यूपी के पीलीभीत में जन्मे यूनानी हकीम हफीज अब्दुल मजीद ने रूह अफजा शरबत कंपनी की शुरुआत की।
दिल्ली के लाल कुआं बाजार में उनका एक छोटा-सा हमदर्द दवाखाना हुआ करता था, जहां वह मरीजों को देखते थे।
साल 1907 में दिल्ली के लोग भीषण गर्मी और लू से त्रस्त थे, तभी हकीम हफीज ने गाढ़े लाल रंग का सिरप तैयार किया।
इसका नाम रूह अफजा रखा गया, जिसका मतलब था रूह को ताजगी देने वाला।
रूह अफजा की मांग बढ़ने के साथ कंपनी बड़ी होती चली गई।
साल 1922 में हकीम मजीद का देहांत हो गया और कंपनी की बागडोर उनके बेटों के हाथों में आ गई।
बंटवारे के बाद साल 1948 में छोटे बेटे मोहम्मद सईद पाकिस्तान शिफ्ट हो गए और कंपनी वहां भी धीरे-धीरे बड़ा नाम बन गई।
दूसरी तरफ भारत में मूल कंपनी की कमान बड़े बेटे अब्दुल हमीद संभाल रहे थे।
सिर्फ रूह अफजा से होती है 300 करोड़ की कमाई
रूह अफजा प्रोडक्ट हमदर्द लेबोरेट्रीज कंपनी के अंडर में है और ये भारत, पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश में भी बनता है।
100 साल से भी ज्यादा पुरानी हो चुकी कंपनी का बिजनेस आज 25 से ज्यादा देशों में है और इसके 600 से ज्यादा प्रोडक्ट्स हैं।
पिछले कुछ सालों में एनर्जी ड्रिंक्स से लेकर मिल्कशेक, लस्सी, नारियल पानी, ग्लूकोस-डी, तेल, शहद जैसे कई प्रोडक्ट कंपनी लॉन्च कर चुकी है।
कंपनी ने खुद बताया है कि हमदर्द इंडिया का वार्षिक कारोबार लगभग 600 करोड़ रुपये का है।
वहीं, साल 2020 में अकेले रूह अफजा से 317 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हुई थी।
कंपनी मुनाफे का करीब 85 फीसदी हिस्सा समाजसेवी संस्था हमदर्द नेशनल फाउंडेशन को देती है, जिसकी स्थापना 1964 में हकीम अब्दुल मजीद ने ही की थी।
हालांकि, इससे भी पहले 1948 में हमदर्द कंपनी ने खुद को वक्फ यानी एक चैरिटेबल ट्रस्ट में बदल दिया था।
तभी से कंपनी अपने मुनाफे का ज्यादातर हिस्सा मुस्लिम समाज में शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में करने लगी।
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