Amant Bansal Political Debut

Amant Bansal Political Debut

सियासत में अमानत! क्या शिवराज की बड़ी बहुरिया संभालेगी राजनीतिक विरासत ?

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Amant Bansal Political Debut: क्या शिवराज सिंह चौहान को उनका उत्तराधिकारी मिल गया है ? क्या बड़े बेटे की जगह बड़ी बहू विरासत संभालेगी ? इस तरह की चर्चाएं मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में खूब हो रही है और इसकी वजह है अमानत बंसल की राजनीति में एंट्री

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की बड़ी बहू की पॉलिटिक्ल लॉन्चिंग ने कई संभावनाओं को जन्म दे दिया है। भले ही कुछ लोगों के लिए यह केवल एक सामाजिक मंच से दिया गया अमानत का पहला भाषण हो सकता है, लेकिन कुछ और भी लोग हैं जिनके लिए इसके सियासी मायने काफी गहरे हैं।

राजनीति की पिच पर अमानत की पहली पारी

मध्यप्रदेश की राजनीति में एक नया चेहरा तेजी से उभरता नजर आ रहा है और वो है एक महीने पहले ही शिवराज फैमिली की बहू बनी अमानत बंसल का। लंबे समय तक एमपी की सत्ता संभाल चुके बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शुमार शिवराज सिंह चौहान की बड़ी बहू की हाल ही में पॉलिटिक्ल लॉन्चिंग हुई और डेब्यू में ही अमानत ने मंच से तगड़ा भाषण दिया। इसके अलावा सियासी मैदान में अमानत को देखकर कई तरह की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं।

Amanat Bansal In Politics
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बता दें कि अमानत बंसल सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट के अंतर्गत भेरूंदा गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में नजर आई थी। यह वही विधानसभा क्षेत्र है, जिसे शिवराज सिंह चौहान ने 2006 से अब तक अपने राजनीतिक गढ़ के रूप में संभाला है। अब जब शिवराज केंद्र की राजनीति में जा चुके हैं और बेटे कार्तिकेय को टिकट नहीं मिला, ऐसे में अमानत की यहां पर मौजूदगी ने यह साफ कर दिया है कि अब परिवार की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए उन्हें आगे लाया जा रहा है।

Amanat Bansal In Politics
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कार्तिकेय को टिकट नहीं, अमानत को नई उम्मीद

शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय चौहान ने पिछले कुछ वर्षों में बुधनी में काफी सक्रियता दिखाई है। लेकिन जब पिता के इस्तीफे के बाद वहां से उपचुनाव की संभावना बनी, तब पार्टी हाईकमान ने उन्हें टिकट नहीं दिया। यह निर्णय अंदरखाने कई चर्चाओं का कारण बना। अब कार्तिकेय की पत्नी अमानत को आगे लाकर साफ किया जा रहा है कि यह परिवार राजनीति से दूर नहीं रहेगा, बल्कि नए फॉर्मेट में लौटेगा।

Amanat Bansal In Politics
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गौर करने वाली बात है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के पहले 33% महिला आरक्षण का समर्थन किया और उसे लागू करने की दिशा में वचनबद्धता दिखाई है। ऐसे में अमानत बंसल का राजनीति में आना पार्टी की रणनीतिक दिशा के अनुरूप भी है। भाजपा अब सिर्फ परंपरागत चेहरों पर निर्भर नहीं रहना चाहती, बल्कि नए पढ़े-लिखे और प्रभावशाली चेहरों को सामने ला रही है, विशेषकर महिला नेतृत्व को

Amanat Bansal In Politics
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अंदरखाने चल रही शिवराज के उत्तराधिकारी की तलाश

भाजपा और खासकर मध्यप्रदेश की राजनीति में शिवराज सिंह चौहान की जगह लेना आसान नहीं है। वे चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और करीब 16.5 साल तक राज्य की सत्ता संभाली है। उनकी छवि “मामा” के रूप में घर-घर में बनी है। अब जब वह राष्ट्रीय राजनीति में व्यस्त हैं, तो स्वाभाविक है कि राज्य में उनकी विरासत को कोई विश्वसनीय चेहरा संभाले।

Amanat Bansal In Politics
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कार्तिकेय की तुलना में अमानत का आना इस जिम्मेदारी के लिए एक नया विकल्प बन सकता है। राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज है कि अमानत बंसल को सियासी तौर पर तैयार किया जा रहा है। उनका भाषण आत्मविश्वास से भरा हुआ था, जिसमें जनता से सीधे जुड़ने की कोशिश की गई। यह कोई औपचारिक परिचय भर नहीं था, बल्कि एक स्पष्ट संकेत था कि वह राजनीति को गंभीरता से ले रही हैं और आगे की तैयारी में हैं।

Amanat Bansal In Politics
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अमानत बंसल की सियासी लॉन्चिंग के कई मायने

चर्चा होने लगी है कि भाजपा अमानत बंसल को महिला मोर्चा, संगठनात्मक पद या सीधे चुनावी मैदान में उतार सकती है। उनकी स्कूली शिक्षा, भाषा पर पकड़ और जनसंपर्क में सहजता उन्हें राजनीति में उपयोगी बना सकती है। शिवराज सिंह की लोकप्रियता और उनकी विरासत का फायदा भी अमानत को स्वाभाविक रूप से मिलेगा

Amanat Bansal In Politics
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अमानत बंसल की सियासी लॉन्चिंग सिर्फ एक बहू का परिचय नहीं है, बल्कि यह भाजपा की नई पीढ़ी की तैयारियों का हिस्सा है। यह एक संकेत है कि पार्टी अब पारंपरिक राजनीति से आगे बढ़ते हुए महिला नेतृत्व और परिवारिक विरासत को मिलाकर एक संतुलित भविष्य की तैयारी कर रही है। राजनीतिक जानकारों का तो यह तक कहना है कि आने वाले दिनों में अमानत का नाम मध्यप्रदेश की राजनीति में एक स्थायी चेहरा बन सकता है।

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