Waqf Bill Protest

Waqf Bill Protest

वक्फ बिल के विरोध में देशभर में सड़कों पर उतरे लोग, अहमदाबाद में 50 लोग पुलिस हिरासत में

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Waqf Bill Protest: संसद से वक्फ संशोधन बिल पारित होने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। शुक्रवार की नमाज़ के बाद अहमदाबाद, रांची, कोलकाता, बिहार और अन्य राज्यों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सड़कों पर उतरकर इस कानून के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर की। विरोध प्रदर्शन के बीच कई शहरों में तनाव का माहौल बन गया, जिसके चलते यूपी समेत कई राज्यों में पुलिस प्रशासन अलर्ट मोड पर आ गया है।

अहमदाबाद में 50 से ज्यादा लोग हिरासत में

गुजरात के अहमदाबाद में शुक्रवार की नमाज़ के बाद वक्फ बिल के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुआ। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने इकट्ठा होकर इस कानून को “अधिकारों पर हमला” बताया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर सख्ती दिखाते हुए 50 से ज्यादा लोगों को हिरासत में ले लिया। प्रदर्शन के दौरान माहौल तनावपूर्ण रहा, लेकिन पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में रखा।

कोलकाता में ‘वक्फ बिल वापस लो’ के नारे

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में भी इस बिल के खिलाफ लोगों का आक्रोश सड़कों पर दिखाप्रदर्शनकारियों ने ‘वक्फ बिल वापस लो’ के नारे लगाए और सरकार के फैसले को अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताया। स्थानीय प्रशासन ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए थे।

रांची में एकरा मस्जिद के बाहर विरोध

झारखंड की राजधानी रांची में शुक्रवार की नमाज़ के बाद एकरा मस्जिद के बाहर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर वक्फ संशोधन बिल में किए गए बदलावों को अपने धार्मिक और सामाजिक अधिकारों पर हमला बताया। उनका कहना था कि यह कानून अल्पसंख्यक समुदाय की वक्फ संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास है।

बिहार में भी विरोध, नेताओं के खिलाफ नारेबाज़ी

बिहार के जमुई जिले में रज़ा नगर गौसिया मस्जिद के बाहर जुमे की नमाज़ के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इकट्ठा होकर वक्फ बिल का विरोध किया। प्रदर्शन के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की गई। प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा चुनाव में इन नेताओं को सबक सिखाने की चेतावनी भी दी।

उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट, 61 हॉटस्पॉट चिन्हित

उत्तर प्रदेश में वक्फ बिल को लेकर तनाव की आशंका के चलते लखनऊ समेत कई जिलों में पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है। राजधानी लखनऊ में 61 संवेदनशील हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं, जहां ड्रोन कैमरे और CCTV से निगरानी की जा रही है। टीले वाली मस्जिद, बड़ा इमामबाड़ा, ऐशबाग ईदगाह जैसे इलाकों में सुरक्षा के विशेष इंतज़ाम किए गए हैं।

यूपी पुलिस ने सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है। पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा

नागपुर में पुलिस की एडवाइजरी, सोशल मीडिया पर निगरानी

महाराष्ट्र के नागपुर में भी पुलिस सतर्क है। संसद से वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद किसी भी प्रकार की हिंसक गतिविधि को रोकने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। पुलिस ने चेतावनी दी है कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ या हिंसक वीडियो पोस्ट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

राज्यसभा से बिल पास, विपक्ष ने दी सुप्रीम कोर्ट जाने की चेतावनी

गुरुवार देर रात 12 घंटे से ज्यादा लंबी चर्चा के बाद वक्फ संशोधन बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। बिल के पक्ष में 128 वोट पड़े जबकि 95 सांसदों ने इसका विरोध किया। इससे पहले बुधवार को यह बिल लोकसभा में पारित किया गया था। लोकसभा में भी विधेयक पर 12 घंटे की चर्चा के बाद रात 2 बजे हुई वोटिंग में 520 सांसदों ने भाग लिया, जिसमें 288 ने समर्थन में और 232 ने विरोध में मतदान किया।

अब यह राष्ट्रपति की मंज़ूरी के बाद कानून का रूप लेगाप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिल को “बड़ा सुधार” बताते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, साथ ही गरीब और पिछड़े मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा होगी।

विपक्ष का विरोध, कांग्रेस और DMK सुप्रीम कोर्ट जाएंगी

हालांकि, विपक्षी दलों ने इस बिल को पूरी तरह खारिज कर दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ऐलान किया कि पार्टी इस बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगीDMK पहले ही सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह चुकी हैकांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में कहा कि विपक्ष के सभी दल इस बिल के खिलाफ हैं और इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन मानते हैं।

वक्फ संशोधन बिल को लेकर राजनीतिक और सामाजिक तनाव

बहरहाल वक्फ संशोधन बिल को लेकर देश में राजनीतिक और सामाजिक तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। जहां केंद्र सरकार इसे सुधारात्मक कदम बता रही है, वहीं अल्पसंख्यक समुदाय और विपक्षी दल इसे संविधान और अधिकारों के खिलाफ मान रहे हैं। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति की मंज़ूरी पर टिकी हैं, जो आने वाले समय में इस विवाद को नई दिशा देंगे।

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