Waqf Amendment Bill in Parliament: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। किरेन रिजिजू मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 को निरस्त करने वाले विधेयक पर विचार करने का भी प्रस्ताव रखेंगे।
TDP और JDU ने बिल को समर्थन देने की घोषणा की है, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष बिल के विरोध में है। स्पीकर ओम बिरला ने बिल पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय तय किया है, इसमें से NDA को 4 घंटे 40 मिनट दिए गए हैं, बाकी वक्त विपक्ष को मिलेगा।
इधर मुसलमानों की प्रतिनिधि संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड वक्फ (संशोधन) विधेयक को अदालत में चुनौती देगा, AIMPLB का दावा है कि यह काला कानून मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों को जब्त करने का एक प्रयास है।
इस बीच उत्तरप्रदेश में अलर्ट जारी कर पुलिस की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं, वहीं, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मुस्लिम महिलाएं बिल के समर्थन में उतरीं और पीएम नरेंद्र मोदी का शुक्रिया जताया
इससे पहले बिल को पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन भारी विरोध के बाद इसे संयुक्त संसदीय कमेटी को भेज दिया गया, जिसमें अलग-अलग दलों के तकरीबन 31 सांसद थे। दरअसल, केंद्र सरकार दशकों पुराने वक़्फ़ क़ानून को बदलना चाहती है, दावा ये किया गया है कि ये नया बिल वक़्फ़ की संपत्तियों के बेहतर इस्तेमाल के लिए है।
UPA ने 123 प्रॉपर्टी दीं, संसद की बिल्डिंग को भी वक्फ ने क्लेम किया
केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कहा कि इस बिल के लिए कई लीगल एक्सपर्ट, कम्युनिटी लीडर्स, धार्मिक लीडर्स सहित 284 डेलीगेशन ने कमेटी के सामने अपने सुझाव रखे।
97 लाख 27 हजार के करीब याचिकाएं आईं, ये सुझाव, एप्लीकेशन और मेमोरेंडम के रूप में थीं, कभी भी इससे ज्यादा संख्या में किसी बिल पर लोगों की याचिकाएं नहीं आईं।
वक्फ के पास तीसरा सबसे बड़ा लैंड बैंक है। रेलवे, मिलिट्री की जमीन हैं, ये सब देश की प्रॉपर्टी है। वक्फ की संपत्ति, प्राइवेट प्रॉपर्टी है। दुनिया में सबसे ज्यादा वक्फ प्रॉपर्टी हमारे देश में है।
2006 में 4.9 लाख वक्फ प्रॉपर्टी थी, इनकी टोटल इनकम 163 करोड़ रुपये थी। 2013 में बदलाव करने के बाद जो इनकम बढ़कर 166 करोड़ हुई।
8.72 लाख वक्फ प्रॉपर्टी इस वक्त देश में है। इसका अगर हम सही से इस्तेमाल करें तो मुसलमान ही नहीं, देश की तकदीर बदल जाएगी।
2014 में हम सब चुनाव में थे, उससे पहले 2013 में एक बिल पास हुआ। दिल्ली की कई प्रॉपर्टी पर वक्फ ने दावा किया, इसमें पार्लियामेंट बिल्डिंग भी थी। यूपीए सरकार ने 123 प्रॉपर्टी वक्फ को दे दी थी। अगर आज ये संशोधन नहीं लाया जाता, तो संसद की इमारत को भी क्लेम किया जा रहा था।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट पहली बार बना, उस समय स्टेट वक्फ बोर्ड का भी प्रावधान किया गया था। कई संशोधनों के बाद 1995 में वक्फ एक्ट बना, तब किसी ने नहीं कहा कि ये गैरसंवैधानिक है।
आजादी से पहले पहली बार बिल पास किया गया था, इससे पहले वक्फ को इनवैलिडेट (अवैध करार) किया था। 1923 में मुसलमान वक्फ एक्ट लाया गया था, ट्रांसपेरेंसी और एकाउंटिबिलिटी का आधार देते हुए एक्ट पारित भी हुआ था।
वक्फ बिल को TDP और JDU का समर्थन
चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बिल को समर्थन देने की घोषणा की है, दोनों पार्टियों ने अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप भी जारी किया है।
वक्फ संशोधन बिल के मुद्दे पर जनसेना पार्टी ने भी सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया है। बता दं आंध्र प्रदेश में TDP, जनसेना पार्टी और BJP ने मिलकर सरकार बनाई है। जनसेना पार्टी के पवन कल्याण आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम हैं।
इसके अलावा नीतीश कुमार की JDU और चंद्रबाबू नायडू की TDP ने बिल पर 3 सुझाव दिए थे, जिन्हें सरकार ने मान लिया है।
JDU-TDP के दिए सुझाव –
- कानून को पिछली तारीख से लागू नहीं करना चाहिए।
- पुरानी मस्जिद, दरगाह या दूसरे मुस्लिम धार्मिक स्थान से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
- जमीन राज्यों का विषय है, जमीन पर राज्यों की भी स्पष्ट राय ली जाए।
बिल के विरोध में विपक्ष, काले कपड़े पहनकर पहुंचे संसद
कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां वक्फ संशोधन बिल का विरोध कर रही हैं। तमिलनाडु की AIADMK, नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BJP) और के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति जैसी न्यूट्रल पार्टियां विपक्ष के साथ हैं।
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचे, इसके साथ वे एक तख्ती लिए हुए थे जिस पर लिखा था- रिजेक्ट वक्फ बिल।
बीते दिन I.N.D.I.A ब्लॉक के दलों ने संसद भवन में बैठक करके बिल पर अपनी रणनीति को लेकर चर्चा की। विपक्ष ने चर्चा का समय बढ़ाकर 12 घंटे करने की मांग भी की है।
इस पर किरेन रिजिजू ने कहा विपक्ष तर्क के साथ इसका विरोध करें, चर्चा का समय बढ़ाया जा सकता है. देश भी जानना चाहता है कि किस पार्टी का क्या स्टैंड है।
जानें वक्फ संशोधन बिल को लेकर किसने क्या कहा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह- एक बिल कैबिनेट ने अप्रूव करके रखा, यह बिल जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी को दिया गया। विपक्ष भी इस पर बोल रहा था, कमेटी के सुझावों को कैबिनेट ने स्वीकार किए। विपक्ष ही कह रहा था कि जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी बने। ये कांग्रेस जैसी पार्लियामेंट्री कमेटी नहीं है, ये हमारी कमेटी है, जो चर्चा करती है।
केंद्रीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू- कुछ नेता और कुछ धर्मगुरु मासूम मुस्लिमों को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। इन्हीं नेताओं-धर्मगुरुओं ने पहले कहा था कि सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) से मुस्लिमों पर असर पड़ेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह)- हमें कांग्रेस से धर्मनिरपेक्षता सीखने की जरूरत नहीं है।
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल- इस बिल में संशोधन मेंबर्स से भी लिए जाने चाहिए थे। उनसे पूछा जाना था। संशोधन के लिए वक्त दिया जाना चाहिए था। वक्त मिला ही नहीं। इस सदन में कभी ऐसा कभी हुआ।
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल- वैसे तो हर धर्म में सुधार की जरूरत होती है, चाहे फिर हिंदू धर्म हो, मुस्लिम हों, क्रिश्चिएनिटी हो। सुधार अच्छी बात है। मैं मोदी जी पूछना चाहता हूं कि आप हिंदू धर्म में सुधार क्यों नहीं लाना चाहते? मस्जिद गिर जाती है, लेकिन आप चुप रहते हैं। संभल के मामले में आप चुप रहे। ये एजेंडा चलता रहता है और आप चुप रहते हैं।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव- बीजेपी में वोट लेने के लिए, अपने आपको बड़ा नेता बनाने के लिए, कौन खराब हिंदू है, कौन ज्यादा किसी को परेशान कर सकता है, इसमें मुकाबला चल रहा है। बीजेपी को जमीन से बेहद लगाव है। वे रेलवे, रक्षा और वक्फ की जमीन को बेचेंगे।
एडवोकेट विष्णु शंकर जैन- ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट का मानना है कि वक्फ संशोधन बिल को काफी सलाह-मशविरे और सुझावों के बाद लाया गया है।
कैबिनेट ने फरवरी में बिल संशोधन को दी थी मंजूरी
केंद्र की कैबिनेट बैठक में 19 फरवरी को वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी दी गई थी। इस बिल पर बनी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की रिपोर्ट के आधार पर वक्फ बिल का नया ड्राफ्ट तैयार किया गया है। बिल पर JPC की रिपोर्ट बजट सत्र के पहले फेज में 13 फरवरी को संसद में पेश हुई थी।
इससे पहले 30 जनवरी को कमेटी ने 655 पन्नों रिपोर्ट स्पीकर ओम बिरला को सौंपी थी। इस दौरान भाजपा सांसद मौजूद रहे थे पर विपक्ष का कोई सांसद नजर नहीं आया था। हालांकि, बाद में कमेटी में शामिल विपक्षी सांसदों ने रिपोर्ट पर आपत्ति जताई थी। 16 सदस्यों ने पक्ष में, जबकि 11 ने विरोध में वोट डाला और बाकी सदस्यों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था।
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