भोपाल-गुना-छिंदवाड़ा का पलायन रोकना बड़ी चुनौती
इंदौर ( अभिषेक कानूनगो)
मुख्यमंत्री कमलनाथ भले ही कह चुके हैं कि कोई भी कांग्रेसी लोकसभा चुनाव के दौरान अपने नेता के इलाके में न रहे। खुद का क्षेत्र ही मजबूत करें, लेकिन इंदौर में पंकज संघवी को टिकट मिलने के बाद ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। शहर के कई नेताओं को दूसरी लोकसभा में प्रभारी बना दिया गया है।
छिंदवाड़ा-भोपाल और गुना प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीट है। छिंदवाड़ा से मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ मैदान में हैं। उनके क्षेत्र में शहर के कई नेताओं को देखा जा सकता है। कुछ हाजिरी भरवाकर आ गए हैं, तो कुछ ने जाने का मन बना लिया है। विनय बाकलीवाल, गोलू अग्निहोत्री, केके यादव, प्रेम खड़ायता और विधायक विशाल पटेल छिंदवाड़ा में डेरा जमाने वाले हैं। वहीं गुना से मैदान में उतरे ज्योति सिंधिया का तो काम ही इंदौर के नेता संभालते हैं। मंत्री तुलसी सिलावट को मुंगावली-कोलारस विधानसभा के उपचुनाव में प्रभारी बनाया गया था और नतीजे भी कांग्रेस के पक्ष में आए थे। तभी से यहां सिलावट की तैनाती कर दी गई थी और अब फिर सिंधिया के लिए सिलावट इन दोनों इलाकों में नजर आ रहे हैं। विपिन खुजनेरी, पवन जायसवाल, शैलेष गर्ग और पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल भी सिंधिया की लोकसभा के अलग-अलग इलाकों में अपनी टीम के साथ जाने की तैयारी कर चुके हैं। सिंधिया के चुनावी मैनेजमेंट में कार्यकर्ताओं को तब तक रोका जाता है, जब तक नतीजे नहीं आ जाते। वहीं तीसरी सबसे दिलचस्प सीट भोपाल से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने मैदान संभाला है। दिग्गी के कार्यकर्ता तो पूरे प्रदेश में वो खुद ही भोपाल आने के लिए सबको इनकार कर रहे हैं, लेकिन कल उनके नामांकन में जाने के लिए कांग्रेसियों ने बसें बुक कर ली हैं। सिहोर वाले इलाके में शहर से जाने वाले नेताओं की ड्यूटी लगाई जा रही है। चिंटू चौकसे ने कल भी सिहोर में सभा रखी थी, जिसमें मंत्री जीतू पटवारी भी पहुंचे थे। कमलेश खंडेलवाल और जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव भी दिग्गी के लिए मैदान में उतर चुके हैं। किसी भी मंत्री या विधायक को सिर्फ बारह से पन्द्रह बूथ की जिम्मेदारी दी जा रही है। रघु परमार भी दिग्गी की कोर कमेटी का हिस्सा हैं। वो भोपाल लोकल में काम कर रहे हैं। इस बार मंत्री सज्जन सिंह वर्मा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। हर बार उनकी टीम सोनकच्छ और देवास चली जाती है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव खंडवा से चुनावी मैदान में और उनके समर्थकों की कमी भी शहर में नहीं है बाणगंगा की यादव टीम निमाड़ का रुख करने वाली है। इसी तरह इंदौर के कांग्रेसी नेता शहर को लावारिस छोड़कर निकल जाते हैं। पंकज संघवी के लिए विरोधियों से निपटने के पहले बड़ी चुनौती यही है कि कांग्रेसियों को यहां रोका जाए। ये तासिर रही है कि बड़े नेता आकाओं के हाजिरी भरवाने निकल जाते हैं और छोटे कार्यकर्ताओं के भरोसे चुनाव लडऩा पड़ता है। सत्यनारायण पटेल भी भुगतभोगी रहे हैं। उन्हें कार्यकर्ता तलाशने के लिए परेशान होना पड़ा था और पंकज संघवी के पास तो खुद की टीम भी नहीं है। जब तक शहर के बड़े नेता यहां रूकते, पंकज के लिए दिल्ली दूर है।
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