Nagpur Violence Mastermind Arrest: महाराष्ट्र के नागपुर में 17 मार्च को हुई सांप्रदायिक हिंसा में के मास्टरमाइंड फहीम शमीम खान को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
इस हिंसा का मूल कारण औरंगजेब के पुतले का जलाया जाना था, जिसे लेकर शहर में तनाव बढ़ गया।
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कड़ी कार्रवाई करते हुए हिंसा में शामिल 50 से अधिक लोगों को अरेस्ट किया था।
वहीं प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू जारी है और पुलिस द्वारा बड़े पैमाने पर सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई है।
औरंगजेब के पुतले को जलाना
हिंसा की शुरुआत 17 मार्च को हुई थी जब विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग करते हुए प्रदर्शन किया।
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने औरंगजेब के पुतले को जलाया, जिसमें आपत्तिजनक सामग्री का उपयोग किया गया था। पुतले में एक चादर भी रखी गई थी, जिसे बाद में हिंसा में शामिल कुछ लोगों ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के रूप में देखा।
इस घटना का वीडियो वायरल होते ही माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया। कई लोग इस घटना को लेकर चौराहों पर इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन करने लगे, जिससे स्थिति और भी बिगड़ गई।
दंगाईयों ने महिला पुलिसकर्मी के साथ की अभद्रता
घटना के बाद शहर में हिंसा की लहर फैल गई और दंगाइयों ने न केवल सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, बल्कि पुलिस पर भी हमला किया। गणेशपेठ पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR के अनुसार, दंगाइयों ने एक महिला पुलिसकर्मी के कपड़े उतारने की कोशिश की और उसे गलत तरीके से छुआ।
पुलिस ने बताया कि भालदरपुरा चौक के पास रात के अंधेरे में इस महिला पुलिसकर्मी के साथ अश्लील हरकत की गई। यह घटना न केवल पुलिसकर्मियों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी बेहद शर्मनाक थी। इसके बाद पुलिस ने दंगाइयों को काबू करने के लिए हल्का बल प्रयोग किया और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
फहीम शमीम खान की गिरफ्तारी
महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में नागपुर के यशोधरा नगर निवासी फहीम शमीम खान (38 साल) को गिरफ्तार किया है, जो इस हिंसा का मास्टरमाइंड था। फहीम खान ने 500 से अधिक दंगाइयों को इकट्ठा किया और हिंसा को बढ़ावा दिया।
वह माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी का शहर अध्यक्ष है और इसके अलावा 2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुका था, हालांकि वह 6.5 लाख वोटों से हार गया था।
पुलिस ने फहीम खान को 21 मार्च तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने यह भी कहा कि दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और उन्हें किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
कर्फ्यू और सुरक्षा व्यवस्था
हिंसा के बाद नागपुर में कई इलाकों में कर्फ्यू लागू किया गया है। 18 मार्च को शहर के 11 इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया था और हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस बल को तैनात किया गया। इन इलाकों में दुकानों को बंद कर दिया गया है और सड़कें भी ब्लॉक कर दी गई हैं।
पुलिस ने कहा कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।
इस बीच पुलिस ने 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है और 19 आरोपियों को 21 मार्च तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है। पुलिस का कहना है कि वे इस मामले में पूरी जांच करेंगे और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।
सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी
हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर भी माहौल और बिगड़ने की संभावना थी। पुलिस ने अब तक 500 से अधिक आपत्तिजनक पोस्टों को ट्रैक कर उन्हें डिलीट किया है।
इसके अलावा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर किसी भी प्रकार की भड़काऊ गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है, ताकि हिंसा को और बढ़ावा न मिले।
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की उकसाऊ बातें साझा न करें, ताकि स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके।
औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद
नागपुर हिंसा के बाद औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद भी बढ़ गया है। छत्रपति संभाजीनगर में स्थित औरंगजेब की कब्र को लेकर कई राजनीतिक दलों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे संगठनों ने औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग की थी, जबकि शिवसेना (यूबीटी) ने इस पर भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा शिवाजी महाराज से अधिक औरंगजेब को महत्व दे रही है। शिवसेना ने सरकार से मांग की है कि औरंगजेब की कब्र को संरक्षित स्मारक का दर्जा हटा दिया जाए।
नेताओं की प्रतिक्रियाएं
नागपुर हिंसा के बाद विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की आलोचना की है। समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा कि महाराष्ट्र में हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
शिवसेना (यूबीटी) के नेताओं ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में राज्य सरकार नाकाम रही है। आदित्य ठाकरे और प्रियंका चतुर्वेदी जैसे नेताओं ने कहा कि भाजपा हिंसा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न हिंदू संगठनों का इस्तेमाल कर रही है, और मुख्यमंत्री पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनके भड़काऊ भाषणों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इस हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि समाज के लिए हिंसा का कोई भी रूप हानिकारक है। उन्होंने यह भी कहा कि 17वीं सदी के मुग़ल सम्राट औरंगजेब का आज के दौर में कोई महत्व नहीं है और हमें इस प्रकार के मुद्दों से आगे बढ़कर समाज की भलाई पर ध्यान देना चाहिए।
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