Pradeep Mishra on Owaisi

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‘ये पाकिस्तान नहीं है जो आपको सहन करेंगे’, ओवैसी के इस बयान पर भड़के पंडित प्रदीप मिश्रा

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Pradeep Mishra on Owaisi: सीहोर। अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के हालिया बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

ओवैसी ने अपने एक भाषण में कहा था कि जो मुसलमान डरपोक थे, वे पाकिस्तान चले गए, लेकिन जो बचे हैं, वे भारत में रहकर संघर्ष करेंगे।

इस बयान पर पंडित प्रदीप मिश्रा ने पलटवार करते हुए कहा कि यह भारत है, पाकिस्तान नहीं, जो किसी को सहन करेगा।

पहले जानें ओवैसी ने क्या कहा है?

हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा था कि आखिर अपने ही देश में मुसलमानों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार क्यों किया जा रहा है? कोई कहता है कि अगर तुम्हें डर है तो तुम नमाज मत पढ़ो घर में बैठ जाओ। कोई कहता है कि जैस मस्जिदों को कवर कर दिया तुम अपने सिर को कवर कर लो। कोई कहता है कि बंगाल में अगर हम हुकूमत में आ जाएंगे तो मुसलमानों को बंगाल से निकाल देंगे। लेकिन, हम भागने वालों में से नहीं हैं, हमारे पूर्वजों ने भारत को अपना वतन माना और हम हमेशा यहीं रहेंगे। जो बुजदिल थे, वे पाकिस्तान चले गए, लेकिन हम संघर्ष करेंगे।”

ओवैसी का यह बयान होली के दौरान मस्जिदों को तिरपाल से ढकने के मुद्दे पर आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर डर है, तो मस्जिदों को ढकने के बजाय लोगों को अपने सिर ढक लेना चाहिए।

पंडित प्रदीप मिश्रा का पलटवार

सीहोर में होली के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने ओवैसी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, ओवैसी जी, आप यह न भूलें कि आप भारत में हैं। यह सनातन धर्म की भूमि है, जहां हर व्यक्ति एक शेर का बच्चा है। अगर आप संघर्ष की बात कर रहे हैं, तो हम भी तैयार हैं। भारत में जन्म लेने वाला हर सनातनी अपने धर्म और देश के लिए खड़ा रहेगा।”

पंडित मिश्रा ने आगे कहा कि भारत सहिष्णुता का प्रतीक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि यहां कोई भी किसी भी तरह की बयानबाजी करेगा और उसे सह लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो भी इस देश में रहता है, उसे इसकी संस्कृति और मूल्यों का सम्मान करना चाहिए।

बहरहाल, ओवैसी के बयान और पंडित प्रदीप मिश्रा की प्रतिक्रिया के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। कई राजनीतिक दलों ने इस विवाद पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। कुछ लोग इसे ध्रुवीकरण की राजनीति करार दे रहे हैं, तो कुछ इसे धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश बता रहे हैं। बहरहाल, इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है और आगे भी बयानबाजी जारी रहने की संभावना है।

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