Bihar Adhikar Yatra: विधानसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत एक बार फिर यात्राओं से गर्मा गई है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के बाद अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता ने ‘बिहार अधिकार यात्रा’ की शुरुआत कर दी है।
मंगलवार यानी 16 सितंबर से जहानाबाद के गांधी मैदान से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने यात्रा का आगाज़ किया।
इस दौरान तेजस्वी ने महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर राज्य की नीतीश सरकार को घेरा।
पांच दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 10 जिलों की 66 विधानसभा सीटों और 11 लोकसभा सीटों को कवर करेगी।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, तेजस्वी की यह यात्रा चुनावी रणनीति का हिस्सा है।
जिसमें यादव बहुल इलाकों के साथ-साथ नीतीश कुमार और बीजेपी के गढ़ में पैठ बनाने की कोशिश झलक रही है।
है नमन बिहार को!
आने वाली नौकरी रोजगार की#तेजस्वी_सरकार को!#बिहार_अधिकार_यात्रा @yadavtejashwi pic.twitter.com/5b8qPI6xTZ— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) September 16, 2025
CM फेस पर महागठबंधन में कंफ्यूजन नहीं
पटना से जहानाबाद रवाना होने से पहले तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन में सीएम फेस को लेकर किसी तरह का भ्रम नहीं है।
अगर शक है तो जनता से पूछ लीजिए। बीजेपी नीतीश कुमार को भगाना चाहती है, सिर्फ चुनाव तक उन्हें साथ रखा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि घुसपैठियों को बाहर भगाने से किसने रोका है आपको।
आप 11 साल से कर क्या रहे हैं? चुनाव में भाषण देने से कुछ नहीं होता। घुसपैठिया केवल मुद्दों से भटकाने का खेल है।
तेजस्वी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी सीधा हमला बोला और कहा, पीएम के चहेते सीएम पत्रकारों को गाली देते हैं, मारपीट करते हैं।
2005 से पहले ऐसा होता था, आज वही हाल है। मुख्यमंत्री अचेत अवस्था में हैं।
जहानाबाद से शुरू हुई यात्रा में आरजेडी कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला।
पार्टी नेता रंजीत कुमार ने कहा, तेजस्वी यादव के आगमन से जिले में खास ऊर्जा है। युवा, महिलाएं, बुजुर्ग, सभी गांधी मैदान में पहुंचने को उत्साहित हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि तेजस्वी यादव से रोजगार, किसानों को मुफ्त बिजली और जनकल्याण योजनाओं की उम्मीदें जुड़ी हैं।
श्री @yadavtejashwi जी के #बिहार_अधिकार_यात्रा में आमजन की भागीदारी देखते ही बनती है!
उमड़ा जन सैलाब!#TejashwiYadav जी ने सभी का अभिवादन स्वीकार किया!#RJD pic.twitter.com/q0UL6Wrl57— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) September 16, 2025
वहीं, तेजस्वी की यात्रा पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तंज कसते हुए कहा, तेजस्वी यादव पूरे परिवार को लेकर यात्रा पर निकलें।
लालू यादव को दिखाएं कि विकास किसे कहते हैं। लालू कहते थे बिजली और सड़क का क्या करोगे?
आज उन्हीं सड़कों पर यात्रा कराई जाए ताकि समझ में आए कि नीतीश-मोदी की जोड़ी ने बिहार में कितना विकास किया है।
समझें 66 सीटों का सियासी समीकरण
तेजस्वी यादव की इस यात्रा का रूटमैप विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
पांच दिनों में वह जहानाबाद, नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर होते हुए वैशाली पहुंचेंगे।
कुल 10 जिलों की 66 विधानसभा सीटें इस यात्रा के दायरे में हैं।
विधानसभा चुनाव 2020 में इन 66 सीटों पर एनडीए ने 34 और महागठबंधन ने 32 सीटें जीती थीं।
यानी मुकाबला लगभग बराबरी का रहा था।
एनडीए में जेडीयू ने 19, बीजेपी ने 15 और लोजपा ने 1 सीट जीती थी।
महागठबंधन में आरजेडी ने 23, कांग्रेस ने 3 और लेफ्ट ने 6 सीटें जीती थीं।
इस लिहाज़ से देखें तो तेजस्वी की यह यात्रा सीधे-सीधे उन इलाकों को टारगेट कर रही है, जहां पिछली बार कांटे की टक्कर में नतीजे आए थे।
6 यादव बहुल जिलों पर खास नजर
तेजस्वी यादव की यात्रा का बड़ा हिस्सा यादव बहुल जिलों जहानाबाद, पटना, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल और वैशाली से होकर गुजर रहा है।
इन छह जिलों में यादव वोट निर्णायक भूमिका में हैं। 2020 में उम्मीद से कम प्रदर्शन के बावजूद RJD यहां अपनी पकड़ मज़बूत करना चाहती है।
- जहानाबाद: पिछली बार तीनों सीटें महागठबंधन की झोली में गई थीं। यहां भूमिहार, यादव और अति पिछड़ी जातियों की संख्या निर्णायक है। तेजस्वी के सामने बड़ी चुनौती उनके भाई तेज प्रताप यादव की सक्रियता है।
- नालंदा: नीतीश कुमार का गृह जिला। 7 में से सिर्फ एक सीट आरजेडी के खाते में गई थी। इस बार आरजेडी यहां अधिक सीटों की उम्मीद कर रही है।
- पटना: राजधानी जिला होने के कारण सियासी तौर पर बेहद अहम। यहां 14 में से 6 सीटें आरजेडी ने जीती थीं। तेजस्वी यहां पिछली कामयाबी को दोहराने पर फोकस कर रहे हैं।
- बेगूसराय: भूमिहार बहुल इलाका, जहां आरजेडी दो सीटें जीत पाई थी। हाल में जेडीयू के बागो सिंह के आरजेडी में शामिल होने से पार्टी को नई उम्मीद है।
- खगड़िया: यहां यादव, कुशवाहा और मल्लाह वोटरों का दबदबा है। मुकेश सहनी के आरजेडी के साथ आने से तेजस्वी को इस इलाके में नए समीकरण की उम्मीद है।
- मधेपुरा, सहरसा, सुपौल: यादव बहुल होने के बावजूद आरजेडी का प्रदर्शन कमजोर रहा था। सुपौल में तो खाता भी नहीं खुला था। इस बार यहां पर पूरा जोर रहेगा।
- समस्तीपुर और वैशाली: तेज प्रताप यादव का प्रभाव इन जिलों में है। तेजस्वी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की कोशिश करेंगे। वैशाली में महुआ सीट से तेज प्रताप चुनाव की तैयारी में हैं, इसलिए यह इलाका तेजस्वी के लिए चुनौतीपूर्ण है।
लालू की विरासत का विस्तार
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह यात्रा तेजस्वी यादव की रणनीति का हिस्सा है, जिससे वे अपने पिता लालू प्रसाद यादव की शैली को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
लालू यादव जनता से सीधा संवाद करने और यात्राओं-सभाओं के जरिए माहौल बनाने के लिए जाने जाते थे।
तेजस्वी भी इसी तरीके से अपनी पकड़ मज़बूत करना चाहते हैं। आरजेडी ने यात्रा को लेकर पूरी ताकत झोंक दी है।
पार्टी ने जिलाध्यक्षों और विधायकों को निर्देश दिया है कि भीड़ जुटाने में कोई कमी न रहे।
तेजस्वी यादव की ‘बिहार अधिकार यात्रा’ सिर्फ एक जनसंपर्क अभियान नहीं, बल्कि 2025 विधानसभा चुनाव से पहले की ठोस चुनावी रणनीति है।
आरजेडी चाहती है कि इस यात्रा से पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़े और जनता से सीधा कनेक्ट बने।
आरजेडी नेता संजय यादव का कहना है कि राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ एसआईआर के मुद्दे पर थी, जबकि तेजस्वी बिहार के अधिकारों की लड़ाई लड़ने निकले हैं।
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, तेजस्वी यादव ने यात्रा का रूट तय करने से पहले फीडबैक लिया।
उनके पास मुद्दों की कमी नहीं है—महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी सबसे बड़े मुद्दे हैं। यात्रा से उन्हें जनता से सीधा संवाद का मौका मिलेगा।
सरकार विज्ञापनों और योजनाओं से जनता को प्रभावित कर सकती है। विपक्ष के पास यात्रा ही विकल्प है।
तेजस्वी का यह कदम राजनीतिक रूप से अहम है और निश्चित रूप से इसका फायदा उन्हें मिलेगा।
जहानाबाद से लेकर वैशाली तक की इस यात्रा से आरजेडी अपने कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरना चाहती है।
आने वाले चुनाव में इसका कितना असर पड़ेगा, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन फिलहाल इस यात्रा ने बिहार की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है।
