Bhagavad Gita School Syllabus: उत्तराखंड सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के तहत एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
राज्य के सभी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में अब प्रतिदिन प्रार्थना सभा के दौरान श्रीमद्भगवद्गीता का एक श्लोक पढ़ाया जाएगा।
इसके साथ ही रामायण को भी कक्षा 6वीं से 12वीं के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
सिलेबस में शामिल करने का सर्कुलर जारी
राज्य के माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किए गए हैं।
इसमें स्पष्ट रूप से निर्देश है कि श्लोक केवल रटवाए नहीं जाएंगे, बल्कि उनका अर्थ और वैज्ञानिक/मनोवैज्ञानिक महत्व भी बच्चों को समझाया जाएगा।
इसके लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जा रही है।
यह पहल न केवल छात्रों को भारत की सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ेगी, बल्कि उनमें नैतिकता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को भी विकसित करेगी।
“सप्ताह का श्लोक” किया जाएगा तय
हर सप्ताह एक श्लोक को सप्ताह का श्लोक घोषित किया जाएगा।
उसे स्कूल के नोटिस बोर्ड पर अर्थ सहित प्रदर्शित किया जाएगा।
सप्ताह के अंत में कक्षा में उस श्लोक पर चर्चा की जाएगी और छात्रों से उनकी प्रतिक्रिया भी ली जाएगी।
संस्कृत के शिक्षकों को यह ज़िम्मेदारी सौंपी गई है कि वे श्लोकों को प्रभावी ढंग से बच्चों को समझाएं।
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि गीता की शिक्षा को धार्मिक नजरिए से न देखकर उसे मनोविज्ञान, व्यवहार विज्ञान और नैतिक दर्शन के तौर पर देखा जाए।
इसका उद्देश्य बच्चों में चरित्र निर्माण, सही निर्णय लेने की क्षमता और आंतरिक अनुशासन को विकसित करना है।
NCERT को सिलेबस तैयार करने की जिम्मेदारी
भगवद्गीता और रामायण को औपचारिक रूप से सिलेबस का हिस्सा बनाने के लिए एनसीईआरटी को जिम्मेदारी दी गई है।
शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के अनुसार, यह बदलाव राज्य के 17 हजार सरकारी स्कूलों में लागू किया जाएगा।
इसके लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ उच्च स्तरीय बैठकें भी हो चुकी हैं।
रामायण भी बनेगी पाठ्यक्रम का हिस्सा
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही गीता और रामायण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्देश दे चुके हैं।
अब इससे जुड़ी कार्यवाही भी तेज़ी से की जा रही है। शिक्षा विभाग की योजना है कि अगले सत्र से यह संशोधित पाठ्यक्रम लागू कर दिया जाएगा।
मदरसा बोर्ड का समर्थन, राम-कृष्ण हमारे पूर्वज
इस निर्णय का स्वागत उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शामून क़ासमी ने भी किया है।
उन्होंने कहा कि राम और कृष्ण हमारे पूर्वज हैं और हर भारतीय को उनके बारे में जानना जरूरी है।
उन्होंने यह भी बताया कि मदरसों में संस्कृत पढ़ाने के लिए संस्कृत विभाग के साथ एमओयू की योजना बनाई जा रही है।
‘वीणा’ में गंगा की कहानी, नई किताब में पहल
सांस्कृतिक शिक्षा को और बढ़ावा देने के लिए एनसीईआरटी ने ‘वीणा’ नामक नई किताब प्रकाशित की है।
जिसमें गंगा की कहानी, कुंभ मेला और वाराणसी, पटना, कानपुर, हरिद्वार जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहरों का भी वर्णन किया गया है।
बहरहाल, उत्तराखंड की यह पहल नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का माध्यम बनेगी।
साथ ही आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय परंपराओं को संतुलित रूप से जोड़ने का भी उदाहरण पेश करेगी।
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