Bhim Army Prayagraj Violence

Bhim Army Prayagraj Violence

प्रयागराज हिंसा: भीम आर्मी समर्थकों पर कड़ा एक्शन, 50 से ज्यादा गिरफ्तार, NSA में कार्रवाई की तैयारी

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Bhim Army Prayagraj: प्रयागराज के करछना तहसील स्थित इसौटा गांव और भडेवरा चौराहे पर शनिवार को हुए हिंसक बवाल के बाद पुलिस ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है।

आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव में शामिल आरोपियों की पहचान की जा रही है और अब तक 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

वहीं, 40 से ज्यादा लावारिस मोटरसाइकिलें जब्त की गई हैं, जिन्हें उपद्रव के दौरान मौके पर छोड़कर आरोपी फरार हो गए थे।

चंद्रशेखर आजाद को रोकने पर भड़के समर्थक

पूरा घटनाक्रम उस समय शुरू हुआ जब आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद एक दलित परिवार से मिलने के लिए इसौटा गांव जा रहे थे।

पुलिस ने उन्हें गांव में प्रवेश करने से रोका और हिरासत में लेकर सर्किट हाउस ले गई।

इसके बाद चंद्रशेखर के गुस्साए समर्थकों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया, जो देखते ही देखते हिंसक बवाल में बदल गया।

उपद्रवियों ने ईंट-पत्थरों और लाठी-डंडों से हमला कर दिया।

पुलिस की तीन गाड़ियों और करीब एक दर्जन अन्य वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। कई मोटरसाइकिलों को फूंक दिया गया।

पथराव में चौकी प्रभारी समेत कई पुलिसकर्मी घायल हुए, साथ ही कई स्थानीय नागरिक भी चोटिल हुए हैं, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।

पुलिस का एक्शन प्लान, प्रशासन का रुख

पुलिस ने अब तक 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं बवाल के दौरान लावारिस मिलीं 42 मोटरसाइकिलें सीज कर ली गई हैं।

इनके नंबर के आधार पर मालिकों की पहचान की जा रही है, जिन्हें नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।

हिंसा और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले उपद्रवियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। फोटो और वीडियो के आधार पर अन्य उपद्रवियों की तलाश जारी है।

इसौटा, भडेवरा और आसपास के गांवों में पुलिस ने रातभर छापेमारी की। करछना के ककरम गांव से 10 लोगों को हिरासत में लिया गया है।

भारी संख्या में पुलिस बल और पीएसी तैनात की गई है। पूरे क्षेत्र को छावनी में बदल दिया गया है। गांवों में लगातार फ्लैग मार्च जारी है।

गांव में दहशत, हिंसा पर आजाद की सफाई

घटना के बाद इसौटा, भडेवरा और आसपास के गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है। कई ग्रामीण अपने घर छोड़कर फरार हो गए हैं।

पुलिस की छापेमारी और फोर्स की मौजूदगी ने लोगों में भय का माहौल पैदा कर दिया है।

डीसीपी (यमुना नगर) विवेक चंद्र यादव ने बताया कि भीम आर्मी के समर्थक बड़ी संख्या में गांव पहुंचे थे।

जब उन्हें चंद्रशेखर के गांव में प्रवेश न मिलने की जानकारी मिली, तो उन्होंने पथराव शुरू कर दिया।

मौके पर पहुंची पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया। अब शांति व्यवस्था बहाल है, लेकिन हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।

वहीं भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने इस पूरे घटनाक्रम में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भूमिका से इनकार किया है।

चंद्रशेखर आज़ाद ने इस घटना को किसी साजिश का हिस्सा बताया है।

उनका कहना है कि उनके समर्थक पूरे समय सर्किट हाउस में शांतिपूर्वक बैठे थे और बवाल करने वाले लोग उनकी पार्टी से नहीं हैं।

दलित हत्याकांड: लड़की से बात करने पर गई जान

प्रयागराज के करछना इलाके में दलित युवक देवी शंकर की दर्दनाक हत्या ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है।

हत्या की वजह एक लड़की से फोन पर बातचीत को बताया जा रहा है।

ये लड़की किसी ठाकुर परिवार की थी और आरोप है कि इसी जातीय रंजिश में देवी शंकर की निर्मम हत्या कर दी गई।

घटना की शुरुआत 12 अप्रैल की रात हुई जब दिलीप सिंह उर्फ छुट्टन ने देवी शंकर को फोन कर घर से बुलाया।

पहले तो वह नहीं आया, लेकिन रात करीब 10:30 बजे छुट्टन उसे साथ लेकर शराब पार्टी में पहुंचा।

खेत में पहले से मौजूद थे – संजय सिंह उर्फ सोनू, अजय सिंह, मोहित सिंह, मनोज सिंह, अवधेश सिंह उर्फ डीएम, विमलेश गुप्ता उर्फ डॉन और शेखर सिंह।

रात 9:30 बजे से शराब पार्टी शुरू हुई, माहौल हंसी-मजाक वाला था।

लेकिन रात करीब 2 बजे लड़की से बात करने को लेकर बहस छिड़ गई।

अवधेश सिंह ने देवी शंकर को धमकाते हुए कहा कि “उस लड़की से बात बंद कर दो, नहीं तो गांव में रह नहीं पाओगे।”

देवी शंकर ने जवाब में कहा – “गांव में 80% दलित रहते हैं, तुम ठाकुर गिनती के हो। मुझे क्या धमकी देते हो?” यही बात झगड़े का कारण बनी।

गुस्से में अवधेश और दिलीप ने देवी शंकर की पिटाई शुरू कर दी। फिर नशे में धुत बाकी लोग भी शामिल हो गए। इतने में देवी शंकर की जान चली गई।

गुस्से में फूटा जनसैलाब, पुलिस को लाश नहीं उठाने दी

हत्या के बाद आरोपियों ने देवी शंकर की लाश के कपड़े उतारे और उन्हें शराब में भिगोकर शव पर डाल दिया। फिर आग लगा दी।

लेकिन तेज हवाओं के चलते आग पूरी तरह से शव को नहीं जला सकी। अगली सुबह, 13 अप्रैल को अधजली लाश मिलने पर गांव में बवाल मच गया।

घटना की जानकारी मिलते ही देवी शंकर के परिजन और ग्रामीण आक्रोशित हो गए। उन्होंने शव को उठाने से पुलिस को करीब 2 घंटे तक रोके रखा।

हत्या के बाद दलित उत्पीड़न का मामला तूल पकड़ता देख प्रशासन हरकत में आया। 14 अप्रैल को आरोपियों दिलीप और अवधेश के खेतों पर बुलडोजर चलाया गया।

फिलहाल, पुलिस ने अब तक इस हत्याकांड में शामिल 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

पूछताछ में हत्या की वजह ‘लव अफेयर’ में पनपी जातीय रंजिश बताई गई है।

पुलिस फिलहाल आगे की जांच कर रही है और अन्य आरोपियों की भूमिका स्पष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

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