Astronaut Shubhanshu Shukla: 25 जून 2025 की तारीख भारत के अंतरिक्ष इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो गई है।
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने Axiom-4 मिशन के तहत तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी।
ये मिशन तकनीकी रूप से जितना महत्वपूर्ण है, उससे कहीं ज्यादा भावनात्मक और ऐतिहासिक है।
शुभांशु अंतरिक्ष पहुंचने वाले दूसरे भारतीय और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) का दौरा करने वाले पहले भारतीय बन गए हैं।
स्पेस से शुभांशु शुक्ला का पहला मैसेज
शुभांशु शुक्ला ने जैसे ही अंतरिक्ष में कदम रखा, उन्होंने भारतवासियों के लिए एक भावुक संदेश भेजा जिसने पूरे देश को गर्व से भर दिया। उन्होंने कहा,
“नमस्कार मेरे प्यारे देशवासियों! 41 साल बाद हम फिर से अंतरिक्ष में हैं। हम इस समय 7.5 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। मेरे कंधे पर मेरा तिरंगा है जो मुझे यह एहसास दिलाता है कि मैं अकेला नहीं हूं, बल्कि आप सभी मेरे साथ हैं। यह मेरी अंतरिक्ष यात्रा की शुरुआत नहीं, बल्कि भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। आइए, हम सब मिलकर इस यात्रा में शामिल हों। जय हिंद! जय भारत!”
अंतरिक्ष पहुंचकर शुभांशु बोले- व्हाट ए राइड
शुभांशु शुक्ला ने अपने संदेश में इस मिशन को सिर्फ एक वैज्ञानिक यात्रा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन बताया।
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह उड़ान भारत के ह्यूमन स्पेस प्रोग्राम की शुरुआत है, जिससे देश का हर नागरिक जुड़ा हुआ महसूस करे।
उनका संदेश – “व्हाट ए राइड! मेरे कंधे का तिरंगा मुझे देश से जोड़े हुए है। मैं चाहता हूं कि आप सभी इस यात्रा का हिस्सा बनें।” ने हर भारतीय के हृदय में जोश भर दिया।
ISRO और NASA के बीच हुए करार के तहत Axiom-4 मिशन भारत के लिए एक बड़ी छलांग है।
यह मिशन आने वाले दिनों में गगनयान कार्यक्रम के लिए रास्ता तैयार करता है, जिसमें भारत अपने दम पर अंतरिक्ष में मानव भेजने की तैयारी कर रहा है।
ऐतिहासिक मिशन Axiom-4 की लॉन्चिंग
Axiom-4 मिशन की लॉन्चिंग भारतीय समयानुसार दोपहर 12:01 बजे फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से की गई।
चार अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर स्पेसएक्स का फाल्कन-9 रॉकेट रवाना हुआ, जिसमें शुभांशु शुक्ला मुख्य चालक दल सदस्य के रूप में शामिल हैं।
इस मिशन के तहत स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट का उपयोग किया गया, जो 28.5 घंटे की यात्रा के बाद 26 जून को शाम 4:30 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से जुड़ेगा।
लॉन्चिंग के करीब 10 मिनट बाद ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट फाल्कन-9 रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया और पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर गया।
इस मिशन का उद्देश्य ISS में प्रयोगशालाओं, वैज्ञानिक उपकरणों और मानव व्यवहार संबंधी प्रयोगों को अंजाम देना है।
परिवार का गर्व, देश की शान है शुभांशु
लखनऊ में शुभांशु के माता-पिता आशा शुक्ला और शंभु दयाल शुक्ला इस ऐतिहासिक क्षण को टेलीविजन पर देख रहे थे। जैसे ही लॉन्चिंग सफल हुई, माता-पिता भावुक हो गए।
उनके पिता ने कहा, “बेटे ने पूरे देश का नाम रोशन किया है। उसका तिरंगा लेकर जाना केवल हमारा नहीं, पूरे देश का सपना था। आज उसका सपना साकार हुआ है।”
मां आशा शुक्ला ने आंखों में आंसू और चेहरे पर गर्व के साथ कहा, “उसने कहा था – मां, जब मैं ऊपर जाऊंगा, तो तिरंगा जरूर लेकर जाऊंगा। उसने अपना वादा निभाया।”
भारतीय वायुसेना ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शुभांशु को सलामी दी। X (पूर्व ट्विटर) पर वायुसेना ने पोस्ट किया,
“आसमान से सितारों तक – भारतीय वायुसेना के योद्धा की अदम्य भावना से प्रेरित एक यात्रा। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यह सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि 41 साल बाद भारत के अंतरिक्ष स्वाभिमान की पुनर्स्थापना है।”
41 साल बाद किसी भारतीय का स्पेस ट्रैवल
यह मिशन भारतीय वायुसेना के उस गौरवशाली इतिहास को दोहराता है जब 1984 में स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने सोवियत स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष में जाकर इतिहास रचा था।
आज शुभांशु उसी परंपरा को आगे ले जा रहे हैं, लेकिन इस बार साझेदारी अमेरिका की एजेंसी NASA, प्राइवेट कंपनी Axiom Space और भारत की ISRO के बीच है।
शुभांशु शुक्ला का Axiom-4 मिशन न केवल अंतरिक्ष की ओर एक वैज्ञानिक यात्रा है, बल्कि यह एक पूरे राष्ट्र की उम्मीदों, गर्व और आत्मनिर्भरता की प्रतीकात्मक उड़ान है।
41 साल बाद अंतरिक्ष में गूंजा ‘जय हिंद’ का नारा अब न केवल याद रखा जाएगा, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को भारत के अंतरिक्ष भविष्य की नींव के रूप में भी प्रेरित करेगा।
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