-पीएम मोदी बोले-सरकार हर मुद्दे पर खुली चर्चा को तैयार
नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। इस दौरान लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा होने के पूरे आसार हैं।
विपक्ष सरकार को पेगासस, किसान, महंगाई और तेल की कीमतों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। सभी विपक्षी दलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने पर चर्चा की मांग उठाई है। वहीं, सरकार सत्र के पहले दिन ही लोकसभा में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक पेश करेगी।
संसद का यह सत्र 29 नवंबर से 23 दिसंबर तक चलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले की घोषणा थी और इसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इन तीनों कानूनों को निरस्त करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी थी।
इसके अलावा सरकार इस पूरे सत्र में करीब 30 विधेयक पेश करने जा रही है जिनमें क्रिप्टोकरंसी, बिजली, पेंशन, वित्तीय सुधार और बैंकिंग कानून से संबंधित विधेयक शामिल हैं।
शीतकालीन सत्र से पहले पीएम मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह संसद का एक महत्वपूर्ण सत्र है। देश के नागरिक एक उत्पादक सत्र चाहते हैं।
वे उज्जवल भविष्य के लिए अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं। सरकार हर विषय पर चर्चा करने के लिए तैयार है, खुली चर्चा करने के लिए तैयार है। सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है।
संसद की गरिमा बनी रहे : केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा है कि हमारी पूरी कोशिश है और हम ईमानदारी के साथ चाहते हैं कि संसद का सत्र सुचारू रूप से चले।
हम चाहते हैं कि रचनात्मक और सकारात्मक चर्चा हो, एक मज़बूत विपक्ष हो। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है कि संसद की गरिमा को बनाए रखें।
प्रश्नकाल स्थगित करने का नोटिस : लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रश्नकाल स्थगित करने का नोटिस दिया है।
उन्होंने सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने के लिए चर्चा की मांग की है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि किसानों की समस्याएं जब तक हल नहीं होंगी तब तक वो बॉर्डर से नहीं उठेंगे। हम आज किसानों के मुद्दे पर, महंगाई पर और जो पहले मुद्दे उठाए गए हैं उन सभी पर बात करेंगे।
संजय सिंह ने दिया बिजनेस नोटिस : आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने नियम 267 के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी पर चर्चा की मांग को लेकर बिजनेस नोटिस दिया है।
उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों को रद्द करने का बिल लेकर आ रही है लेकिन इस सरकार ने 750 किसानों की शहादत ली है। किसानों के मन में आशंका है कि ये सरकार कब क्या कर दे, उन्हें भरोसा नहीं। आज प्रधानमंत्री को सदन में ये स्पष्ट करना चाहिए कि ये बिल दोबारा इस संसद में नहीं आएगा।
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