25% Tariff on India: अमेरिका 1 अगस्त 2025 से भारत पर 25 % टैरिफ लगाने वाला है।
टैरिफ लगाने के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS को भी एक वजह बताया।
इतना ही नहीं अमेरिका ने 6 भारतीय कंपनियों पर बैन लगा दिया और दुश्मन देश के साथ हाथ मिला लिए।
अमेरिका ने भारत के पड़ोसी मुल्क के साथ पाकिस्तान के साथ ऑयल डील होने का ऐलान किया है।
इतना ही नहीं ट्रंप ने तो यह भी दावा किया है कि पाकिस्तान भविष्य में भारत को तेल बेच सकता है।
लेकिन, आखिर भारत को अपना दोस्त कहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ऐसा कर क्यों रहे हैं?
हर किसी के मन में यही सवाल है कि ट्रंप चाहते क्या है? भारत-अमेरिका में ट्रेड डील क्यों नहीं हुई?
भारत-पाक जंग रोकवाने का क्रेडिट लेने वाले ट्रंप आखिर पाकिस्तान से इतने खुश कब हो गए कि उससे ही हाथ मिला बैठे
6 भारतीय कंपनियों पर लगा बैन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार देर रात 24 कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया, इनमें 6 भारतीय कंपनियां भी हैं।
इसके अलावा चीन की 7, UAE की 6, हॉन्गकॉन्ग की 3, तुर्किये और रूस की 1-1 कंपनी शामिल हैं।
इसकी वजह है इन कंपनियों द्वारा ईरान से प्रतिबंधित रसायन और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद करना।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इन प्रतिबंधों की घोषणा भी की है।
मंत्रालय का कहना है कि इन कंपनियों ने 2024 में ईरानी मूल के 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के उत्पाद यूएई के रास्ते मंगवाए।
ईरान इस पैसे से न्यूक्लियर प्रोग्राम बढ़ा रहा है और आतंकी फंडिंग कर रहा है। बता दें ईरान पर साल 2018 से प्रतिबंध है।
इन भारतीय कंपनियों पर हुई कार्रवाई
1 – अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड
2 – ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड
3 – ज्यूपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड
4 – रमणिकलाल एस. गोसालिया एंड कंपनी
5 – पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड
6 – कंचन पॉलिमर्स
प्रतिबंध का कंपनियों पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
इन सभी प्रतिबंधित कंपनियों की अमेरिका में मौजूद सभी संपत्ति ओर अमेरिकी कंपनियों और नागरिकों से लेनदेन को तुरंत फ्रीज कर दिया गया है।
अमरीकी नागरिक और कंपनियों पर ऐसी कंपनियों के साथ व्यापार करने पर रोक लगा दी गई है।
प्रतिबंधित कंपनियों की 50% से ज्यादा हिस्सेदारी जिन कंपनियों में है वे भी प्रतिबंध के दायरे में आएगी ।
ये प्रतिबंध ईरान पर अमेरिका की मैक्सिमम प्रेशर की नीति का हिस्सा हैं।
अमेरिका का दावा है कि ईरान अपने तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बिक्री से जो आमदनी करता है।
उसका इस्तेमाल मध्य पूर्व में अस्थिरता फैलाने और आतंकी संगठनों को समर्थन देने में करता है।
अमेरिका ने कहा है इस पाबंदियों का मकसद सजा देना नहीं है बल्कि उनके व्यवहार में बदलाब लाना है।
कंपनिया अगर चाहे तो अमेरिकी ट्रेजरी विभाग से पाबंदी हटाने की अर्जी दे सकती है।
टैरिफ से लेकर ट्रेड डील तक क्यों नहीं बनी बात?
बुधवार को व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस में डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने की वजह बताई।
भारत से ट्रेड डील के सवाल पर उन्होंने कहा कि हम बार चीत कर रहे है, टैरिफ लगाने का एक कारण BRICS भी है ।
यह अमेरिका विरोधी देशों का ग्रुप है और भारत भी इसका मेंबर है। ट्रंप कहते है कि यह डॉलर पर हमला है।
पीएम मोदी मेरे दोस्त हैं, लेकिन वे हमारे साथ बिजनेस के मामले में बहुत ज्यादा कुछ नहीं करते हैं। उनका टैरिफ दुनिया में सबसे ज्यादा है।
बता दें ट्रंप पहले भी कह चुके हैं कि ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का BRICS समूह डॉलर के प्रभुत्व को खत्म करने की कोशिश करना चाहता है।
उन्होंने धमकी दी थी कि अगर वे ऐसा करते हैं तो ग्रुप के सदस्य देशों पर 10% टैरिफ लगाएंगे।
इसके अलावा भारत और अमेरिका के बीच फरवरी में ट्रेड डील को लेकर बातचीत शुरू हुई थी।
6 महीने बीत गए, लेकिन दोनों देश अभी तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंच पाए हैं।
इसका एक कारण है कि भारत मांसाहारी गाय का दूध लेने को तैयार नहीं है।
अमेरिका, भारत के एग्री और डेयरी सेक्टर में एंट्री चाहता है, लेकिन भारत नहीं मान रहा है।
इसके पीछे किसानों के हित के अलावा धार्मिक वजहें भी हैं। वहीं भारत MSME को लेकर ज्यादा सावधानी बरत रहा है।
टैरिफ भारत के लिए संकट से ज्यादा अपॉर्चुनिटी
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत पर 1 अगस्त से 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।
अभी तक अमेरिका की तरफ से भारतीय सामानों पर औसतन करीब 10% टैरिफ लगता है।
इसके बढ़ने से अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान के दाम बहुत बढ़ जाएंगे।
टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पाद महंगे होंगे।
इसके बाद भारत दुनिया भर में वैकल्पिक बाजारों पर ध्यान देगा।
यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका भारतीय प्रोडक्ट का इंतजार कर रहे है।
ट्रंप के टैरिफ वॉर से भारतीय कंपनियां अमेरिका में प्रोडक्शन करने के लिए प्रेरित हो सकती हैं।
इससे भारतीय कंपनियों के सामने ट्रंप के ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ मिशन में शामिल होने का मौका मिलेगा ।
टैरिफ के असर से भारत में अमेरिकी और वैश्विक कंपनियां स्थानीय तौर पर उत्पादन करने को प्रोत्साहित होंगी, जिससे नौकरी, निवेश और टेक्नॉलोजी ट्रांसफर की गति बढ़ेगी ।
इंडिया डेड इकोनॉमी और पाक के साथ ऑयल डील
भारत पर टैरिफ लगाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत और रूस को डेड इकोनॉमी बताया।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा- भारत और रूस अपनी अर्थव्यवस्था को साथ ले डूबें, मुझे क्या।
पूरी खबर यहां पढ़ें – टैरिफ वॉर: डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की इकॉनमी को बताया डेड, राहुल गांधी बोले- फैक्ट है, दुनिया जानती है
दूसरी तरफ अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ ऑयल डील होने का ऐलान कर दिया।
अमेरिका पाकिस्तान के तेल भंडारों का विकास करेगा और उसका दावा है कि पाकिस्तान भविष्य में भारत को तेल बेच सकता है।
दरअसल, पाकिस्तान की समुद्री सीमा में पिछले साल सितंबर में तेल और गैस का एक बड़ा भंडार मिला था।
एक सहयोगी देश के साथ मिलकर इलाके में 3 साल तक सर्वे किया गया था, जिसके बाद तेल और गैस रिजर्व की मौजूदगी की पुष्टि हुई।
भंडार से जुड़ी रिसर्च पूरी करने में करीब 42 हजार करोड़ का खर्च आएगा।
इसके बाद समुद्र की गहराई से तेल और गैस निकालने में 4-5 साल लग सकते हैं।
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह भंडार दुनिया का चौथा सबसे बड़ा तेल और गैस का भंडार होगा।
फिलहाल वेनेजुएला में तेल का सबसे बड़ा रिजर्व है, जहां 34 लाख बैरल तेल है।
वहीं, अमेरिका का सबसे शुद्ध तेल का भंडार है, जिसे अब तक इस्तेमाल नहीं किया गया।
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