Next Vice President Of India: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 जुलाई बुधवार को जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
इसके बाद गृह मंत्रालय ने भी इस्तीफे को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया।
21 जुलाई को अचानक से देश के उपराष्ट्रपति ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन ही उनका इस्तीफा काफी चौंकाने वाला है राष्ट्रपति को लिखे त्यागपत्र में जगदीप धनखड़ ने पद छोड़ने की वजह स्वास्थ्य को बताया है।
हालांकि, जो विपक्ष धनखड़ पर लगातार पक्षपात का आरोप लगाता रहा है वो इस कारण से सहमत नहीं है। उन्हें लगता है कि असल वजह कुछ और ही है।
74 साल के जगदीप धनखड़ का कार्यकाल 2 साल से ज्यादा बचा है और उनके इस्तीफे ने हर किसी को चौंका दिया साथ ही कई सवाल भी उठने लगे।
जगदीप धनखड़ के इस्तीफा के पीछे की कहानी क्या है? उनके बाद कौन देश का अगला उपराष्ट्रपति बनेगा?
साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए क्या बिहार से अगला उपराष्ट्रपति बनाया जाएगा?
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कैसे होता है? उम्मीदवार में क्या योग्यताएं होनी चाहिए?
सत्र के बीच में इस्तीफा देने वाले देश के पहले उपराष्ट्रपति
सोमवार 21 जुलाई की रात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफ दे दिया।
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 67(A) के तहत स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद का त्याग किया।
इस खबर ने हर किसी को हैरात में डाल दिया, क्योंकि इस समय संसद का मानसून सत्र चल रहा है और उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति भी होते हैं।
चलते कार्यकाल के बीच में इस्तीफा इससे पहले भी दो राष्ट्रपति दे चुके हैं कृष्ण कांत और वीवी गिरि।
लेकिन, संसद सत्र के बीच में पद से इस्तीफा देने वाले धनखड़ देश के पहले उपराष्ट्रपति हैं।
बहरहाल, मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराष्ट्रपति का इस्तीफा मंजूर कर लिया।
जगदीप धनखड़ राज्यसभा के सभापति के पद से भी हटा दिए गए। यह जानकारी राज्यसभा में पीठासीन घनश्याम तिवाड़ी ने दी।
धनखड़ मंगलवार को सदन की कार्यवाही में भी शामिल नहीं हुए। इससे पहले खबर आई थी कि वह विदाई समारोह में भी शामिल होंगे।
महाभियोग पर क्रेडिट या नड्डा से नाराजगी
मूल रूप से राजस्थान से आने वाले जगदीप धनखड़ 74 साल के हैं।
उन्होंने 10 अगस्त 2022 को देश के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था।
देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे हैं।
जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 महाभियोग प्रस्ताव लाया था, जो बाद में तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था।
अपने इस्तीफे की वजह धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों को बताया, लेकिन राजनीति को समझने वाले लोगों के लिए इस बात को हजम कर पाना आसान नहीं है।
क्योंकि 11 दिन पहले ही 10 जुलाई को एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था, ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त, 2027 में रिटायर हो जाऊंगा।
ऐसे में इस्तीफे को लेकर सवाल उठना तो लाजीमी है।
मानसून सत्र के पहले दिन जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लाया गया।
लोकसभा में प्रस्ताव आने से पहले ही धनखड़ ने विपक्ष के प्रस्ताव को राज्यसभा में स्वीकार कर लिया।
माना जा रहा है कि धनखड़ के इस कदम से सरकार नाराज थी।
इसके अलावा सोमवार सदन की कार्यवाही के बीच में करीब 4.30 बजे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की दूसरी मीटिंग हुई थी।
वहीं सूत्रों की मानें तो मीटिंग में राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा और संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू की गैरमौजूदगी से जगदीप धनखड़ नाराज थे।
हरिवंश नरायण सिंह और नीतीश कुमार रेस में?
खैर जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा इसकी अटकलें तेज हो गई हैं।
चर्चा ये हो रही है कि अगला नाम बिहार राज्य से होगा क्योंकि साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने है और भाजपा हर मुमकिन कोशिश जरूर करेगी इस राज्य को साधने के लिए।
ऐसे में बिहार से JDU सांसद हरिवंश नरायण सिंह संभावित उम्मीदवारों में देखे जा रहे हैं।
जगदीप धनखड़ की गैर हाजिरी में आज अपर सदन की कार्यवाही की शुरुआत उन्होंने ही की।
वे साल 2020 से राज्यसभा के उपसभापति पद पर आसीन हैं। हालांकि, उनका कार्यकाल भी इसी महीने खत्म हो रहा है।
उपराष्ट्रपति का इस्तीफा स्वीकार होने से लेकर नए उपराष्ट्रपति चुने जाने तक राज्यसभा के उपसभापति ही अनुच्छेद 91 के तहत सभापति होते हैं।
लेकिन उन्हें उपराष्ट्रपति का पदभार नहीं मिलता। क्योंकि संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का कोई प्रावधान ही नहीं है।
इसके अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम भी चर्चाओं में आ गया।
विपक्ष का कहना है कि बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए धनखड़ के इस्तीफे की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी।
आरजेडी विधायक मुकेश रोशन ने कहा कि अगला इस्तीफा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का होगा। बीजेपी जेडीयू को खत्म करने में लगी है।
नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाकर बीजेपी राज्य में अपना मुख्यमंत्री बैठाना चाहती है।
हालांकि इन दावों को जेडीयू ने खारिज कर कहा कि नीतीश बिहार के सीएम बने रहेंगे।
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कैसे होता है?
लेकिन अगला उपराष्ट्रपति चुना कैसे जाएगा? ऐसे में ये जानना जरूरी है कि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव कैसे होते है?
उपराष्ट्रपति के चुनाव में दोनों सदनों के सांसद हिस्सा लेते हैं। इनमें राज्यसभा के 245 और लोकसभा के 543 सांसद हिस्सा लेते हैं।
राज्यसभा सदस्यों में 12 मनोनित सांसद भी इसमें शामिल होते हैं।
उपराष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति यानी प्रपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम से होता है।
इसमें वोटिंग खास तरह से होती है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं।
वोटिंग के दौरान वोटर को एक ही वोट देना होता है, लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है।
उपराष्ट्रपति चुनाव का एक कोटा तय होता है।
जितने सदस्य वोट डालते हैं, उसकी संख्या को दो से भाग देते हैं और फिर उसमें 1 जोड़ देते हैं और जो संख्या आती है जीत के लिए उतने वोट जरूरी होते हैं।
उपराष्ट्रपति बनने के लिए ये योग्यताएं होनी चाहिए
अब उपराष्ट्रपति बनने के लिए एक उम्मीदवार में क्या योग्यताएं होनी चाहिए?
सबसे पहले तो उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है।
उम्मीदवार की उम्र 35 साल से ज्यादा होनी चाहिए और वो राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की सारी योग्यताओं को पूरा करता हो।
उम्मीदवार को 15 हजार रुपये भी जमा कराने होते हैं, ये जमानत राशि की तरह होते हैं।
चुनाव हार जाने पर या 1/6 वोट नहीं मिलने पर ये राशि जमा हो जाती है।
उपराष्ट्रपति की सैलरी और मिलने वाली सुविधाएं
भारत के उपराष्ट्रपति कितनी सैलरी और क्या क्या सुविधाएं मिलती है ये भी जान लेते हैं?
उपराष्ट्रपति को हर महीने लगभग 4 लाख रुपये वेतन मिलता है।
यह वेतन “संसद अधिकारी के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1953” के तहत तय किया गया है।
2018 से पहले उपराष्ट्रपति का वेतन 1.25 लाख रुपये प्रति माह था, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 4 लाख रुपये कर दिया गया।
उपराष्ट्रपति को मिलने वाली अन्य सुविधाएं निःशुल्क आवास, यात्रा सुविधा, चिकित्सा सुविधा, Z कैटेगरी की सिक्योरिटी समेत अन्य भत्ते जैसे ड्राइवर, सहायक, लैंडलाइन, मोबाइल कनेक्शन और दैनिक भत्ते भी मिलते हैं।
पद छोड़ने के बाद सैलरी का 50% पेंशन के रूप में दिया जाता है। यानी लगभग 2 लाख रुपये प्रति माह। इसके अलावा सरकारी सुरक्षा, फ्री मेडिकल सुविधा और यात्रा भत्ता भी पूर्व उपराष्ट्रपति को मिलता है।
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