Yemen Kerala Nurse Case: यमन में हत्या के मामले में फांसी की सजा पा चुकी केरल की नर्स निमिषा प्रिया को बचाने की आखिरी कोशिशों के बीच भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अब इस पर सुनवाई करने की सहमति दे दी है।
गुरुवार को जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने याचिका स्वीकार करते हुए 14 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की है।
याचिका में मांग की गई है कि अदालत केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह राजनयिक स्तर पर यमन सरकार से हस्तक्षेप करे और निमिषा की फांसी रुकवाने के प्रयास तेज करे।
जानें क्या है पूरा मामला?
केरल की रहने वाली निमिषा प्रिया 2008 में नौकरी के सिलसिले में यमन गई थीं।
वहां उन्होंने एक स्थानीय नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर प्राइवेट क्लिनिक खोला।
आरोप है कि महदी ने निमिषा को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और यमन से बाहर जाने से रोका।
परेशान निमिषा ने जुलाई 2017 में महदी को बेहोश करने की कोशिश की लेकिन ओवरडोज से उसकी मौत हो गई।
इसके बाद शव को टुकड़े कर पानी की टंकी में फेंकने का आरोप भी उन पर लगा।
पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने मौत की सजा सुना दी।
राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने भी दिसंबर 2024 में इस सजा को मंजूरी दे दी।
कैसे हुई कहानी की शुरुआत?
2012 : निमिषा ने यमन में एक हॉस्पिटल में नर्स की नौकरी ज्वाइन की।
2014 : निमिषा यमन के नागरिक तलाल से मिली।
2015 : अप्रैल में निमिषा ने पाटनर्शिप में एक हॉस्पिटल खोला।
2017 : तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट अपने पास रखकर उसे बंधक बना लिया।
2017 में ही तलाल को निमिषा ने इंजेक्शन देकर मौत के घाट उतार दिया, इसी के बाद निमिषा की मां ने दिल्ली हाईकोर्ट से यमन जाने की मांगी।
2023 : 17 नवंबर को हाईकोर्ट ने ब्लड मनी पर बातचीत से इंकार कर दिया। इसी साल 12 दिसंबर को हाईकोर्ट ने निमिषा की मां को यमन जाने की इज़ाजत दे दी।
फांसी से बचने की आखिरी उम्मीद
निमिषा 2017 से यमन की जेल में बंद हैं और यमन नागरिक की हत्या के मामले में उन्हें 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी।
शरिया कानून के मुताबिक, हत्या के मामलों में ब्लड मनी (दीया) देकर पीड़ित पक्ष से माफी ली जा सकती है।
निमिषा की मां ने संपत्ति बेचकर और क्राउडफंडिंग के जरिए ब्लड मनी जुटाने की कोशिश की है, लेकिन अब तक महदी का परिवार इसे स्वीकार नहीं कर रहा है।
मामले में विदेश मंत्रालय का कहना है कि वे लगातार यमन प्रशासन और निमिषा के परिवार के संपर्क में हैं और हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
निमिषा की मां फिलहाल यमन में ही हैं और बेटी को फांसी से बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
अब निगाहें 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जो शायद निमिषा प्रिया की जिंदगी की आखिरी उम्मीद हो सकती है।
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