567 दिनों से जारी मणिपुर की हिंसा और अमित शाह के शांति लाने के अथक प्रयास

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‘जो मणिपुर में शांति सुनिश्चित नहीं कर सकते, वे वहां सरकार चलाने के हक़दार नहीं हैं।’

2017 मे ये ट्वीट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था, हालांकि तब राज्य में सरकार भाजपा की नहीं थी। प्रधानमंत्री न सिर्फ मणिपुर को लेकर आश्चर्यजनक खामोशी ओढ़े हुए हैं, बल्कि उन्होंने हिंसा होने के बाद वहाँ का दौरा भी नहीं किया। इन दिनों वे तीन देशों के दौरे पर निकले हुए हैं. सारा जिम्मा गृहमंत्री अमित शाह के कंधों पर है।

अमित शाह ने मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए जितना पसीना बहाया है, उतनी जान अभी तक न भारत के या फिर दुनिया के किसी गृहमंत्री ने नहीं लगाई होगी. शायद दिक्कत मणिपुर की ही है, वह इतनी कोशिशों के बाद में अमन चैन की वापसी में खुद रोड़ा बना हुआ है. फिर भी प्रेम पणिक्कर ने अपने सब्सटैक पेज पर इस जतन के बारे में लिखते हुए हालांकि पूछा है कि क्या अमित शाह से भी ज्यादा नाकाबिल गृहमंत्री कोई हुआ है?

हालांकि मेहनत में कोई कमी नहीं रही. शनिवार को अमित शाह महाराष्ट्र में चुनावी कार्यक्रम छोड़कर दिल्ली लौटे गृह मंत्रालय में अफसरों की बैठक की और मणिपुर में शांति बहाली के लिए हरसंभव प्रयास करने के निर्देश दिये. इस सोमवार को राज्य में हिंसा शुरू हुए 567 दिन हो गये।

शांति के प्रयास और नीयत पर शक किया जाना सही नहीं है. शाह ने हिंसा शुरू होते ही कह दिया था कि समाज के सभी वर्गों को इंसाफ मिलेगा और लोगों से शांति बहाल करने की अपील की थी. 25 मई 2023 को वह असम के कामरूप जिले में कोई शिलान्यास कर रहे इसी के छह दिन बाद शाह ने 31 मई 2023 को मणिपुर से निवेदन किया कि 15 दिन के लिए शांति कर ली जाए. उसी दिन यह भी खबर आई थी कि अमित शाह के मणिपुर दौरे से महत्वपूर्ण विकास हुए हैं, जिससे राज्य में शांति और सामान्य जीवन बहाल हो सके।इसके अगले ही दिन अमित शाह ने 1 जून 2023 को ऐलान किया कि हिंसा में 80 लोगों की मौत होने और बहुतों के घायल होने की घटना की जाँच एक रिटायर हो चुके हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में समिति करेगी। उन्होंने कहा कि जाँच समिति वे सारी बातें उजागर कर देगी, जिनकी वजह से महीने भर हिंसा चली. हिंसा का जिम्मेदार कौन है? इस जाँच समिति ने कौन से रहस्योद्घाटन किया, अभी तक अज्ञात है।

24 जून 2023 को अमित शाह ने कहा कि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मणिपुर की घटनाओं पर करीब से निगाह रखकर लगातार मॉनिटर कर रहे हैं।

इसके अगले ही दिन 25 जून 2023 को अमित शाह ने मणिपुर में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को राज्य में शांति बहाल करने के लिए और मेहनत करने का हुक्म दिया।

10 अगस्त 2023 को अमित शाह ने संसद में दो घंटे भाषण दिया और फिर मणिपुर में शांति की अपील की. इतना ही नहीं उन्होंने विपक्ष को भी इस मसले का राजनीतिकरण करने के लिए झाड़ लगाई।

पणिक्कर ने अपने लेख में लिखा है कि वह इसमें और तारीखें जोड़ सकते हैं. कोई भी जोड़ सकता है, सिर्फ इतना ही गूगल करना है- अमित शाह मणिपुर. पूरी क्रोनोलॉजी सामने आ जाती है।पणिक्कर पहले भी कई बार मणिपुर और अमित शाह की कुशलता पर अपने सब्सटैक पर लिखते रहे हैं, जिन्हें आप यहाँयहाँ और यहाँ पढ़ सकते हैं।

567 दिनों से चल रही बिना रुकी हिंसा. सैकड़ों मौतें. लाखों बेघर. कर्फ्यू बार-बार. आफ्स्पा वापस।

अमित शाह अभी भी शांति के लिए काम किये जा रहे हैं. हिंसा की ताज़ा घटना 11 नववंबर 2024 को हुई। 15 नववंबर 2024 को सीआरपीएफ कैम्प पर हमला हो गया. इतवार को जनप्रतिनिधियों का पीछा और उन पर हमला हो रहा है।

अमित शाह ने महाराष्ट्र से दिल्ली लौटकर एक और बार स्थिति का जायजा लिया, और आला सुरक्षा अफसरों से कहा कि हिंसा रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं ।इस बात को उस अफसर के हवाले से प्रेस ने छापा, जिसने कहा मेरा नाम नहीं बताना।

पणिक्कर पूछते हैं कि भारत के इतिहास में अगर कोई अमित शाह से भी ज्यादा नाकाबिल गृहमंत्री है? अगर आप जानते हैं तो उन्हें यहाँ बता सकते हैं।

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