Vice President Election 2025: देश को नया उपराष्ट्रपति अगस्त के आखिर तक मिल सकता है।
चुनाव आयोग (ECI) ने बुधवार को कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं।
सूत्रों के मुताबिक अगले 72 घंटों में चुनाव कार्यक्रम घोषित हो सकता है।
गौरतलब है कि 21 जुलाई सोमवार की रात जगदीप धनखड़ ने देश के 14वें उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था।
अगले ही दिन 22 जुलाई बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस्तीफा स्वीकार कर लिया।
चुनाव आयोग ने प्रेस नोट में कहा कि यह चुनाव ‘राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952’ और ‘राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव नियम, 1974’ के अनुसार होगा।
आयोग ने तीन प्रमुख तैयारियों की शुरुआत कर दी है।
ECI की 3 मुख्य तैयारियां
1 – इलेक्टोरल कॉलेज (मतदाता समूह) की तैयारी: इसमें राज्यसभा और लोकसभा के सभी निर्वाचित एवं मनोनीत सदस्य शामिल होंगे।
2 – मुख्य निर्वाचन अधिकारी और सहायक निर्वाचन अधिकारियों की नियुक्ति: चुनाव की पारदर्शिता और प्रक्रिया की निगरानी के लिए यह कदम उठाया गया है।
3 – पिछले चुनावों की पृष्ठभूमि तैयार करना और साझा करना: आयोग पूर्व उपराष्ट्रपति चुनावों से जुड़ी जानकारी और प्रक्रियाओं की समीक्षा कर रहा है।
क्या होता है उपराष्ट्रपति चुनाव का प्रोसेस?
- भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज द्वारा किया जाता है, जिसमें केवल राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य शामिल होते हैं।
- यह चुनाव गुप्त मतपत्र प्रणाली से होता है और प्रो-रिप्रेजेंटेशन (अनुपातिक प्रतिनिधित्व) का तरीका अपनाया जाता है।
- चुनाव आयोग इस पूरी प्रक्रिया का संचालन करता है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत शक्ति प्राप्त है।
- उपराष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग खास तरह से होती है, जिसे सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम कहते हैं।
- वोटिंग के दौरान वोटर को एक ही वोट देना होता है, लेकिन उसे अपनी पसंद के आधार पर प्राथमिकता तय करनी होती है।
- उपराष्ट्रपति चुनाव का एक कोटा तय होता है। जितने सदस्य वोट डालते हैं, उसकी संख्या को दो से भाग देते हैं और फिर उसमें 1 जोड़ देते हैं और जो संख्या आती है जीत के लिए उतने वोट जरूरी होते हैं।
धनखड़ का कार्यकाल 2027 तक था
धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन 21 जुलाई की रात उन्होंने अचानक अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंप दिया।
राष्ट्रपति ने 22 जुलाई को इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उसी दिन गृह मंत्रालय ने इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया।
धनखड़ के इस्तीफे की टाइमिंग खास इसलिए है क्योंकि यह संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन आया और राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का विषय बन गया।
धनखड़ ने अपने त्यागपत्र में स्वास्थ्य कारणों को इस्तीफे की वजह बताया है। लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक रणनीति से जोड़कर देख रहा है।
विपक्ष का मानना है कि इस्तीफे की असली वजह कुछ और हो सकती है, शायद सत्ता पक्ष से मतभेद या अन्य रणनीतिक समीकरण।
ये खबर भी पढ़ें – जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की पूरी कहानी: क्या बिहार चुनाव के चलते पहले ही लिखी जा चुकी थी पटकथा?
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