हाय! हाय ! इंडिगो …. इंडिगो की यात्रा यानी त्रासदी की गारंटी

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कलापिनी कोमकली, शास्त्रीय गायिका ने इंडिगो के सफर से मिले  कर्कश अनुभव को साझा किया
(कलापिनी कोमकली कालजयी शास्त्रीय गायक पंडित कुमार गंधर्व की बेटी और शिष्या हैं )

सुबह 9 बजे 6E7 5074 की दिल्ली से इंदौर की फ्लाईट लेनी थी।मैं सुबह 6.40 पर T3 पर पहुंच गई।
लंबी लंबी कतार से होते हुए टर्मिनल के अंदर पहुंची तो पता चला नए रंगरूट के अनुसार अब कोई स्टाफ आपका बोर्डिंग पास नही देगा न ही सामान लेगा।आपको ही ऑटोमैटिक kioske से अपना पास और बैगेज टैग लेकर अपने सामान पर यथावत लगाकर अपने से ही ऑटोमैटिक मशीन में रखना होगा।चलो ठीक है,यह भी कर दिया…फिर से लंबी लंबी कतारों को पार किया और सेक्युरिटी से बाहर आ गई।
देखा की फ्लाइट गेट नो 60 से प्रस्थान करेगी।
सुबह के 7.35/40 हो रहे थे,सोचा कुछ खा लेते हैं
फिर अपन चले गेट 60 की ओर…कार्ट से जाना ठीक समझा क्योंकी गेट बिलकुल अंतिम छोर पर था,समय भी हो चला था।
8.20 पर देखा की गेट पर सन्नाटा है। भाई क्या बात है?अब तक बोर्डिंग शुरू नही हुई ??
जवाब मिला-आ रहे हैं
फिर इंतजार शुरू हुआ, 10 मि,15 मि,करते करते 9.25से ऊपर हो चले।फिर बोर्डिंग शुरू हुई।लाइन में लगे साहब..
फिर 15 से 20 मि खड़े हैं साहब कॉरिडोर में
अंततः खुल जा सिमसिम की तर्ज पर दरवाजा खुला, जैसेही मैने क्राफ्ट में कदम रखा खतरनाक गर्मी लगी।मैने हवाई सुंदरी से पूछा की “ये क्या है?अब तक एअर कंडीशन क्यों शुरू नही हुआ?”
जवाब आया-“हो रहा है”
ठीक है साहब
फिर उबालती गर्मी में बैठे बैठे 30/35 मि हो चले, फ्लाइट हिलने का नाम न ले।
कुछ लोग उठकर स्टाफ से पूछने गए,फिर कुछ जोर से बोल पड़े,फिर कुछ और जोर से लड़ पड़े की भाई माजरा क्या है?
दोनो पायलट पता नही रशिया के थे या किसी और देश के अंग्रेजी जिस लहज़े में बोल रहे थे किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
फिर एक इंदौरी भाई सीधे हवाई सुंदरी के पास गए और बोले,”मैडम ठीक से बता दो क्या हो रिया है यां पे, ओर कित्ती देर बिठाओगे गर्मी में”
इतनी देर में कुछ लोगों को गर्मी से चक्कर आने वाली स्थिति बन गई।
खूब हल्ला मचा, “भई जब मालूम था कि एयर कंडीशन काम नही कर रहा तो बिठाया क्यों”
इतने में ग्राउंड स्टाफ के एक वीरजी का उद्गम हुआ,बस फिर क्या था सबने उनपर सवालों की झड़ी लगा दी।
“सर थोड़ा समय दीजिए मुझे,बताता हूं”वे बोले
“अरे थोड़ा समय से क्या मतलब तुम्हारा?  हैं?
अब तक 2 घंटे हो चुके हैं ,थोड़ा समय याने कितना? बेवकूफ बना रहे हो सबको”
हमारे लिए बाहर निकलना जरूरी है ,अंदर सांस लेना कठिन है”
फिर वीर जी बोले नही सर आप बाहर नहीं निकल सकते”
एक इंदौरी फिर आगे आया-देख भाई सीधे से कॉरिडोर से आगे का दरवाजा खुलवादो वरना मैं कांच का दरवाजा तोड़ दूंगा”
फिर इंतजार,अंततः हम मुख्य गेट 60 से वापस अंदर आए ।
आगे आगे वीर जी पीछे पीछे जनता…
गेट 60 से गेट 1तक पैदल यात्रा…
फिर ट्रांसफर पैसेंजर के कॉरिडोर से फिर से चेक इन की कवायद और सीढी चढ़कर एयरपोर्ट के मुख्य आगमन में सब के सब हाज़िर।
और यह क्या..फिर से गेट नो 60 पर जाने का बोर्ड पर आदेश,अनुमानित प्रस्थान समय दोपहर 12
सिर पीट लिया।
फिर से घूमते फिरते पंहुचे भिया 60 पे
इंतजाssssर फिर शुरू..
45 मि बाद स्टाफ में से एक ने कहा”गेट 44B पर जाइए,हो साब ये चले।
फिर इंतजा ssss र
आप पढ़ते पढ़ते थक तो नही गए ,अभी शेष है…

फ्लाईट में  बैठे हुए 15/20 मि हुए होंगे
फिर हल्ला “अब क्या है,कितनी देर करोगे”
कई लोग सुबह आकार शाम को दिल्ली लौटने वाले थे, कुछ को गमी केलिए पहुंचना था,कुछ को अगली किसी फ्लाईट में जाना था,कोई लंबी दूरी से आ रहे थे जो सड़ गए इस पूरी कवायद में।
मेरा सर भन्ना रहा था।
इतने में वीर जी फिर प्रकट हुए,तब एक पैसेंजर उठ खड़ा हुआ की बहुत हुआ,”मैं तो वापिस जाना चाहता हूं निकालो मेरा सामान”
“नही सर आप ऐसे नही जा सकते” वीर जी बोले
अच्छा सुबह से चल रहे इस पूरे घटनाक्रम में हवाई सुंदरियों से कुछ भी पूछो तो झूठी मुस्कुराहट लाने की कोशिश करते हुए “we will let you know”के अलावा कुछ बताने को तैयार नहीं।
तो वो भाई तो निकल लिए,और उनका सामान जो लगेज में दिया था,उसे भी उतारा गया,इस सबमें फिर 15मि का समय गया
वीर जी प्रकट हुए और बोले केबिन बैगेज को identify करना होगा। फिर जांच शुरू हुई।उसमे एक बैग ऐसा निकला जिसके लीये कोई हां न बोला।
कई बार आवाज लगाकर उन्होंने पूछा,फिर भी कोई हलचल नहीं।अब ये नई मुसीबत आन पड़ी। वीर जी सर पर बैग रखकर पीछे से आगे तक दिखाते हुए आए ।
इतने में एक इंदौरी भाई जोर से बोले
“अरे देख लो रे,कोई सो तो नि रिया है”
इतने में एक बंदा जो शायद वाशरूम में था बोला “मेरा है “

लो साब जान में जान आई
और फिर अंततः हवाई जहाज के दरवाजे दोपहर 2.10 बजे बंद हुए तब सब ने तालियां बजाईं की चलो छूटे।
इंडिगो स्टाफ ने पहले से बताया नही की क्राफ्ट में खराबी है।
न ही यात्रियों को किसी प्रकार की सूचना दी गई।
यात्रियों को उबलती गर्मी में तब तक बैठाए रखा जब तक हल्ला,लड़ाई की नौबत नहीं आई।
स्टाफ को कोई जानकारी नहीं।कोई जिम्मेदारी से जवाब तक नही देने को तैयार।
उड़ान भरने पर एक थैली पकड़ा दी जिसमें फ्रूटी और दांत तोड़  एक बिस्कुट निकला।
सोचने वाली बात है की किसी एक एयरलाइंस का वर्चस्व कितना तकलीफदायक हो सकता है।
यात्रियों के प्रति जवाबदेही तो हो।
सुबह 6.30से दोपहर 3.35 तक हवाहवाई
इति श्री इंडिगो नमः

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