Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत के बीच जारी टैरिफ विवाद अब कूटनीतिक तनाव में तब्दील हो गया है।
ट्रंप ने शुक्रवार (5 सितंबर 2025) को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा।
“ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है। उम्मीद है कि उनका भविष्य लंबा और समृद्ध हो।”
इस बयान ने न सिर्फ भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव को गहरा दिया, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी नए समीकरणों की ओर संकेत कर दिया है।
ट्रंप ने इस पोस्ट के साथ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की तस्वीर भी साझा की।
जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग एक साथ नजर आ रहे थे।
यही वजह है कि उनके बयान को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा और तेज हो गई है।
भारत पर 50% टैरिफ से शुरू हुआ विवाद
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते महीने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया था।
30 जुलाई को उन्होंने भारत पर 25% टैरिफ का ऐलान किया, जो 7 अगस्त से लागू हुआ।
इसके तुरंत बाद, 6 अगस्त को उन्होंने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने का हवाला देते हुए 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया, जो 27 अगस्त से लागू हुआ।
कुल मिलाकर यह शुल्क अमेरिका को भेजे जाने वाले भारत के 55% से ज्यादा निर्यात पर लागू हुआ।
ट्रंप का तर्क था कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर खुले बाजार में बेच रहा है और इससे व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध जारी रखने में मदद मिल रही है।
ट्रंप ने कोर्ट में किया टैरिफ का बचाव
ट्रंप ने 4 सितंबर को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की।
इसमें उन्होंने निचली अदालत के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें कहा गया था कि राष्ट्रपति मनमाने ढंग से हर आयात पर टैरिफ नहीं लगा सकते।
ट्रंप ने अदालत में दलील दी कि भारत पर टैरिफ रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने और अमेरिकी हितों की रक्षा करने के लिए बेहद जरूरी हैं।
हालांकि, अमेरिका की अपील कोर्ट पहले ही ट्रंप के ज्यादातर टैरिफ को गैरकानूनी करार दे चुकी है।
अदालत का कहना था कि 1977 का International Emergency Economic Powers Act (IEEPA) राष्ट्रपति को इतनी व्यापक शक्ति नहीं देता कि वह हर आयात पर भारी टैरिफ लगा सकें।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि ट्रंप के पास “असीमित अधिकार” नहीं हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए इस फैसले के लागू होने पर अक्टूबर तक रोक लगी है।
SCO सम्मेलन ने दिया नया संदेश
चीन में हुए SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी, शी जिनपिंग और पुतिन की गर्मजोशी भरी मुलाकात को ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ एक सख्त संदेश माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस मंच पर भारत, रूस और चीन का एक साथ आना अमेरिका की टैरिफ नीति के खिलाफ नए “वर्ल्ड ऑर्डर” का संकेत है।
7 साल बाद पीएम मोदी की चीन यात्रा और शी जिनपिंग के साथ उनकी सकारात्मक बातचीत ने यह भी दिखाया कि गलवान संघर्ष के बाद आई कड़वाहट अब काफी हद तक कम हो चुकी है।
शी जिनपिंग ने मोदी का विशेष रूप से गर्मजोशी से स्वागत कर कहा कि भारत और चीन का दोस्त व अच्छे पड़ोसी बनना बेहद जरूरी है। हाथी और ड्रैगन का साथ आना एशिया और दुनिया के लिए अहम है।
वहीं, ट्रंप के बयान पर भारत के विदेश मंत्रालय से जब प्रतिक्रिया मांगी गई तो प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसे टालते हुए कहा कि इस पर हमारे पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है।
विश्लेषकों का मानना है कि भारत फिलहाल सार्वजनिक रूप से अमेरिका से टकराव से बचना चाहता है।
लेकिन SCO सम्मेलन में मोदी की सक्रिय भूमिका इस बात का संकेत देती है कि भारत अब संतुलन की बजाय चीन और रूस के करीब आ रहा है।
भारत-अमेरिका ट्रेड डील एकतरफा त्रासदी
SCO सम्मेलन के बाद ट्रंप ने भारत-अमेरिका व्यापारिक समझौते पर भी तीखा हमला बोला।
उन्होंने कहा, यह डील एकतरफा त्रासदी है। अमेरिकी कंपनियां भारत में अपना सामान बेचने में असमर्थ हैं।
जबकि भारत रूस से भारी मात्रा में तेल और सैन्य उपकरण खरीदता है और अमेरिका से बहुत कम।
ट्रंप ने दावा किया कि भारत अब 0% टैरिफ का ऑफर दे रहा है, लेकिन इसे उन्होंने “हुत देर से लिया गया फैसला बताया।
उनके मुताबिक, अगर उन्होंने भारत पर टैरिफ न लगाए होते तो भारत ऐसा ऑफर कभी नहीं करता।
अमेरिका में छोटे कारोबारियों के वकील ने कहा कि ट्रंप के लगाए गए टैरिफ से छोटे व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है।
उन्होंने कोर्ट से जल्द फैसला देने की अपील की। यह टैरिफ अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए भी महंगाई बढ़ाने वाले साबित हो रहे हैं।
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