Udaipur Files Controversy: राजस्थान के चर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड पर आधारित फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज पर दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई रोक के खिलाफ इसके निर्माता सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं।
फिल्म 12 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली थी, लेकिन रिलीज से एक दिन पहले हाईकोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी।
अब फिल्म प्रोड्यूसर्स के वकील गौरव भाटिया ने सुप्रीम कोर्ट से अर्जेंट सुनवाई की मांग करते हुए कहा है कि फिल्म को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिल चुका है और देशभर के थिएटर बुक हो चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सूचीबद्ध कर लिया है और जल्द सुनवाई के संकेत दिए हैं।
जानें क्या है पूरा मामला?
फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ साल 2022 में हुए उस हत्याकांड पर आधारित है, जिसमें उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल की दुकान में घुसकर गला रेतकर हत्या कर दी गई थी।
हत्या के पीछे कारण बताया गया कि कन्हैयालाल ने एक कथित इस्लाम विरोधी पोस्ट शेयर की थी। हत्या के मुख्य आरोपी गौस मोहम्मद और रियाज अत्तारी को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
इसके बाद एनआईए ने जांच अपने हाथ में लेकर इसे आतंकी घटना घोषित किया और 11 आरोपियों के खिलाफ यूएपीए समेत अन्य धाराओं में चार्जशीट दाखिल की।
फिल्म का ट्रेलर रिलीज होते ही विवादों में आ गया। जमीयत उलेमा-ए-हिंद, दारुल उलूम देवबंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी और एक आरोपी मोहम्मद जावेद ने फिल्म के खिलाफ याचिकाएं दायर कीं।
आरोप लगाया गया कि फिल्म के कंटेंट से सांप्रदायिक तनाव भड़क सकता है और यह फेयर ट्रायल के अधिकार का उल्लंघन है क्योंकि केस अब भी अदालत में लंबित है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने क्यों लगाई रोक?
11 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच (जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस अनीश दयाल) ने तीन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की चिंताओं पर केंद्र सरकार सिनेमैटोग्राफ एक्ट की धारा 6 के तहत पुनरीक्षण करें, तब तक फिल्म रिलीज नहीं हो सकती।
कोर्ट का मानना है कि फिल्म की रिलीज से सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है और समाज में तनाव पैदा हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
फिल्म के निर्माता की अगुआई कर रहे एडवोकेट गौरव भाटिया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और तर्क दिया कि सेंसर बोर्ड से फिल्म को सर्टिफिकेट मिल चुका है और फिल्म की रिलीज के लिए देशभर के थिएटर पहले ही बुक हो चुके हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने एक दिन पहले रात 8 बजे अचानक रिलीज पर रोक लगा दी, जबकि फिल्म 12 जुलाई को रिलीज होने वाली थी।
जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने जब पूछा कि क्या फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है, तो इस पर भाटिया ने कहा कि यह घटना सच्ची है और इस पर बोलना, दिखाना हमारा मौलिक अधिकार है।
हालांकि, कोर्ट ने 15 जुलाई को सुनवाई करने से इनकार कर दिया और इसे बुधवार या किसी अन्य दिन सूचीबद्ध करने की बात कही।
कन्हैयालाल की पत्नी ने PM को लिखा पत्र
इस बीच कन्हैयालाल की पत्नी जशोदा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक भावनात्मक पत्र लिखा है।
उन्होंने लिखा, मैंने खुद फिल्म देखी है। इसमें वही दिखाया गया है जो हमारे साथ हुआ था।
इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अब वे लोग जिन्होंने हमारे पति को मारा, कह रहे हैं कि इसे दिखाया भी नहीं जा सकता?
जशोदा ने आरोप लगाया कि मुस्लिम संगठनों ने कोर्ट में जाकर फिल्म रुकवा दी, जबकि यह कहानी तो उनके परिवार की सच्चाई पर आधारित है।
उन्होंने पीएम मोदी से आग्रह किया कि फिल्म की रिलीज की अनुमति दी जाए ताकि सच्चाई दुनिया के सामने आ सके। उन्होंने प्रधानमंत्री से मिलने के लिए समय भी मांगा है।
वहीं कन्हैयालाल के बेटे यश तेली ने कहा कि, फिल्म पर रोक लगाने की सुनवाई तो फौरन हो जाती है।
लेकिन हमारे पिता की हत्या को 3 साल हो चुके हैं, फिर भी दोषियों को सजा नहीं मिली। केस अब तक लंबित है।
ऐसा क्या है फिल्म में आपत्तिजनक?
फिल्म के ट्रेलर में नूपुर शर्मा का विवादित बयान, ज्ञानवापी मंदिर का जिक्र और कुछ संवादों को लेकर आपत्ति जताई गई है।
वाराणसी में भी मुस्लिम संगठनों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई जाए।
बता दें अब कन्हैयालाल हत्याकांड केस में एनआईए ने 11 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है।
इनमें दो आरोपी सलमान और अबू इब्राहिम पाकिस्तान के कराची के निवासी हैं, जो अभी फरार हैं। बाकियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।
इनमें से दो – फरहाद मोहम्मद उर्फ बबला और मोहम्मद जावेद – को क्रमश: सितंबर 2023 और सितंबर 2024 में जमानत मिल चुकी है।
बहरहाल, इस विवादित हत्याकांड पर बनी फिल्म भी रिलीज से पहले विवादों में घिर कर ही रह गई है।
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