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American education department closed-वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका में 20 लाख करोड़ रुपये बजट वाला शिक्षा विभाग बंद हो गया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने शिक्षा विभाग बंद करने से जुड़े आदेश (एग्जीक्यूटिव ऑर्डर) पर दस्तखत कर दिया। ट्रम्प ने कहा की अमेरिका का शिक्षा विभाग छात्रों को बेहतर शिक्षा नहीं दे पा रहा है। अमेरिका, शिक्षा पर विश्व के किसी भी देश से ज्यादा खर्च करता है लेकिन यहाँ छात्र कोई कीर्तिमान नहीं रच पाते हैं।
अपने भाषण में ट्रम्प ने शिक्षकों की तारीफ की और कहा कि उनका ध्यान रखा जायेगा। और बताया कि दिव्यांग बच्चों के लिए ग्रांट और फंडिंग जैसे जरूरी प्रोग्राम जारी रहेंगे। ये प्रोग्राम अन्य एजेंसियों को सौंपे जाएंगे।
ट्रम्प जब इस आर्डर पर हस्ताक्षर कर रहे थे तब शिक्षा मंत्री लिंडा मैकमोहन वहीँ मौजूद थीं। ट्रम्प कहा इनके लिए कुछ काम निकाला जायेगा। ट्रम्प के मुताबिक राज्यों और स्थानीय समुदायों को इसकी जिम्मेदारी मिलेगी। मालूम हो की अमेरिका में 2024 में शिक्षा विभाग का बजट 238 बिलियन डॉलर (20.05 लाख करोड़ रुपये) था। इसके बावजूद 13 साल के बच्चों की मैथ और रीडिंग का स्कोर सबसे निचले स्तर पर है। चौथी क्लास के 10 में से 6 और आठवीं कक्षा के करीब तीन-चौथाई स्टूडेंट को ठीक तरह से मैथ्स नहीं कर पाते। चौथी और आठवीं क्लास के 10 में से 7 स्टूडेंट ठीक से पढ़ नहीं पाते, जबकि चौथी क्लास के 40% स्टूडेंट बेसिक रीडिंग का स्तर भी पूरा नहीं कर पाते हैं।
अपना काम नहीं कर रहे स्कूल
ट्रम्प का आरोप है कि अमेरिकी स्कूल बच्चों को रेडिकल और एंटी अमेरिकन बना रहे हैं। ट्रम्प स्कूल से जेंडर डिस्फोरिया को खत्म करना चाहते हैं। जेंडर डिस्फोरिया को इस उदाहरण से समझ सकते हैं कि कोई व्यक्ति जो जन्म के समय महिला के रूप में पहचाना गया (जैविक लिंग), लेकिन खुद को पुरुष के रूप में महसूस करता है (लिंग पहचान)। ऐसे में वह खुद के पुरुष होने का दावा कर सकता है। ट्रम्प इसे ‘ट्रांसजेंडर पागलपन’ कहते हैं।
शिक्षा विभाग को बंद करना मुश्किल
एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रम्प के आदेश के बाद शिक्षा विभाग को बंद करना मुश्किल है। इसे बंद करने लिए अमेरिकी सीनेट (संसद का ऊपरी सदन) में 60 वोटों की जरूरत होगी, लेकिन ट्रम्प की रिपब्लिकन के पास सिर्फ 53 सीटें हैं। ट्रम्प को 7 डेमोक्रेटिक सांसदों का वोट चाहिए जो कि राजनीतिक तौर पर असंभव है।
पिछले साल भी शिक्षा विभाग को समाप्त करने की कोशिश हुई थी। इसे एक अन्य विधेयक में संशोधन के रूप में जोड़ा गया था, लेकिन यह पारित नहीं हो सका क्योंकि सदन में सभी डेमोक्रेट्स के साथ 60 रिपब्लिकनों ने भी इसके विरोध में वोटिंग की थी।
एक ‘राजनीतिक नाटक’
अमेरिकन काउंसिल ऑन एजुकेशन के अध्यक्ष टेड मिशेल ट्रम्प के इस फैसले की निंदा करते हुए इसे एक ‘राजनीतिक नाटक’ करार दिया। उन्होंने कहा कि इस फैसले से फंडिंग में कमी आएगी जिससे विभाग में कर्मचारियों की संख्या में कटौती होगी। इससे देश में हायर एजुकेशन को नुकसान पहुंचेगा।
वहीं शिक्षा विभाग ने इसे ऐतिहासिक बताया। विभाग ने कहा- हम कानून का पालन करेंगे। संसद और राज्यों के साथ मिलकर नौकरशाही को खत्म करेंगे। इस फैसले से अमेरिकी छात्रों की आने वाली पीढ़ियां मुक्त होंगी और वे बेहतर शिक्षा हासिल कर पाएंगे।
करोड़ों खर्च परिणाम शून्य
शिक्षा विभाग को 1979 में अमेरिकी संसद ने स्थापित किया था। इसके पास स्कूलों की फंडिंग की जिम्मेदारी है। व्हाइट हाउस के आंकड़ों के अनुसार
डिपार्टमेंट पिछले 40 सालों में भारी खर्च के बावजूद एजुकेशन में सुधार करने में असफल रहा है।
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