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Justice Varma case-न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के नकदी बरामदगी मामले में
28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी सुनवाई होगी।
उन्होंने अपने खिलाफ तीन न्यायाधीशों के पैनल की रिपोर्ट को चुनौती दी है।
जिसमें जांच में प्राकृतिक न्याय के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
न्यायपालिका में हड़कंप
इस हाई-प्रोफाइल केस के बाद लोकसभा और राज्यसभा दोनों में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव भी पेश किए गए हैं, जिससे न्यायपालिका में हड़कंप मच गया है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह शामिल होंगे।
यह मामला कैश कांड से जुड़ा है। पिछली सुनवाई में कई दिग्गज वकील पेश हुए थे।
कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी, राकेश द्विवेदी, सिद्धार्थ लूथरा और
सिद्धार्थ अग्रवाल वर्मा की ओर से अदालत में थे।
कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस से जल्द सुनवाई की अपील की थी।
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि मैं इससे जुड़ा रहा हूं। इसलिए सुनवाई नहीं करूंगा।
उन्होंने कहा था कि हम एक अलग बेंच बनाएंगे। अब विशेष बेंच का गठन किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 28 जुलाई को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करेगा।
जिसमें उनके खिलाफ तीन न्यायाधीशों के पैनल की रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की गई है।
जस्टिस वर्मा कैश कांड में 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होगी बड़ी सुनवाई
जस्टिस वर्मा ने की थी याचिका दायर
न्यायमूर्ति वर्मा ने पिछले हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
‘नकदी बरामदगी मामले’ में उनके खिलाफ तीन न्यायाधीशों के आंतरिक जाँच पैनल के निष्कर्षों को चुनौती दी थी।
याचिका में पैनल की रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की गई है, जिसमें पुख्ता सबूत मिले थे।
तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश को भी चुनौती दी गई है।
अपनी याचिका में न्यायमूर्ति वर्मा ने तर्क दिया कि जांच में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई तथा गवाहों से जिरह करने का अवसर नहीं दिया गया।
अपनी याचिका में उन्होंने कहा कि जांच समिति ने गलती से सबूत का भार उन पर डाल दिया।
उनसे उस तथ्य को गलत साबित करने को कहा, जिसे समिति ने कल्पना मान लिया था।
15 मार्च को दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के आवास के बाहरी हिस्से में आग लग गई थी।
नोट की गड्डियों के बारे में खुलासा आग बुझाने के लिए पहुंचे अग्निशमन दल ने किया था।
जिसके बाद उनके खिलाफ जाँच शुरू की गई।
वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव
जस्टिस वर्मा कैश कांड में 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में होगी बड़ी सुनवाई
इस बीच, लोकसभा में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया है।
इस पर 152 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं और इसे अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपा गया है।
कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, जेडीएस और सीपीएम सहित कई दलों के सांसदों द्वारा समर्थित
यह प्रस्ताव एक ‘नकदी बरामदगी मामले’ और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत एक रिपोर्ट से संबंधित है।
राज्यसभा में भी पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने की मांग वाला एक प्रस्ताव मिला।
जिस पर सोमवार को उनके इस्तीफे से कुछ घंटे पहले 50 से अधिक राज्यसभा सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे।
राजनीतिक मोर्चे पर भी हलचल
63 राज्यसभा सांसदों ने वर्मा को हटाने का प्रस्ताव सभापति को सौंपा था।
इससे पहले लोकसभा के 145 सांसदों ने भी स्पीकर को ज्ञापन सौंपा था।
सभी ने संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 का हवाला दिया।
अब संसद जांच करेगी. महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा होगी।
वर्मा ने आरोपों को साजिश बताया था लेकिन मामला यहीं नहीं रुका।
आरोप गंभीर हैं। सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम भी एक्टिव हुआ।
5 अप्रैल को वर्मा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज पद की शपथ ली थी, लेकिन अब वो शक के घेरे में हैं।
मार्च के अंत में भी सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि इन-हाउस जांच अभी चल रही है।
अगर जांच में कुछ गलत पाया गया, तो एफआईआर दर्ज कर मामला संसद को भेजा जा सकता है।
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