Bengal Teachers Recruitment Scam

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बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: सुप्रीम कोर्ट ने दी बड़ी राहत, शर्तों के साथ दिसंबर तक पढ़ा सकेंगे टीचर्स

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Bengal Teachers Recruitment Scam: पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राज्य के लगभग 26 हजार शिक्षकों को बड़ी राहत दी है।

अदालत ने कहा है कि इन शिक्षकों को दिसंबर 2025 तक अस्थायी रूप से पढ़ाने की अनुमति दी जाती है, ताकि छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो।

हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यह छूट केवल उन्हीं शिक्षकों को दी जा रही है, जिनके खिलाफ सीधे तौर पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है।

इस फैसले से उन हजारों शिक्षकों को अस्थायी राहत मिली है, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के तहत बर्खास्त कर दिया गया था।

3 अप्रैल 2025 को अदालत ने पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) द्वारा की गई नियुक्तियों को अवैध करार देते हुए कहा था कि पूरी प्रक्रिया धोखाधड़ी और जोड़-तोड़ से भरी हुई थी।

जानें क्या है पूरा मामला?

साल 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) ने स्टेट लेवल सिलेक्शन टेस्ट (SLST) के जरिए राज्य के सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों और नॉन-टीचिंग स्टाफ की भर्ती की थी।

इस परीक्षा में 23 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने भाग लिया था, जबकि नियुक्तियां करीब 25,753 पदों पर हुई थीं।

जल्द ही यह प्रक्रिया विवादों में आ गई, जब कई शिकायतों में आरोप लगे कि अपात्र लोगों को पैसे लेकर नियुक्त किया गया।

आरोपों के मुताबिक, 5 से 15 लाख रुपये तक की रिश्वत लेकर नौकरियां दी गई। जांच में यह भी सामने आया कि परीक्षा की OMR शीट्स में हेरफेर की गई।

इसके बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों को अवैध घोषित कर दिया था।

इस मामले में CBI ने सक्रियता दिखाई और राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया।

अर्पिता पेशे से मॉडल थीं और उनके घर से करोड़ों की नकदी और संपत्तियों के दस्तावेज मिले थे।

इसके अलावा WBSSC के कई अधिकारियों को भी हिरासत में लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला, राहत के साथ शर्तें भी

3 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए सभी 25,753 नियुक्तियों को रद्द कर दिया था

पूरी खबर यहां पढ़ें – पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: ममता सरकार को SC से झटका, कलकत्ता HC का फैसला बरकरार

लेकिन राज्य सरकार ने छात्रों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए कोर्ट से शिक्षकों को कुछ और समय काम करने देने की अपील की।

इस पर 11 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है :-

  • 9वीं से 12वीं कक्षा तक पढ़ाने वाले शिक्षक, जिन पर कोई सीधा आरोप नहीं है, वे दिसंबर 2025 तक पढ़ा सकेंगे।
  • WBSSC को 31 मई 2025 तक नई भर्ती प्रक्रिया का विज्ञापन जारी करना होगा।
  • पूरी चयन प्रक्रिया 31 दिसंबर 2025 तक पूरी करनी होगी।
  • अगर ऐसा नहीं हुआ तो कोर्ट उचित कार्रवाई और जुर्माना भी लगाएगा।

हालांकि कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि ग्रुप C और ग्रुप D के नॉन-टीचिंग स्टाफ को कोई राहत नहीं दी जाएगी, क्योंकि इनमें से अधिकांश पर आरोप प्रमाणित हो चुके हैं।

सड़कों पर उतरे शिक्षक, सीएम ममता की ललकार

इस फैसले से नाराज़ बर्खास्त कर्मचारी 9 अप्रैल से ही कोलकाता के साल्ट लेक स्थित SSC कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए।

11 अप्रैल को उन्होंने मार्च निकाला और SSC से OMR शीट सार्वजनिक करने की मांग की ताकि योग्य उम्मीदवारों की पहचान की जा सके।

शिक्षकों ने हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगाए और पुनर्नियुक्ति की मांग की, साथ ही पुलिस कार्रवाई के विरोध में भूख हड़ताल की चेतावनी भी दी।

वहीं, इस मामले में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 7 अप्रैल को बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात की और कहा, हम कोर्ट के आदेश से बंधे हैं, लेकिन यह फैसला योग्य कैंडिडेट्स के लिए अन्याय है। मुझे इसके लिए जेल जाना पड़े तो भी परवाह नहीं।

8 अप्रैल को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर मांग की कि जो लोग निर्दोष हैं, उन्हें नौकरी में बनाए रखा जाए। उन्होंने कहा कि सभी 25,753 लोगों को एक ही तराजू से नहीं तोला जाना चाहिए।

भाजपा ममता सरकार को ठहरा रही जिम्मेदार

इस पूरे घोटाले ने पश्चिम बंगाल की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी पार्टी भाजपा इसके लिए ममता सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है।

शुभेंदु अधिकारी ने घोषणा की है कि 21 अप्रैल को वे नबन्ना मार्च करेंगे, जिसमें एक लाख लोगों के शामिल होने की संभावना है।

भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने योग्य युवाओं की मेहनत को पैसे में बेच दिया है।

बहरहाल, अब इस मामले में सारी निगाहें WBSSC और राज्य सरकार पर टिकी हैं कि वे समयसीमा में भर्ती प्रक्रिया को कैसे पूरा करती हैं, क्योंकि अगर प्रक्रिया में देरी हुई, तो सुप्रीम कोर्ट सख्त कार्रवाई कर सकता है।

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