NEET PG Controversy: NEET PG परीक्षा को लेकर छात्रों की ओर से दायर याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई होनी है।
यह याचिकाएं मुख्य रूप से परीक्षा में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दाखिल की गई थीं।
छात्रों की मांग है कि परीक्षा को एक ही शिफ्ट में आयोजित किया जाए और परीक्षा के बाद प्रश्न पत्र और उत्तर कुंजी (Answer Key) सार्वजनिक की जाए।
इससे परीक्षार्थियों को न केवल अपने परिणाम का सही मूल्यांकन करने में मदद मिलेगी, बल्कि परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता भी आएगी।
सितंबर 2024 में छात्रों ने दायर की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका सितंबर 2024 में NEET PG 2024 परीक्षा में शामिल छात्रों द्वारा दायर की गई थी।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि परीक्षा दो शिफ्ट में कराने से प्रश्नपत्रों की कठिनाई के स्तर में अंतर आता है, जिससे परिणामों में असमानता पैदा होती है।
इस असमानता को दूर करने के लिए राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBEMS) द्वारा ‘नॉर्मलाइजेशन’ की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
जिसमें कठिन पेपर वालों को बोनस अंक और आसान पेपर वालों को अंक काटकर दिए जाते हैं।
छात्रों का कहना है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से निष्पक्ष नहीं है और इससे उनकी मेहनत का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता।
2 लाख MBBS ग्रेजुएट देते हैं एग्जाम, सीटें 52 हजार
सुप्रीम कोर्ट की बेंच जिसमें जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस ए जी मसीह शामिल हैं।
उन्होंने पिछली सुनवाई में यह टिप्पणी की थी कि चूंकि याचिका NEET PG 2024 से संबंधित है, इसलिए अब यह मूट हो चुकी है
। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि 2025 की परीक्षा में भी वही प्रणाली अपनाई जा रही है, इसलिए यह मामला अब भी प्रासंगिक है।
बता दें NEET PG परीक्षा देशभर में पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल सीटों के लिए आयोजित की जाती है।
हर साल करीब 2 लाख MBBS ग्रेजुएट यह परीक्षा देते हैं, जबकि उपलब्ध सीटों की संख्या मात्र 52 हजार के आसपास होती है।
साल 2023 में पहली बार यह परीक्षा दो शिफ्टों में आयोजित की गई थी, जिससे छात्रों में असंतोष उत्पन्न हुआ था।
आसान भाषा में समझें क्या है नॉर्मलाइजेशन?
कई बार जब किसी एग्जाम के लिए अप्लाई करने वाले कैंडिडेट्स की संख्या ज्यादा हो जाती है तो एग्जाम कई शिफ्टों में आयोजित कराया जाता है।
कई बार एग्जाम कई दिन तक चलता है। ऐसे में हर शिफ्ट में क्वेश्चन पेपर का अलग सेट स्टूडेंट्स को दिया जाता है।
ऐसे में किसी स्टूडेंट को मुश्किल और किसी स्टूडेंट को आसान क्वेश्चन पेपर मिलता है। यहां सवाल उठता है कि आसान और मुश्किल कैसे तय किया जाता है।
इसे ऐसे समझें, जैसे किसी एग्जाम में क्वेश्चन पेपर के तीन सेट- A, B, C बांटे गए। इसमें अलग-अलग सेट सॉल्व करने वाले स्टूडेंट्स का एवरेज स्कोर कैलुकलेट किया जाएगा।
मान लीजिए सेट A सॉल्व करने वालों कैंडिडेट्स का एवरेज स्कोर 70 मार्क्स है। सेट B वालों का स्कोर 75 मार्क्स है और सेट C सॉल्व करने वालों का एवरेज स्कोर 80 मार्क्स है।
ऐसे में सेट C सबसे आसान और सेट A सबसे मुश्किल माना जाएगा। आसान सेट वाले कैंडिडेट्स का नॉर्मलाइजेशन के चलते कुछ मार्क्स गंवाने पड़ेंगे और मुश्किल सेट वालों को एक्स्ट्रा मार्क्स मिलेंगे।
इसके अलावा स्टूडेंट्स ने 2 शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने का भी विरोध किया है।
स्टूडेंट्स का कहना है कि एक से ज्यादा शिफ्ट में परीक्षा होने से क्वेश्चन पेपर का डिफिकल्टी लेवल अलग-अलग होता है। इससे फेयर इवैल्युएशन नहीं हो पाता।
क्वेश्चन पेपर के साथ आंसर-की भी जारी करने की मांग
छात्रों का यह भी कहना है कि अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तरह NEET PG परीक्षा के बाद प्रश्नपत्र और उत्तर कुंजी सार्वजनिक की जानी चाहिए, ताकि वे अपने अंकों की जांच कर सकें और भविष्य की तैयारी के लिए सबक ले सकें
। उनका मानना है कि यह प्रक्रिया परीक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाएगी और छात्रों का विश्वास बढ़ाएगी।
आज की सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट होगा कि सुप्रीम कोर्ट छात्रों की इन मांगों को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या भविष्य की परीक्षाओं में कोई बदलाव संभव है।
यदि कोर्ट छात्रों के पक्ष में फैसला देता है, तो यह NEET PG परीक्षा प्रणाली में एक बड़े सुधार की शुरुआत हो सकती है।
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