West Bengal Teachers Recruitment Scam: पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें 2016 में हुई 25 से ज्यादा शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की भर्तियों को रद्द कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह पूरी चयन प्रक्रिया भ्रष्टाचार और धांधली से भरी थी और इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार को तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है।
भ्रष्टाचार के आरोपों पर हाईकोर्ट का फैसला
दरअसल, साल 2016 में पश्चिम बंगाल सरकार ने स्टेट लेवल सिलेक्शन टेस्ट (SLST) के जरिए सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की भर्ती की थी। उस समय कुल 24 हजार 640 पदों के लिए 23 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी।
इस मामले में कई उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है और पैसे लेकर नौकरियां बेची गईं। इसके बाद मामले की शिकायतें कलकत्ता हाईकोर्ट तक पहुंच गई।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया की जांच कराई और पाया कि इसमें अनियमितताएं हुई हैं। हाईकोर्ट ने भर्ती को अवैध करार देते हुए पूरी प्रक्रिया को रद्द करने और भ्रष्टाचार की जांच का आदेश दिया।
पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों पर छापा
कलकत्ता हाईकोर्ट की जांच में यह सामने आया कि इस भर्ती में 5 से 15 लाख रुपये तक की रिश्वत लेकर उम्मीदवारों को नौकरी दी गई थी। सीबीआई और ईडी की जांच में इस घोटाले से जुड़ी कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं।
इस मामले में सबसे पहले जुलाई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने पश्चिम बंगाल के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के ठिकानों समेत 14 जगहों पर छापेमारी की थी। उस दौरान इस घोटाले में पार्थ चटर्जी की करीबी और मॉडल अर्पिता मुखर्जी से जुड़ी जानकारी भी सामने आई।
ED की टीम को अर्पिता के फ्लैट से छापेमारी में करीब 49 करोड़ रुपये नकद, 60 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा और करोड़ों रुपये के आभूषण बरामद हुए थे।
CBI ने पिछले साल 30 सितंबर 2024 को पहली चार्जशीट पेश की थी। इसमें पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत 16 लोगों के नाम थे।
पार्थ 23 जुलाई 2022 से जेल में हैं, उनकी जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। इसके बाद TMC विधायक और स्टेट प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष माणिक भट्टाचार्य को ED ने 11 अक्टूबर को गिरफ्तार किया।
सिलेक्शन प्रोसेस में हुई गड़बड़ी – सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के स्कूल भर्ती घोटाले से जुड़े कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि भर्ती प्रक्रिया में व्यापक स्तर पर गड़बड़ी हुई है और इसे सुधारने का कोई तरीका नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए भर्ती को रद्द कर दिया और तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि नौकरी गंवाने वाले कर्मचारियों को अपनी अब तक की मिली हुई सैलरी वापस नहीं करनी होगी। हालांकि, जो उम्मीदवार पहले से किसी अन्य सरकारी विभाग में कार्यरत थे, वे वापस अपनी पुरानी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए विशेष राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि नई भर्ती प्रक्रिया पूरी होने तक वे अपनी नौकरी पर बने रहेंगे। इसके अलावा, यदि आवश्यक हुआ तो उन्हें उम्र में छूट दी जा सकती है ताकि वे नई चयन प्रक्रिया में भाग ले सकें।
राजनीतिक विवाद और ममता सरकार पर आरोप
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग की है। भाजपा ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी की सरकार ने शिक्षित युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। ममता सरकार में पैसे लेकर नौकरियां बांटी गईं और योग्य उम्मीदवारों को उनके हक से वंचित किया गया।
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री और पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि शिक्षक भर्ती में इस बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की पूरी जिम्मेदारी राज्य की विफल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की है। ममता बनर्जी के शासन में कैसे पश्चिम बंगाल में शिक्षित बेरोजगार युवाओं की योग्यता को पैसे के बदले बेचा गया। वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज्य सरकार नई भर्ती प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कदम उठाएगी।
राज्य सरकार ने दी CBI जांच के आदेश को चुनौती
पश्चिम बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला राज्य की सबसे बड़ी भर्ती घोटालों में से एक बन चुका है। राज्य सरकार ने सीबीआई जांच के आदेश को चुनौती दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में 4 अप्रैल को अलग से सुनवाई होगी।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस घोटाले की सीबीआई जांच को बरकरार रखा है और कहा कि और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट ने आदेश दिया है कि पश्चिम बंगाल सरकार को तीन महीने के भीतर नई चयन प्रक्रिया पूरी करनी होगी।
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया है कि पूरी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई थी और इसे रद्द करना ही एकमात्र सही उपाय था। अब देखना होगा कि राज्य सरकार नई भर्ती प्रक्रिया को किस तरह अंजाम देती है और इस घोटाले में शामिल लोगों पर क्या कार्रवाई होती है।
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