सुनील कुमार (वरिष्ठ पत्रकार)
एक तो चर्चित अभिनेत्री सनी लियोनी का नाम वैसे भी हिन्दुस्तानियों में सनसनी पैदा करता है क्योंकि वे हिन्दुस्तान आने के पहले कनाडा में वयस्क मनोरंजन की फिल्मों में काम कर चुकी हैं। यहां हिन्दुस्तान में भी सेक्स के मामले में दमित कुंठाओं से भरे हुए समाज में वयस्क मनोरंजन शब्द भी लोगों को उत्तेजित कर देते हैं। इसलिए छत्तीसगढ़ में जब यह पता लगा कि गरीब महिलाओं को फायदा देने के लिए हजार रूपए महीने वाली महतारी वंदन योजना का फायदा पाने वालों में सनी लियोनी का नाम भी है, तो सरकारी योजना में लापरवाही, या भ्रष्टाचार कम लोगों को सूझा, सनी लियोनी की देह तुरंत लोगों की कल्पनाओं को भर गई। जांच में पता लगा है कि आदिवासी इलाके बस्तर में किसी छोटी जगह सनी लियोनी के नाम से एक बैंक खाता खुलवाकर एक व्यक्ति ने महतारी वंदन योजना के हजार रूपए महीने की रकम इस खाते में हासिल कर ली, और अब पुलिस ने इस आदमी को गिरफ्तार भी कर लिया है। दो दिनों से खबरें महतारी वंदन योजना के बेजा इस्तेमाल से कहीं अधिक सनी लियोनी पर केन्द्रित हैं, और इस अभिनेत्री की तस्वीरों के साथ खबरें बनती जा रही हैं। महतारी वंदन योजना में और बैंक खाते में ‘इस’ सनी लियोनी के पति का नाम कुछ और है, जो कि अभिनेत्री सनी लियोनी के पति का नाम नहीं है। इस बारे में एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता वेदमती जोशी और एक व्यक्ति वीरेन्द्र जोशी का नाम सामने आया है, और खाते पर रोक लगाकर वीरेन्द्र जोशी को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। वीरेन्द्र जोशी की पत्नी भी महतारी वंदन योजना की हितग्राही है।
छत्तीसगढ़ में हर शादीशुदा, या अकेली रह गई भूतपूर्व शादीशुदा महिला को महतारी वंदन योजना के तहत सरकार हजार रूपए महीने देती है, और करीब 70 लाख महिलाओं को इसका फायदा मिल रहा है। सबसे गरीब महिलाओं के लिए यह रकम बहुत मायने रखती है, क्योंकि ये सीधे उनके नाम के बैंक खाते में पहुंचती है, और घर के मर्द इस रकम को सीधे छू नहीं सकते। सरकारी कर्मचारी महिलाओं और आयकरदाता महिलाओं को ही इसका फायदा नहीं मिल पाता। किसी नागरिक तक सीधे नगद राहत पहुंचाने की यह प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी योजना है, और इसे विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार आने के बाद जल्द ही लागू कर दिया गया था। जिन महिलाओं ने इस योजना के फॉर्म भरे थे, उन्हें भी सरकार की यह घोषणा मालूम थी कि अगर अपात्र लोग इसका फायदा लेने लगेंगे तो बाद में उनसे वसूली की जाएगी। प्रदेश की आबादी की करीब 20 फीसदी को अगर इतना व्यापक फायदा पहुंचाया जा रहा है, तो जाहिर है कि इसमें कुछ गड़बड़ी तो होगी ही। और यह गड़बड़ी इसलिए भी होगी क्योंकि सरकार ने लोगों के आवेदनों और घोषणा पत्रों पर भरोसा करके भी उन्हें यह राहत देना शुरू किया है।
लोगों को याद होगा कि 2013 के वक्त प्रदेश की तीन करोड़ की आबादी में आधा-पौन करोड़ राशन कार्ड बन गए थे, और बाद में बारीकी से जांच करने पर 10 लाख से अधिक राशन कार्ड रद्द भी हुए थे। सुप्रीम कोर्ट ने भोजन की सुरक्षा पर चल रहे एक मामले में अदालत को जनहित याचिकाकर्ताओं ने इस बात के लिए सहमत कराया था कि गरीबों की सौ फीसदी शिनाख्त के बाद राशन शुरू करने से बहुत जरूरतमंद दसियों लाख लोग तब तक भूखे रह जाएंगे, इसलिए पहले तो ऐसे हर व्यक्ति को राशन शुरू कर दिया जाए जो बीपीएल की किसी भी लिस्ट में दर्ज है, और उसके बाद भी सरकार इनकी छंटनी करती रहे। इसी तरह महतारी वंदन योजना में 70 लाख महिलाओं को फायदा पहले मिलने लगा है, और एक-एक महिला की जांच अब चल ही रही है। जनकल्याण की, और सबसे गरीब लोगों की जरूरत की योजनाओं में कई बार ऐसी छोटी-मोटी गड़बडिय़ों को रोकने के लिए सारी की सारी योजना को नहीं रोका जाता।
अब अगर छत्तीसगढ़ में 70 लाख महिलाओं को महतारी वंदन की मदद मिल रही है, तो उसमें कुछ लाख अपात्र महिलाओं का होना बड़ी मामूली बात होगी। हिन्दुस्तान में भला सौ लोगों का भी कोई ऐसा हितग्राही-समूह बनाया जा सकता है जिसमें कुछ अपात्र लोग न हों? सडक़ किनारे हर फुटपाथी खाने-पीने के कारोबारी के पास घरेलू गैस सिलेंडर दिखते हैं, और जाहिर तौर पर ऐसा हर सिलेंडर सरकार को चूना लगाता है। हिन्दुस्तानियों की आम नीयत सरकार से टैक्स चोरी की रहती है, रियायत का नाजायज फायदा उठाने की रहती है। इसलिए 70 लाख महिलाओं में कुछ गिने-चुने नाम लेकर इस तरह का बवाल खड़ा करना कुछ वैसा ही है कि ऐसा कहने और लिखने वाले लोग हिन्दुस्तानियों के आम चरित्र को नहीं जानते हैं। यहां तो एक संयुक्त परिवार में अगर सात लोग भी रहते हैं, तो अधिक गुंजाइश यह है कि उनमें से कम से कम एक-दो टैक्स चोरी के हिमायती निकल आएंगे। इस योजना से क्या व्यापक नफा और नुकसान हो रहा है, उसका आंकलन बड़ा मुश्किल काम होगा, और किसी और पति की पत्नी बताई जा रही कोई सनी लियोनी एक सनसनीखेज कल्पना पैदा करती है, और प्रदेश में मानो महतारी वंदन योजना का यही एक हासिल है। लोगों को याद रहना चाहिए कि देश में शायद एक अरब लोगों के आधार कार्ड बने होंगे, और उसमें से कुछ हजार आधार कार्ड कुत्ते-बिल्ली के नाम के भी बनवा लिए गए थे। उनसे खबरें तो निकली थीं, लेकिन उनकी वजह से आधार कार्ड का महत्व, और उसकी उपयोगिता कम हो गए थे?
किसी भी व्यापक जनहित की ऐसी विस्तृत योजना के बारे में लापरवाह टिप्पणियों के साथ-साथ यह भी सोचना चाहिए कि गड़बड़ी का अनुपात क्या है, और कितने जरूरतमंद गरीबों का कितना फायदा हुआ है। गरीब तबके के लिए बड़ी अहमियत रखने वाली इस योजना को मसखरी का सामान बनाना बहुत से गरीब लोगों को आहत भी कर सकता है। शहरी, शिक्षित, संपन्न, और सवर्ण अहंकार को गरीबों के आहत होने से कोई फर्क पड़ता नहीं है, लेकिन समाज के जो जिम्मेदार लोग हैं उन्हें ऐसी व्यापक योजना को समग्र रूप में भी देखना चाहिए। किसी सॉफ्टड्रिंक की बोतल से निकलते बुलबुलों, या बीयर की गिलास से उठते झाग की तरह की सनसनी वहीं तक सीमित रखनी चाहिए, जनकल्याण के कामों में एक मादक और उत्तेजक नाम से हुई गड़बड़ी मिल जाने से आधा करोड़ से अधिक जायज जरूरतमंदों के हक को कम आंकना नाजायज होगा।
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