Barabanki Temple Stampede: श्रावण मास हिंदू धर्म में अत्यंत पावन माना जाता है।
इस दौरान लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन और जलाभिषेक के लिए देशभर के प्रमुख मंदिरों में उमड़ते हैं।
लेकिन इस बार आस्था पर अव्यवस्था भारी पड़ गई।
रविवार और सोमवार को दो बड़े हादसे देश के प्रमुख मंदिरों में हुए।
एक उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर में और दूसरा उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के औसानेश्वर महादेव मंदिर में।
दोनों ही घटनाओं ने न सिर्फ कई परिवारों को गम में डुबो दिया।
बल्कि धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
बाराबंकी: जलाभिषेक के दौरान करंट फैलने से मची भगदड़
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के हैदरगढ़ क्षेत्र स्थित प्रसिद्ध औसानेश्वर महादेव मंदिर में सोमवार तड़के भयानक हादसा हो गया।
सावन के तीसरे सोमवार को जलाभिषेक के दौरान अचानक करंट फैल गया, जिससे भगदड़ मच गई।
इस हादसे में 16 वर्षीय प्रशांत कुमार और 35 वर्षीय रमेश कुमार की मौत हो गई। वहीं 29 लोग घायल हो गए, इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
योगी सरकार ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है।
वहीं डिप्टी CM ब्रजेश पाठक ने घटना को लेकर डीएम से 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी है।
औसानेश्वर मंदिर जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर है।
यह घटना तड़के करीब 2:30 बजे हुई, जब हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में लाइन में लगे थे।
CMO अवधेश यादव ने बताया कि हादसे के बाद पुलिसकर्मी एंबुलेंस से 29 लोगों को हैदरगढ़ सीएचसी लेकर आए।
9 को त्रिवेदीगंज और 6 को कोठी सीएचसी भेजा गया। 5 गंभीर घायलों का जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है।
डीएम शशांक त्रिपाठी ने बताया कि कुछ बंदर बिजली के तार पर कूद गए थे, जिससे तार टूटकर मंदिर परिसर के टीनशेड पर गिर गया।
इसके बाद पूरे परिसर में करंट फैल गया और घबराए श्रद्धालुओं में भगदड़ मच गई।
वहीं कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का दावा है कि पुलिस ने टीनशेड पर डंडा मारा था, जिससे तार टूटकर गिर गया।
मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस को तार से धुआं निकलने की जानकारी दी थी, लेकिन इसे अनदेखा कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश –जिला बाराबंकी के औसानेश्वर महादेव मंदिर में रात 2 बजे भगदड़ मच गई। इस हादसे में 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई
और करीब 29 घायल हैं। कहा जा रहा है कि अचानक करंट फैलने से ये सब हुआ। pic.twitter.com/kh0IWlgR3e
— Anurag Verma ( PATEL ) (@AnuragVerma_SP) July 28, 2025
हरिद्वार: मनसा देवी मंदिर में भगदड़ मचने से 8 की मौत
इससे एक दिन पहले उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित मनसा देवी मंदिर में भी भगदड़ मच गई थी।
रविवार सुबह हुए हादसे में 8 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और 30 से ज्यादा घायल हो गए थे।
हादसा सुबह 9:15 बजे हुआ जब मंदिर में भारी भीड़ मौजूद थी। प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि हादसे के वक्त वह मंदिर की सीढ़ियों से ऊपर चढ़ रहे थे।
तभी कुछ लोग तार को पकड़कर आगे बढ़े, जो छिल चुका था। जैसे ही करंट फैला, अफरातफरी मच गई और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे।
हालांकि, हरिद्वार पुलिस और गढ़वाल डिविजन के कमिश्नर विनय शंकर पांडे ने करंट फैलने की बात को अफवाह करार दिया है और हादसे का कारण अत्यधिक भीड़ बताया है।
हरिद्वार SSP प्रमेन्द्र सिंह डोभाल ने कहा कि कुल 35 लोगों को अस्पताल लाया गया, जिनमें 8 की मौत हो गई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की और मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख तथा घायलों को 50-50 हजार रुपये मुआवजे का ऐलान किया।
महंत रवींद्र पुरी के अनुसार, यह हादसा मंदिर परिसर के भीतर नहीं, बल्कि मंदिर के मार्ग में फिसलन के कारण हुआ।
तीन रास्तों में से एक पर बारिश के कारण फिसलन थी। लोगों के गिरने से अफवाह फैली और भगदड़ मच गई।
हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर पैदल मार्ग पर मची भगदड़ में 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 27 लोग घायल हो गए। यह रास्ता संकरा है और खड़ी चढ़ाई है। बताया जा रहा है कि वहां भारी भीड़ थी और करंट फैलने की अफवाह के चलते भगदड़ मच गई।
बेहद दुखद घटना है! लेकिन जवाबदेही और जिम्मेदारी किसकी है?… pic.twitter.com/9enjnWfBO9
— Ajeet Singh (@geoajeet) July 27, 2025
आस्था की भीड़ संभालने के लिए चाहिए सख्त व्यवस्था
दोनों घटनाएं एक बार फिर यह दिखाती हैं कि श्रद्धा की भीड़ के सामने सुरक्षा इंतजाम नाकाफी हैं।
सावन जैसे त्योहारों के दौरान मंदिर प्रशासन, स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन की भूमिका और सजगता अहम होती है।
बाराबंकी में बिजली के तार की लापरवाही और पुलिस की अनदेखी, वहीं हरिद्वार में भीड़ प्रबंधन की विफलता ने अनमोल जानें ले लीं।
जानकारों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं हर साल होती हैं, लेकिन स्थायी समाधान और जवाबदेही तय नहीं होती।
श्रावण मास में शिव मंदिरों में भीड़ एक सामान्य बात है। लेकिन हर साल ऐसी घटनाएं होना प्रशासनिक नाकामी का प्रतीक है।
तकनीकी व्यवस्थाओं की जांच, सुरक्षा प्रशिक्षण, भीड़ नियंत्रण योजना और बिजली जैसे संवेदनशील बिंदुओं की समय-समय पर निगरानी बेहद जरूरी है।
श्रद्धालुओं की आस्था को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सिर्फ ईश्वर की नहीं, बल्कि सरकार और समाज दोनों की है।
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