स्टालिन की हिंदी नफरत- रुपये का ₹ ही बदल डाला

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Hindi Controversy: हिंदी भाषा को लेकर घमासान चल रहा है उसके बीच स्टालिन सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। डीएमके सरकार ने हिंदी में रुपया का चिह्न ‘₹’ हटा दिया है। बताया जा रहा है कि हिंदी के अक्षर की जगह इसे तमिल अक्षर ‘रु ‘से बदल दिया गया। स्टालिन सरकार ने ये फैसला तब लिया है, जब स्टालिन चेन्नई से लेकर दिल्ली तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करके हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं।
तमिलनाडु सरकार ने 2025-26 के लिए बजट के लिए जो प्रचार सामग्री तैयार की, उसमें ‘रुपये’ का चिह्न तमिल अक्षर से बदल दिया गया।

एनईपी यानी भगवा नीति

तमिलनाडु सीएम स्टालिन केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति को ‘भगवा नीति’ बता चुके हैं. उन्होंने कहा था, ‘एनईपी कोई शिक्षा नीति नहीं, यह भगवा नीति है। इसका इसका उद्देश्य भारत का विकास करना नहीं, बल्कि हिंदी का विकास करना है। हम एनईपी का विरोध करते हैं क्योंकि यह शिक्षा क्षेत्र में तमिलनाडु की प्रगति को पूरी तरह से नष्ट कर देगी। ‘

सामाजिक न्याय को स्वीकार नहीं करती एनईपी

स्टालिन का कहना है कि एनईपी आरक्षण को स्वीकार नहीं करती जो कि सामाजिक न्याय है। उनका आरोप है, ‘एनईपी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों को सहायता राशि देने से इनकार करती है’. बीजेपी पर निशाना साधते हुए स्टालिन ने कहा कि पिछले 10 सालों में तमिलनाडु का विकास बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

 ये है ताजा विवाद

तमिलनाडु सरकार ने जब नई शिक्षा नीति के प्रमुख पहलुओं खासतौर पर तीन भाषा फॉर्मूले को लागू करने से इनकार कर दिया तो केंद्र सरकार ने राज्य को समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत दी जाने वाली सहायता राशि की 573 करोड़ रुपये की पहली किस्त पर रोक लगा दी। जिसके बाद स्टालिन केंद्र पर भड़के हुए हैं। नीति से जुड़े नियमों के अनुसार, सर्व शिक्षा अभियान के लिए वित्तीय सहायता हासिल करने के लिए राज्यों का एनईपी के दिशा-निर्देशों पर अमल करना अनिवार्य है।

तीन भाषा फॉर्मूला

एनईपी 2020 में प्रस्तावित तीन भाषा फॉर्मूला कहता है कि छात्रों को तीन भाषाएं सीखनी चाहिए, जिनमें से कम से कम दो भारतीय मूल भाषा होनी चाहिए। यह फॉर्मूला सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों पर लागू होगा और राज्यों को बिना किसी दबाव के भाषाएं चुनने की छूट देता है। इसमें स्पष्ट लिखा हुआ है कि किसी भी राज्य पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी. यहां तक कि छात्र खुद सीखने के लिए कोई तीन भाषा चुन सकते हैं, लेकिन इनमें से दो भाषाएं भारतीय होनी चाहिए।

 

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