Sidhi Village No Road: मध्य प्रदेश के सीधी ज़िले से एक और शर्मनाक वीडियो सामने आया है।
जिसने राज्य सरकार की तमाम योजनाओं और विकास के दावों की पोल खोलकर रख दी है।
यह वीडियो न सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली को दर्शाता है।
बल्कि बुनियादी ढांचे की भयावह स्थिति को भी उजागर करता है।
हकीकत उजागर करता वायरल वीडियो
सीधी ज़िले के सेमरिया थाना क्षेत्र के बरिगवां गांव की एक आदिवासी गर्भवती महिला प्रीति को अचानक तेज प्रसव पीड़ा शुरू हुई।
परिजनों ने एम्बुलेंस को कॉल किया, लेकिन गांव में पक्की सड़क नहीं होने के कारण एम्बुलेंस गांव से लगभग 2 किलोमीटर पहले ही रुक गई।
मजबूरी में महिला के परिजनों ने उसे खाट पर लादकर कीचड़ और पथरीले रास्ते से अस्पताल ले जाने की कोशिश की।
रास्ते में ही महिला ने खाट पर ही बच्चे को जन्म दे दिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
जिसमें साफ दिखता है कि परिजन कीचड़ और दलदल भरे रास्ते में महिला को किसी तरह उठाकर लिए जा रहे हैं।
ना सांसद का हेलीकॉप्टर,
ना मुख्यमंत्री की PM श्री एम्बुलेंस योजना!सीधी ज़िले में एक गर्भवती महिला को खाट पर लादकर पैदल लाया गया और जब तक एम्बुलेंस तक पहुंचते, उसी में डिलीवरी हो गई!
ऐसे वीडियो बड़े बड़े दावों और विकास के झूठ की पोल नहीं खोलते!ये साबित भी करते हैं कि भाजपा के… pic.twitter.com/QYojqQ1W3n
— MP Congress (@INCMP) July 27, 2025
सीधी में खुली विकास के दावों की पोल
घटना रविवार सुबह 8.30 बजे की है। यहां रहने वाली प्रीति रावत को प्रसव पीड़ा होने पर एम्बुलेंस बुलाई गई।
गांव तक कोई पक्की सड़क नहीं होने के कारण एम्बुलेंस आगे नहीं जा पाई और दो किलोमीटर दूर ही रुक गई।
परिजनों ने प्रीति को खाट पर लिटाया और डोली बनाकर रस्सी-बल्ली के सहारे उठाकर घर से निकल पड़े।
लेकिन, एम्बुलेंस तक पहुंचने से पहले ही डिलीवरी हो गई।
इसके बाद मां और बच्चे दोनों को एम्बुलेंस से सेमरिया अस्पताल ले जाया गया।
फिलहाल, दोनों की हालत स्थिर बताई जा रही है।
बता दें ग्राम बरिगवां में लगभग 70 लोग रहते हैं।
सड़क नहीं होने के कारण बारिश में यहां ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
गांव के बच्चों को स्कूल जाने में नदी पार करना पड़ता है।

सरकारी सिस्टम फेल, शासन-प्रशासन मौन
इस घटना ने सरकार और प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
विकास और स्वास्थ्य योजनाओं के दावे अब खोखले प्रतीत हो रहे हैं।
जब तक यह वीडियो वायरल नहीं हुआ था, तब तक प्रशासन ने कोई संज्ञान नहीं लिया।
स्थानीय सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर लीला साहू ने इस मुद्दे को बार-बार उठाया और सरकार से गुहार लगाई कि गांव में सड़क और स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जाएं।
इसके बाद प्रशासन ने कथित रूप से सड़क निर्माण की घोषणा की थी, लेकिन ज़मीनी हालात अब भी जस के तस हैं।
जैसा कि होता आया है, इस बार भी प्रशासन ने घटना पर “जांच के आदेश” दे दिए हैं और भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए “पुख्ता इंतज़ाम” करने की बात कही है।
लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना सामने आई हो और शायद आख़िरी बार भी नहीं।
बरिगवां गांव की इस महिला का खाट पर हुआ प्रसव पूरे सिस्टम की असफलता को दर्शाता है।
यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या ‘सबका साथ, सबका विकास’ सिर्फ नारे तक सीमित रह गया है?
जिन योजनाओं पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं, उनका लाभ आदिवासी और दूरस्थ ग्रामीण इलाकों तक क्यों नहीं पहुंचता?
जब तक किसी घटना का वीडियो वायरल न हो, तब तक प्रशासन क्यों सोया रहता है?
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