दिल्ली बॉर्डर से हटना चाहते हैं पंजाब के किसान
दिल्ली/लुधियाना। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) का आंदोलन फिलहाल जारी रहेगा। रविवार को यह फैसला SKM की बैठक में लिया गया।
भारतीय किसान यूनियन राजेवाल के अध्यक्ष बलवीर सिंह राजेवाल और जतिंदर सिंह विर्क ने बताया- 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत बुलाई गई है। 26 नवंबर को काफी किसान आ रहे हैं। 27 को आंदोलन के अगले कदम के बारे में विचार किया जाएगा।
राजेवाल ने कहा – प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद अब तक सरकार ने बातचीत की अपील नहीं की है। प्रधानमंत्री का ऐलान अभी स्वागत के लायक नहीं है, क्योंकि अभी कानून रद्द करने का सिर्फ ऐलान हुआ है।
जब तक MSP गारंटी बिल नहीं लाया जाता और दूसरी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक स्वागत नहीं किया जाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल कानूनों की वापसी की मंजूरी पर विचार करेगा :
केंद्रीय कैबिनेट 24 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मंजूरी पर विचार करेगी।
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद कानूनों को वापस लेने वाले बिल संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किए जाएंगे। संसद का सत्र 29 नवंबर से शुरू होने वाला है।
राहुल-दिग्विजय ने जताया शक : कृषि कानून वापस लिए जाने के ऐलान पर कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि जो लोग अतीत में ‘झूठी बयानबाजी’ झेल चुके हैं, वे कृषि कानूनों को निरस्त करने पर प्रधानमंत्री के शब्दों पर विश्वास करने को तैयार नहीं हैं।
वहीं, दिग्विजय सिंह का कहना है कि लोगों को इस बारे में शक है कि क्या तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वाकई में निरस्त किया जाएगा या नहीं, क्योंकि कई भाजपा नेताओं का दावा है कि कानूनों को जल्द ही वापस लाया जाएगा।
नए तरीके से आंदोलन चलाने पर सहमति : दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठक में तय किया गया कि संसद में कानून रद्द होने तक आंदोलन खत्म नहीं किया जाएगा।
इस बैठक में किसान संगठनों के 70 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें राकेश टिकैत की तरफ से युद्धवीर सिंह शामिल हुए। बैठक में शामिल पंजाब के ज्यादातर संगठन इस बात पर सहमत हुए हैं कि 26 तारीख के बाद दिल्ली की सरहदों से प्रदर्शनकारी हटा लिए जाएं और नए तरीके से आंदोलन चलाया जाए।
बैठक में शामिल एक किसान नेता ने कहा कि आंदोलन की सबसे ज्यादा कीमत पंजाब ने चुकाई है। सबसे ज्यादा लोग यहीं के मारे गए हैं। पंजाब के किसानों को लगता है कि अब दिल्ली से मोर्चे हटा लिए जाने चाहिए। बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि आगे आंदोलन का स्वरूप क्या होगा।
एक किसान नेता ने बताया कि किसान संगठन आंदोलन को तो चलाए रखना चाहते हैं, लेकिन अब इसके तरीके और मुद्दों में बदलाव करने पर विचार किया जा रहा है। इस दौरान प्रधानमंत्री को पत्र लिखने और सरकार के साथ बातचीत फिर से शुरू करने का निर्णय भी लिया गया। चुनावों पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन ये तय किया गया है कि इसके लिए अलग से बैठक की जानी चाहिए।
अब नई मांगों पर जारी रहेगा आंदोलन : किसान नेता राजेवाल के मुताबिक, प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिखा जा रहा है। इसमें कुछ मांगें की जाएंगी। ये हैं- MSP गारंटी बिल के लिए कमेटी बनाई जाए, बिजली शेष बिल को रद्द किया जाए और पराली जलाने के लिए लाए गए कानून को रद्द किया जाए। जब तक इन मांगों को भी नहीं माना जाता, तब तक संघर्ष जारी रखा जाएगा।
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