Ravi Kishan on Samosa: नई दिल्ली की संसद में बुधवार को समोसे का कद चर्चा का विषय बन गया।
नहीं, यह मज़ाक नहीं है बल्कि देश के मशहूर अभिनेता और गोरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन ने बाकायदा लोकसभा में उठाई एक अनोखी मांग।
उन्होंने कहा कि देश में हर ढाबे और होटल में खाना कभी ज्यादा, कभी कम और दाम तो जैसे लॉटरी – कहीं 50 का समोसा, कहीं 15 का।
ऐसे में ग्राहकों को तो लग रहा है जैसे रेस्टोरेंट में खाने नहीं, जुआ खेलने जा रहे हों!
खाना खाओ या क्विज खेलो?
शून्यकाल के दौरान रवि किशन ने कहा कि देश में कहीं भी जाओ, खाना खाने से पहले ये समझ नहीं आता कि क्या मिलेगा और कितना मिलेगा।
एक जगह दाल तड़का 100 रुपये की, दूसरी जगह 1000 की! कहीं समोसा छोटा, तो कहीं वही समोसा गोलगप्पे जितना बड़ा। ये कौन तय करता है?
उन्होंने कहा कि जैसे कपड़े के नाप होते हैं, वैसे ही खाने की भी ‘माप’ होनी चाहिए।
किसी होटल में 300 रुपये की थाली में तीन चम्मच दाल आती है, तो कहीं 100 रुपये में पेटभर खाना!
ऐसे में ग्राहक कंफ्यूज और ठगा हुआ महसूस करता है।
कानून बने, मेन्यू में हो पूरी जानकारी
रवि किशन ने सरकार से मांग की कि एक ऐसा कानून बने जिसमें होटल और ढाबों को मेन्यू कार्ड पर केवल दाम ही नहीं, बल्कि “भोजन की मात्रा” भी स्पष्ट रूप से लिखनी हो।
जैसे – दाल तड़का (200ml) – ₹120, या बटर चिकन (300g) – ₹250।
इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि मेन्यू में यह भी लिखा जाए कि खाना किस तेल या घी में बना है।
रवि किशन ने कहा, कहीं रिफाइंड में बना खाना, कहीं देशी घी वाला – ग्राहक को यह जानने का हक़ है कि वह अपने पैसे से क्या खा रहा है।
इसके बाद में रवि किशन ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में भी अपनी बात दोहराई।
उन्होंने लिखा – होटलों में केवल कीमत नहीं, बल्कि परोसे जाने वाले भोजन की मात्रा भी लिखी जानी चाहिए।
इससे ग्राहकों को भ्रम नहीं रहेगा और फूड वेस्टेज भी रुकेगा।
देशभर के होटल और ढाबों में मिलने वाले भोजन की मात्रा का मानक तय हो ।
💬 मेन्यू कार्ड में सिर्फ कीमत लिखी होती है, मात्रा नहीं, जिससे ग्राहकों को भ्रम होता है और भोजन का वेस्टेज भी होता है।
मेरी मांग है कि सरकार एक ऐसा कानून बनाए जिससे:मेन्यू में मूल्य के साथ-साथ खाद्य पदार्थ की… pic.twitter.com/ez91qJtxgM— Ravi Kishan (@ravikishann) July 30, 2025
समोसे से शुरू हुई बहस, सिस्टम तक पहुंची
अब सवाल उठा कि क्या इस पर पहले से कोई नियम है?
दरअसल, भारत में FSSAI (फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) नाम की संस्था है, जो खाने के मानकों को तय करती है।
यह संस्था तय करती है कि खाना मिलावटी है या नहीं, गुणवत्ता कैसी है, लेबल सही है या नहीं।
लेकिन रवि किशन की चिंता इस बात को लेकर है कि FSSAI खाने की सुरक्षा पर तो ध्यान देता है।
लेकिन, मात्रा और दामों की एकरूपता अभी तक उसकी प्राथमिकता नहीं रही।
रवि किशन की इस मांग को सोशल मीडिया पर जमकर समर्थन भी मिला है। देश में खाने की कीमतों और गुणवत्ता में भारी भिन्नता है।
कई बार ग्राहक न सिर्फ ठगा हुआ महसूस करता है, बल्कि उसके पास कोई शिकायत का सीधा रास्ता भी नहीं होता।
अगर सरकार इस दिशा में कदम उठाती है और एक फूड क्वांटिटी स्टैंडर्ड लॉ बनता है, तो यह ग्राहकों के लिए बड़ी राहत होगी।
हो सकता है कि अगली बार जब आप समोसे की दुकान पर जाएं, तो दाम के साथ उसका वज़न भी लिखा मिले – समोसा (150 ग्राम) – ₹20।
तब जाकर शायद हर समोसा बराबर होगा – न कोई छोटा, न कोई बड़ा। बस पेट और पॉकेट दोनों खुश!
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