Parliament Monsoon Session

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21 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा संसद का मानसून सत्र, जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव संभव

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Parliament Monsoon Session: केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र की तारीखों का ऐलान कर दिया है।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को बताया कि मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा।

रिजिजू ने कहा कि सरकार इस सत्र में किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है, बशर्ते विपक्ष चर्चा नियमों के तहत मांगे।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सत्र के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है।

यह सत्र इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मोदी सरकार 3.0 के गठन और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद संसद का पहला सत्र होगा।

सरकार और विपक्ष दोनों ही इस सत्र को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं।

विपक्ष ने जहां सरकार पर संसद से भागने का आरोप लगाया है, वहीं सरकार का कहना है कि वह हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है।

सरकार ने विपक्ष की मांगों को लेकर जताई सहमति

रिजिजू ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘सरकार पहलगाम आतंकी हमला और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।

अगर विपक्ष नियमों के तहत नोटिस देता है, तो हम खुले दिल से चर्चा को तैयार हैं।’

उन्होंने यह भी बताया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए जाने वाले महाभियोग प्रस्ताव पर सभी दलों की सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है।

जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी बंगले में मार्च में आग लगी थी।

आग बुझाने के बाद जब जांच की गई तो घर के स्टोर रूम से 500-500 के जले हुए नोटों के बंडल बरामद हुए।

इस मामले ने न्यायपालिका में भ्रष्टाचार की बहस को जन्म दिया है।

रिजिजू ने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता का प्रश्न है।

कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

संसद सत्र की तारीखों की घोषणा होते ही विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, इतिहास में पहली बार 47 दिन पहले सत्र की घोषणा की गई है।

आमतौर पर सत्र की जानकारी एक या दो हफ्ते पहले दी जाती है।

यह साफ है कि सरकार विपक्ष द्वारा मांगे गए विशेष सत्र से बचने की कोशिश कर रही है।’

उन्होंने कहा कि विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर, पहलगाम आतंकी हमला, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के मध्यस्थता वाले बयान, CDS अनिल चौहान के सिंगापुर में दिए गए विवादित बयान और पाकिस्तान-चीन से जुड़ी कूटनीतिक नीतियों पर विशेष सत्र की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार इन मुद्दों से भाग रही है।

जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर के राजनीतिकरण और सुरक्षा विफलताओं को उजागर नहीं करना चाहती, इसलिए उसने आनन-फानन में मानसून सत्र की तारीखों का ऐलान कर दिया।

मोदी सरकार को ‘Parliamentophobia’ – TMC

टीएमसी नेता डेरेक ओ’ब्रायन ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा, ‘मोदी सरकार को ‘Parliamentophobia’ हो गया है।

उन्हें संसद से डर लगने लगा है, इसलिए वे विशेष सत्र की मांग से भाग रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह शर्मनाक है कि सरकार इतने महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों से भाग रही है और संसद में बहस से बचना चाहती है।

खास क्यों है यह मानसून सत्र?

यह सत्र कई मायनों में अहम होगा।

सबसे पहले, यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला संसद सत्र होगा।

दूसरा, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे संवेदनशील मुद्दे और पहलगाम आतंकी हमले की गूंज इस सत्र में सुनाई दे सकती है।

तीसरा, जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव एक बड़ा संवैधानिक कदम हो सकता है, जो सरकार और न्यायपालिका के संबंधों पर भी असर डाल सकता है।

विपक्ष इस सत्र को सरकार की जवाबदेही तय करने के मंच के रूप में देख रहा है।

जबकि सरकार इसे विपक्ष के आरोपों का जवाब देने और भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर संदेश देने के अवसर के रूप में।

छह हफ्ते बाद संसद में होगा बड़ा राजनीतिक संग्राम

21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है।

जहां विपक्ष इसे सरकार के खिलाफ हमले के अवसर के रूप में देख रहा है।

वहीं सरकार इसे “हर सत्र, विशेष सत्र” की भावना के तहत सभी मुद्दों पर चर्चा का मौका बता रही है।

संसद के इस सत्र में क्या वाकई सरकार विपक्ष के तीखे सवालों का सामना करेगी या एक बार फिर टकराव का दौर चलेगा – यह देखना दिलचस्प होगा।

लेकिन इतना तय है कि संसद का यह मानसून सत्र कई बड़े राजनीतिक और संवैधानिक घटनाक्रमों का गवाह बन सकता है।

 

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