पान मसाला कारोबारी मसाला फिल्मों की स्क्रिप्ट की तरह दिखाई देते हैं, उत्तरप्रदेश में लॉकडाउन के साथ ही योगी सरकार ने पान मसाला पर प्रतिबन्ध लगाया और संक्रमण फैलने के बावजूद प्रतिबन्ध हटा दिया, अदालत में रजनीगंधा के वकील ने कहा-हमने प्रदेश में दस करोड़ की सेवा की और इतने ही पीएम केयर्स में भी दिए, यानी पीएम केयर्स में पैसे देकर आप मुक्त हैं लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ करने को
दर्शक
लखनऊ । पान मसाला कारोबार की कहानी इंदौर से लेकर लखनऊ तक एक जैसी है। नेता, अभिनेता और अफसर सब इस मसाला फिल्मों में अपनी-अपनी भूमिका पूरी ईमानदारी से निभाते हैं। यदि मसाला फिल्मों की तरह इसकी रेटिंग की जाए तो, इस कारोबार को फाइव स्टार रेटिंग मिलेगी। इस समाजसेवी और सामाजिक समरसता बढ़ाने वाले कारोबार में ‘रजनीगंधा’ ब्रांड ने कुछ ऐसा ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका पर सुनवाई में रजनीगंधा के वकील ने अपना पक्ष एक समाजसेवी के तौर पर रखा। दरअसल, अदालत में पान मसाले की बिक्री पर प्रतिबन्ध की याचिका आई। इसमें कोरोना संक्रमण पान मसाले से फैलने की चिंता और लोगों की जान बचाने को इसपर रोक की मांग
की गई थी।
इसके जवाब में रजनीगंधा समूह ने एक हलफनामा पेश किया जिसमे उसने लिखा- इस कठिन दौर में हमें हमारी सामजिक जिम्मेदारी का अहसास है। समूह ने अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए दस करोड़ रुपये पीएम केयर्स फण्ड में दिया और इतने ही रुपये से कोरोना की लड़ाई में सहायता दी। सबसे बड़ा सवाल ये हे कि पीएम केयर्स में फण्ड देने से लोगों की सहायता करने से पान मसाले का ज़हर बेचने की अनुमति मिल जानी चाहिए।
हलफनामे में साफ़ लिखा है कि नॉएडा के होटल्स में कोरोना पीड़ितों के लिए व्यस्था, गुरुद्वारों को लंगर को जारी रखने में मदद के अलावा खुद समूह ने अपने स्तर पर हजारों लोगों को जरुरत सामग्री उपलब्ध कराई है।
योगी सरकार का तर्क किसानों के हित में दी पान मसाले की अनुमति
उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने 25 मार्च को पान मसाले को स्वास्थ के लिए खतरा बताते हुए इस पर प्रतिबन्ध लगाया। पर जब मरीजों की संख्या बढ़ रही है, संक्रमण फ़ैल रहा उस वक्त यानी 6 मई को सरकार ने ये प्रतिबन्ध हटा लिया।
इस मामले में उत्तरप्रदेश के फ़ूड एंड सेफ्टी विभाग का कहना है कि जरुरी वस्तु और व्यापक हितों को देखकर ये फैसला लिया गया है। अफसरों का तर्क है कि पान मसाले का कच्चा माल किसानों से लिया जाता है, इसलिए ये फैसला किसानों के भी हित मे है।