Pahalgam terror attack impact on Kashmir tourism

Pahalgam terror attack impact on Kashmir tourism

पहलगाम आतंकी हमला: टूरिज्म इंडस्ट्री, व्यापार और भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर गहराया संकट

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Pahalgam Terrorist Attack: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुआ आतंकी हमला केवल एक सुरक्षा घटना नहीं था, बल्कि इससे जुड़े प्रभावों ने कश्मीर की अर्थव्यवस्था,  भारत-पाक व्यापार और स्थानीय आम जनजीवन को झकझोर कर रख दिया है। यह हमला न सिर्फ कश्मीर के पर्यटक-आधारित उद्योग पर सीधा हमला था, बल्कि इससे भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर भी व्यापक असर पड़ा है। इस लेख में हम इस हमले के बहुआयामी प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

वो आतंकी हमला जिसने एक झटके में सब कुछ बदल दिया

पहलगाम आतंकी हमले में करीब 27 निर्दोष लोगों की मौत हो गई। आतंकियों ने एक रिसॉर्ट को निशाना बनाते हुए निर्दोष सैलानियों पर गोलियां चलाईं। यह हमला अपने आप में एक अपवाद है, क्योंकि इससे पहले के ज्यादातर आतंकी हमले सुरक्षा बलों को निशाना बनाते थे, न कि पर्यटकों को। इस घटना ने कश्मीर की छवि, उसके सामाजिक विश्वास और आर्थिक धुरी पर सीधा आघात किया है।

अटारी चेक पोस्ट बंद: भारतीयों को वापस भेजा, पाकिस्तानी लौटे

हमले के फौरन बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ व्यापार के एकमात्र वैध जमीनी रास्ते — अटारी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) को बंद करने का फैसला लिया। भारत इस फैसले से पाकिस्तान को आर्थिक झटका देने की तैयारी में है। वीजा लेकर भारत आए पाकिस्तानी नागरिक गुरुवार (24 अप्रैल) को अटारी चेक पोस्ट से वापस लौटेभारत सरकार ने उन्हें वापस लौटने के लिए 48 घंटे का समय दे रखा है। इस बीच कुछ भारतीय परिवार भी अटारी बॉर्डर पर पहुंचे, जिनके पास पाकिस्तान जाने का वीजा था। लेकिन, उन्हें इस पोस्ट से वापस भेज दिया गया है।

अटारी ICP का बंद होना व्यापार को आर्थिक झटका

अमृतसर से मात्र 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अटारी भारत का पहला जमीनी पोर्ट और पाकिस्तान के साथ व्यापार का एकमात्र वैध जमीनी रास्ता भी है। 120 एकड़ में फैला यह चेक पोस्ट सीधे नेशनल हाईवे-1 से जुड़ा है। यह चेक पोस्ट न केवल भारत-पाक व्यापार का एक अहम केंद्र है, बल्कि अफगानिस्तान से भी माल भारत लाने का प्रमुख रास्ता है।

साल 2023-24 में इस रास्ते से 3,886.53 करोड़ रुपये का व्यापार दर्ज हुआ था। 6,871 मालवाहक ट्रकों और 71,563 यात्रियों ने इस सीमा को पार किया था। भारत से पाकिस्तान को जाने वाले प्रमुख निर्यातों में सोयाबीन, सब्जियां, चिकन फीड, लाल मिर्च और प्लास्टिक शामिल हैं। वहीं पाकिस्तान से भारत में सूखे मेवे, छुहारे, सेंधा नमक, सीमेंट, जड़ी-बूटियां और अन्य उत्पाद आते थे।

अटारी ICP बंद होने से अफगान व्यापार में भी रुकावटें

ICP के बंद होने से सबसे ज्यादा नुकसान छोटे व्यापारियों, कारीगरों और लघु उद्योगों को होगा, जो सीमित संसाधनों के साथ सीमापार व्यापार पर निर्भर रहते थे। भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध पहले ही पुलवामा अटैक के बाद से कम होते गए हैं और यह फैसला इस संबंध में एक और बड़ा झटका माना जा रहा है। वहीं अटारी ICP के बंद होने का असर सिर्फ भारत-पाकिस्तान तक सीमित नहीं रहेगा। अफगानिस्तान से जो माल भारत आता है, वह पाकिस्तान के रास्ते होकर अटारी से भारत पहुंचता है। अब यह रास्ता बंद होने से अफगान व्यापार में भी रुकावटें आएंगी

कश्मीर की टूरिज्म इंडस्ट्री पर सबसे बड़ा असर

कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान किसी रीढ़ की हड्डी से कम नहीं है। टूरिज्म इंडस्ट्री से हर साल लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की कमाई होती है और राज्य की GDP में इसका 7.8% योगदान है। इस इंडस्ट्री से जुड़े लगभग 2.5 लाख लोग—जैसे टैक्सी चालक, होटल मालिक, गाइड, हाउसबोट ऑपरेटर और हस्तशिल्प विक्रेता—की रोज़ी-रोटी इसी पर निर्भर है।

साल 2024 में 2.36 मिलियन पर्यटक कश्मीर आए थे, जिनमें से 65 हजार विदेशी थे। हमले के बाद यहां की टूरिज्म इंडस्ट्री लगभग ठहर सी गई है। बुकिंग्स रद्द हो रही हैं, होटल खाली हो रहे हैं, फ्लाइट्स और टैक्सी टिकट कैंसिल हो रहे हैंडल झील के 1,500 हाउसबोट और 300 से अधिक होटल रूम वीरान पड़े हैं।

कश्मीरियों की चिंता, टूरिस्ट नहीं लौटे तो बर्बाद हो जाएंगे

केंद्र सरकार कश्मीर के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही थी। इनमें वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत, एयर कनेक्टिविटी में सुधार, विदेशी पर्यटकों के लिए वीज़ा ऑन अराइवल सुविधा और 75 नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन का विकास शामिल था। लेकिन, आतंकी हमले के कारण इन योजनाओं पर विराम लग गया है।

निजी निवेशक जैसे अबू धाबी का लुलु ग्रुप, श्रीनगर में हाइपरमार्केट खोलने की योजना पर काम कर रहा था। अब इस तरह के निवेश भी अनिश्चितता के घेरे में हैं। कश्मीर के स्थानीय लोगों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर पर्यटक नहीं लौटे, तो उनकी आजीविका पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी। कश्मीरी व्यवसायियों ने कहा कि आतंकियों की इस हरकत से उन्हें शर्मिंदगी महसूस हो रही है, क्योंकि यह हमला न केवल देश की सुरक्षा पर बल्कि कश्मीरियों की रोजी-रोटी पर भी हमला है।

धारा 370 के बाद की वापसी अब अधर में

2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर में तेजी से टूरिज्म बढ़ा। स्थिति इतनी बेहतर हो गई थी कि कई बार पर्यटकों को निजी घरों में रुकना पड़ता था, क्योंकि होटल फुल होते थे। ताज जैसे बड़े ब्रांड अपने होटल में कमरे बढ़ा रहे थे, लेकिन इस हमले के बाद पूरा परिदृश्य बदल गया है।

FICCI के J&K चेयर राजेश शर्मा के अनुसार यह हमला कश्मीर में निवेश को भी प्रभावित करेगा। देश-विदेश के निवेशक अब पीछे हट सकते हैं, जिससे विकास रुक सकता है। एक श्रीनगर निवासी होटल मालिक ने कहा कि पहले कभी टूरिस्ट को निशाना नहीं बनाया गया था। लेकिन अब जो हुआ है, उससे पर्यटक भयभीत होकर लौट रहे हैं और हमारी उम्मीदें टूट रही हैं।

क्या अब कश्मीर फिर अंधेरे में चला जाएगा ?

पहलगाम आतंकी हमला एक त्रासदी है जिसने न सिर्फ कई मासूम जिंदगियों को लील लिया, बल्कि एक पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था, सामाजिक ताना-बाना और भविष्य की उम्मीदों को भी गहरा आघात पहुंचाया है। इस घटना के बाद सरकार, सुरक्षा बलों, व्यापारियों और आम जनता सभी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कैसे कश्मीर को फिर से स्थिरता, शांति और विकास की राह पर लाया जाए।

हाल के वर्षों में कश्मीर ने आतंकवाद की छाया से बाहर निकलकर विकास की राह पर कदम रखा था। लेकिन यह हमला एक बार फिर उस उजाले को निगलता नजर आ रहा है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और समाज मिलकर फिर से पर्यटन का भरोसा बहाल कर पाएंगे? क्या पर्यटक फिर से कश्मीर की वादियों में लौट पाएंगे? क्या व्यापार फिर से जीवित हो पाएगा?

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