ऑस्कर में तमाचा और कपिल शर्मा शो की फूहड़ता !

Share Politics Wala News

कपिल शर्मा जब अपने शो में भिखारियों की नकल करते हुए अपनी उंगलियां मोडक़र ऐसा दिखाते हैं कि मानो किसी कुष्ठ रोगी की गली हुई उंगलियां हों, तो  हिन्दुस्तानी को इससे कोई तकलीफ नहीं होती

 

सुनील कुमार (वरिष्ठ पत्रकार )

अमरीका के सबसे बड़े फिल्म अवार्ड समारोह, ऑस्कर, में एक अभूतपूर्व घटना हुई जब मंच संचालन कर रहे एक कॉमेडियन क्रिस रॉक ने सामने बैठी एक अभिनेत्री जेडा पिंकेट स्मिथ के बालों को लेकर एक मजाक किया, जो कि एक गंभीर बीमारी से गुजर रही है, और उस बीमारी की वजह से उसे अपना सिर मुंडाना पड़ा है, और यह बात उसने सोशल मीडिया पर खुलासे से लिखी हुई भी है।

जैसा कि किसी कॉमेडियन की कही अधिकतर जायज और नाजायज बातों के साथ होता है, इस बात पर भी जेडा के अभिनेता पति विल स्मिथ सहित तमाम लोग हॅंस पड़े, सिवाय जेडा के।

इसके बाद पत्नी का चेहरा देखने पर शायद विल स्मिथ को भी कॉमेडियन की, और खुद की चूक समझ आई, और फिर उसने गुस्से में मंच पर पहुंचकर क्रिस रॉक को जोरों से एक थप्पड़ मारा, और वापिस आकर बैठ गया।

इसके बाद भी वह वहां बैठकर क्रिस रॉक के लिए गालियां कहते रहा। यह एक बड़ा अजीब संयोग था कि इसके तुरंत बाद विल स्मिथ को अपने लंबे अभिनय जीवन का पहला ऑस्कर पुरस्कार मिला, और उसे लेते हुए उसने तमाम लोगों से एक आम माफी मांगते हुए जिंदगी में परिवार के महत्व के बारे में बहुत सी बातें कहीं।

दरअसल टेनिस खिलाड़ी बहनों वीनस और सेरेना विलियम्स की जिंदगी पर बनी इस फिल्म में विल स्मिथ ने इनके पिता का किरदार किया है, और वह किरदार भी परिवार को महत्व देने वाला है।

नतीजतन इस अभिनय के लिए ऑस्कर लेते हुए विल स्मिथ ने न सिर्फ विलियम्स परिवार के संदर्भ में महत्व की बात कही, बल्कि अपनी बीमारी से गुजर रही पत्नी के मजबूरी में हटे बालों की तकलीफ की तरफ भी इशारा किया।

खैर, यह बात तो उस वक्त आई-गई हो गई, लेकिन जैसा कि दुनिया में समझदार लोगों को करना चाहिए, कल ही विल स्मिथ और क्रिस रॉक दोनों ने सोशल मीडिया पर अपनी गलतियां मानीं, एक-दूसरे परिवार से भी माफी मांगी, और बाकी तमाम लोगों से भी।

क्रिस रॉक ने अपनी इस दुविधा का भी बखान किया कि किस तरह एक कॉमेडियन के लिए कई बार सीमा तय करना मुश्किल हो जाता है, और किस तरह उन्होंने यह सीमा लांघी जिससे कि उनके दोस्तों को तकलीफ हुई और उनकी अपनी साख भी चौपट हुई।

उन्होंने यह भी मंजूर किया कि जो लोग अपनी जिंदगी में तकलीफ से गुजर रहे हैं, उन पर कोई मजाक बनाना कॉमेडी नहीं होता। इसी तरह विल स्मिथ ने भी अपने सार्वजनिक बयान में यह कहा कि जब उनकी पत्नी की बीमारी की दिक्कत का मजाक उड़ाया गया तो वे बर्दाश्त नहीं कर पाए, और भावनाओं में उन्होंने ऐसा काम किया। उन्होंने क्रिस और बाकी तमाम लोगों से अपनी गलती मानते हुए माफी मांगी है।

इस मुद्दे पर अधिक लिखने की जरूरत इसलिए नहीं रह गई थी कि इन दोनों के बयान आज खबरों में वैसे भी आ जाएंगे, और तमाम लोगों को कुछ सबक मिल जाएगा। लेकिन हम इस पर एक दूसरी वजह से लिखना चाहते हैं कि हिन्दुस्तान में कॉमेडी के नाम पर जिस तरह की सामाजिक बेइंसाफी होती है, उस बारे में भी लोगों को सोचना चाहिए।

हिन्दुस्तान में ऐतिहासिक कामयाबी वाला कॉमेडी शो, कपिल शर्मा देखकर तमाम लोग हॅंसते हैं, लेकिन उसमें जिस तरह की बेइंसाफी होती है, उस बारे में शायद ही किसी का ध्यान जाता है। अपने शो के अपने से कम कामयाब या मशहूर हास्य कलाकारों के बारे में कपिल शर्मा का हिकारत भरा बर्ताव देखा जाए, तो वह एक स्थायी शैली है।

दूसरी तरफ कार्यक्रम में आमंत्रित बड़े सितारों की चापलूसी भी उतनी ही स्थायी शैली है। आधे लोगों की चापलूसी और आधे लोगों को दुत्कारना, यह बताता है कि ताकतवर और कमजोर के साथ बर्ताव में कैसा फर्क किया जाता है।

इससे परे भी देखा जाए कि भिखारियों के लिए, गरीब, बेघर और भूखों के लिए जिस तरह की जुबान कपिल शर्मा और उनका शो इस्तेमाल करते हैं, तो वह किसी भी चेतना संपन्न और संवेदनशील व्यक्ति को सदमा पहुंचा सकता है, पहुंचाता होगा, यह एक और बात है कि सार्वजनिक रूप से कोई मशहूर कामयाबी के खिलाफ लिखते नहीं हैं, बोलते नहीं हैं।

बहुत पुरानी बात चली आ रही है कि कामयाबी से बहस नहीं होती, इसलिए कपिल शर्मा जब अपने शो में कई बार भिखारियों की नकल करते हुए अपनी उंगलियां मोडक़र ऐसा दिखाते हैं कि मानो किसी कुष्ठ रोगी की गली हुई उंगलियां हों, तो आम हिन्दुस्तानी को इससे कोई तकलीफ नहीं होती, और किसी कुष्ठ रोगी की तो कोई जुबान हो नहीं सकती

दूसरी तरफ हिन्दुस्तान में सत्ता और ताकत का मजाक उड़ाने वाले कॉमेडियन को जगह-जगह पुलिस रिपोर्ट का सामना करना पड़ता है, उनके कार्यक्रम लगातार रद्द होते हैं, और लोकतंत्र उन्हें कैमरे के सामने से और मंच पर से अलग ही कर देता है।

यहां यह भी समझने की जरूरत है कि हास्य और व्यंग्य में एक बुनियादी फर्क होता है। हास्य तो बिना किसी सामाजिक जिम्मेदारी के, बिना किसी सामाजिक सरोकार के किया जा सकता है, लेकिन व्यंग्य के लिए जिम्मेदारी और सामाजिक सरोकार दोनों जरूरी होते हैं।

लोकप्रिय मंचों पर हर कॉमेडियन को व्यंग्यकार मान लेना भी ज्यादती होगी क्योंकि बहुत से कॉमेडियन सिर्फ हास्य के लिए पहुंचते हैं, बहुत से हास्य कवियों की तरह। उनसे व्यंग्य की तरह की जिम्मेदारी की उम्मीद कुछ अधिक ही बड़ी हो जाएगी।

ऑस्कर समारोह में कल एक गैरजिम्मेदार हास्य ने सबके मुंह का स्वाद कड़वा कर दिया, ऐसे हास्य की जगह अगर जिम्मेदार व्यंग्य होता, तो वह किसी की बीमारी की खिल्ली नहीं उड़ाता। इस बारीक फर्क को हिन्दुस्तान में भी लोगों को समझना चाहिए, और फूहड़ हास्य कलाकार, फूहड़ हास्य कवि को व्यंग्य का दर्जा देना बंद करना चाहिए।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *