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Justice Yashvant Verma-उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी मामले में गंभीर टिप्पणी की है। जानिए रिपोर्ट में क्या हुआ खुलासा….
उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा
के खिलाफ नकदी बरामदगी मामले में गंभीर टिप्पणी की है।
समिति की जांच में पाया गया है कि जिस स्टोर रूम से जली हुई नकदी बरामद हुई थी,
वह पूरी तरह से न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के नियंत्रण में था।
15 मई को आग लगने की घटना के बाद स्टोर रूम से हटाई गई नकदी
समिति के पास ऐसे सबूत हैं जो यह इशारा करते हैं कि 15 मई को आग लगने की घटना के बाद स्टोर रूम से नकदी हटाई गई थी।
बताया गया है कि समिति ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और चश्मदीदों के बयानों समेत विभिन्न सबूतों का विश्लेषण किया है।
समिति ने दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा, दिल्ली फायर सर्विस प्रमुख और अन्य 50 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए
जो 14 मार्च की रात लुटियंस दिल्ली स्थित सरकारी आवास में लगी आग के बाद मौके पर सबसे पहले पहुंचे थे।
गौरतलब है कि आग की यह घटना रात 11:35 बजे हुई थी, जब न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यरत थे।
न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने की कार्यवाही हो सकती है शुरू
समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया कि आरोप इतने गंभीर हैं कि न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने की कार्यवाही शुरू की जा सकती है। रिपोर्ट और न्यायमूर्ति वर्मा की ओर से प्राप्त स्पष्टीकरण को भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र के जरिए साझा किया है।
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