Sahkar Taxi Service: भारत में कैब सर्विस सेक्टर में ओला, उबर और रैपिडो जैसी कंपनियों की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार जल्द ही एक नई कॉपरेटिव टैक्सी सेवा, ‘सहकार टैक्सी’ (Sahkar Taxi) शुरू करने जा रही है।
यह सेवा पूरी तरह से सहकारी मॉडल पर आधारित होगी, जिससे ड्राइवरों को सीधे लाभ मिलेगा और उन्हें किसी निजी कंपनी को भारी कमीशन नहीं देना पड़ेगा। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में इस योजना की घोषणा की और बताया कि आने वाले महीनों में यह सेवा लॉन्च की जाएगी।
पारदर्शी किराया और बिना कमीशन वाली कैब
सहकार टैक्सी एक सहकारी राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म होगा, जो पूरी तरह से ड्राइवरों के हितों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इसमें दोपहिया वाहन, टैक्सी, रिक्शा और चार पहिया वाहन भी रजिस्टर किए जा सकेंगे। ओला और उबर की तरह ही यह भी एक ऐप आधारित सेवा होगी, लेकिन इसमें एक बड़ा अंतर यह होगा कि इसका मुनाफा किसी निजी कंपनी के मालिकों के पास नहीं जाएगा, बल्कि सीधे उन ड्राइवरों को मिलेगा जो इस सेवा से जुड़ेंगे।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘सहकार से समृद्धि’ केवल एक नारा नहीं है, बल्कि इसे साकार करने के लिए सहकारिता मंत्रालय पिछले साढ़े तीन वर्षों से लगातार काम कर रहा है। इस टैक्सी सेवा का उद्देश्य न केवल ड्राइवरों को वित्तीय रूप से मजबूत बनाना है, बल्कि ग्राहकों को भी पारदर्शी और सस्ती सेवाएं उपलब्ध कराना है।
ड्राइवरों को मिलेगा पूरा मुनाफा, ग्राहकों को भी फायदा
सहकार टैक्सी सेवा ग्राहकों और ड्राइवरों दोनों के लिए फायदेमंद होगी।
- ड्राइवरों को सीधा लाभ – उन्हें अपनी कमाई का कोई हिस्सा किसी बड़े प्लेटफॉर्म को नहीं देना होगा।
- न्यायसंगत किराया – सभी ग्राहकों के लिए समान किराया प्रणाली लागू होगी।
- किफायती सेवा – ग्राहकों को अधिक पारदर्शिता और उचित दरों पर टैक्सी सेवा मिलेगी।
- स्थानीय भाषाओं में सुविधा – सहकारी समितियां इसे इस तरह से विकसित करेंगी कि यह स्थानीय जरूरतों के अनुरूप हो।
- सरकारी नियंत्रण – ओला और उबर की तरह मनमाने सर्ज चार्ज (Surge Charge) से बचने के लिए सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाएगा।
ओला और उबर की सेवाओं पर उठ रहे सवाल
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब ओला और उबर जैसे बड़े राइड-हेलिंग प्लेटफॉर्म्स पर कई सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में, सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने ओला और उबर को नोटिस जारी किया था, जिसमें इन कंपनियों पर ग्राहकों से अलग-अलग किराया वसूलने का आरोप था।
रिपोर्ट के अनुसार, iPhone और Android फोन इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों से अलग-अलग किराया वसूला जा रहा था। इसके अलावा, इन सेवाओं में ड्राइवरों को काफी कम लाभ मिलता है और उन्हें बड़ी कंपनियों को भारी कमीशन देना पड़ता है। सहकार टैक्सी इस समस्या का समाधान बन सकती है।
पहले भी हो चुके हैं टैक्सी सेवा लाने के प्रयास
भारत में पहले भी सरकारी टैक्सी सेवाओं को लाने का प्रयास किया गया है। पश्चिम बंगाल में ‘यात्री साथी’ नाम से एक सरकारी टैक्सी सेवा उपलब्ध है, जो पहले केवल कोलकाता में थी, लेकिन अब इसका विस्तार सिलीगुड़ी, आसनसोल और दुर्गापुर में भी हो चुका है। यह सेवा किफायती किराया, स्थानीय भाषा में जानकारी और चौबीस घंटे कस्टमर सपोर्ट जैसी सुविधाएं देती है।
इसी तरह केरल सरकार ने भी 2022 में ‘केरल सवारी’ नाम की सरकारी ऑनलाइन टैक्सी सेवा शुरू की थी, हालांकि कम उपयोग के कारण इसे बंद करना पड़ा था। अब राज्य सरकार इसे संशोधित किराए और बेहतर सॉफ्टवेयर के साथ फिर से शुरू करने की योजना बना रही है।
क्या सहकार टैक्सी ओला-उबर को टक्कर दे पाएगी?
सरकार का यह कदम निश्चित रूप से कैब सेक्टर में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा। हालांकि, इसे सफल बनाने के लिए जरूरी है कि सरकार इस सेवा को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए एक मजबूत ऐप और बेहतरीन ग्राहक सेवा प्रणाली विकसित करे। यदि यह सेवा उचित कीमत, बेहतर ग्राहक अनुभव और ड्राइवरों के हितों की रक्षा करने में सफल होती है, तो निश्चित रूप से यह ओला-उबर जैसी कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।
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