Minister AK Sharma: उत्तर प्रदेश में सरकार के विकास कार्यों और उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने के लिए भव्य आयोजन हो रहे हैं। इसी कड़ी में मऊ जिले में भी ‘8 साल-बड़े कमाल’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा मंच से योगी सरकार के 8 साल की उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त सुना ही रहे थे कि तभी अचानक पूरा पंडाल अंधेरे में डूब गया। जी हां जिस मंत्री के कंधों पर पूरे प्रदेश की बिजली व्यवस्था संभालने की ज़िम्मेदारी है, उन्हीं के कार्यक्रम में बिजली गुल हो गई, जिसके बाद मंत्री ने दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया।
यूपी में विकास के दावों पर सवाल
मऊ के हनुमान घाट पर आयोजित इस कार्यक्रम में जब ऊर्जा मंत्री एके शर्मा भाषण दे रहे थे, तभी अचानक बिजली चली गई और देखते ही देखते पूरा मंच अंधेरे में डूब गया। अफरा-तफरी का माहौल बन तो मंत्रीजी खुद भी असहज हो गए, लेकिन कार्यक्रम जारी रखना उनकी मजबूरी थी। नतीजा यह हुआ कि मोबाइल टॉर्च और फ्लैशलाइट की मदद से पूरा कार्यक्रम संपन्न करना पड़ा।
अब ज़रा सोचिए, यह कोई सामान्य आयोजन नहीं था, बल्कि सरकार की विकास गाथा सुनाने के लिए भव्य मंच तैयार किया गया था। बड़े-बड़े बैनर लगे थे, मंच सजा था, सरकारी योजनाओं की तारीफों के पुल बांधने के लिए नेता और अधिकारी मौजूद थे। लेकिन जब बिजली चली गई, तो विकास की तस्वीर भी धुंधली पड़ गई।
ऊर्जा मंत्री की ‘चप्पल खोज’
जैसे-तैसे कार्यक्रम खत्म हुआ पर जब मंत्री एके शर्मा वापस जाने लगे, तो एक और परेशानी उत्पन्न हो गई। दरअसल, अंधेरे की वजह से मंत्रीजी अपनी चप्पलें ही नहीं ढूंढ पा रहे थे, आखिरकार मोबाइल की रोशनी में उन्हें अपनी चप्पल तलाशनी पड़ी।
किसी ने इसका वीडियो बना लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया, जिसके वायरल होते ही बिजली विभाग की लापरवाही पर चौतरफा आलोचनाएं शुरू हो गईं और लोगों ने इसे ‘दीपक तले अंधेरा’ की असली मिसाल बता दिया।
2 अधिकारियों निलंबित, 2 को नोटिस जारी
इस घटना के बाद ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने खुद ही मामले पर कार्रवाई का आदेश दिया। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक ने आनन-फानन में उपखंड अधिकारी प्रकाश सिंह और अवर अभियंता ओपी कुशवाहा को निलंबित कर दिया। वहीं अधिशासी अभियंता भुवन राज सिंह और अधीक्षण अभियंता संजीव वैश्य को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया।
सरकार की छवि को हुए नुकसान को देखते हुए बिजली विभाग में हड़कंप मच गया। आला अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी और कहा कि आगे भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ अधिकारियों को निलंबित करने से समस्या हल हो जाएगी?
मंत्री की सरलता का हो रहा गुणगान
इस कार्यक्रम के बाद जहां एक ओर सरकारी योजनाओं पर सवाल उठ रहे हैं कि जो उत्तर प्रदेश 24 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा करती है, वहां ऊर्जा मंत्री के कार्यक्रम में अंधेरा छा जाना निश्चित रूप से चिंता का विषय है। वहीं दूसरी ओर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा की सरलता की भी खूब चर्चा हो रही है। जनता ने उनकी सहजता को पसंद किया कि वे बिना गुस्सा किए टॉर्च की रोशनी में भाषण देते रहे, कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसे उनकी विनम्रता का उदाहरण बताया।
हालांकि इस घटना को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी देखी गई। कुछ कार्यकर्ताओं ने तो इसे साजिश करार दे दिया कि स्थानीय अधिकारी मंत्रीजी की छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, यह साजिश थी या महज़ लापरवाही, यह कहना मुश्किल है। लेकिन, इतना तय है कि इस घटना ने सरकार और बिजली विभाग की खूब किरकिरी करवा दी है।
क्या बदलेगी यूपी की बिजली व्यवस्था?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस घटना के बाद यूपी में बिजली आपूर्ति व्यवस्था में सुधार आएगा या यह मामला कुछ दिनों की चर्चा के बाद ठंडा पड़ जाएगा? वैसे भी, चुनावी साल करीब आते ही विकास और सुशासन की बातें तेज़ हो जाती हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत से सामना होने पर सारा गणित गड़बड़ा जाता है।
इस घटना ने एक कड़वी सच्चाई को उजागर कर दिया कि बिजली विभाग की व्यवस्था में अभी भी खामियां हैं। अगर खुद ऊर्जा मंत्री के कार्यक्रम में ही बिजली नहीं रह सकती, तो आम जनता की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। अब देखना यह होगा कि यह कार्रवाई सिर्फ दिखावा बनकर रह जाती है या सच में कोई सुधार देखने को मिलता है।
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