Archana Tiwari Missing Case

Archana Tiwari Missing Case

कहानी कटनी की ‘लापता लेडी’ की: सिविल जज बनने का सपना, शादी नहीं करनी थी इसलिए बनाया अपनी गुमशुदगी प्लान

Share Politics Wala News

 

Archana Tiwari Missing Case: मध्य प्रदेश के कटनी की रहने वाली 29 वर्षीय वकील अर्चना तिवारी पिछले 12 दिनों से रहस्यमयी ढंग से लापता थी।

7 अगस्त को इंदौर से कटनी जाने के लिए नर्मदा एक्सप्रेस में बैठी अर्चना ट्रेन से अचानक गायब हो गई थी।

पूरा मामला अपहरण जैसा लग रहा था, लेकिन असलियत सामने आई तो पुलिस भी हैरान रह गई।

अर्चना ने खुद अपनी गुमशुदगी की स्क्रिप्ट लिखी थी और नेपाल में रहकर पुलिस और परिवार दोनों को गुमराह कर रही थी।

शादी के दबाव से परेशान थी अर्चना

अर्चना तिवारी ने भोपाल जीआरपी को पूछताछ में कबूल किया कि वह शादी के दबाव से परेशान थी।

परिवार वाले उसकी मर्जी के खिलाफ रिश्ते देख रहे थे।

हाल ही में परिजनों ने उसका रिश्ता एक पटवारी युवक से तय कर दिया था।

7 अगस्त को सगाई करने का दबाव बनाया जा रहा था।

लेकिन अर्चना का सपना था कि वह सिविल जज बने और अपनी पढ़ाई पूरी करे।

शादी का दबाव इतना बढ़ गया कि उसने फैसला कर लिया था।

न तो शादी करूंगी और न ही घर जाऊंगी, जब तक जज नहीं बन जाती।

प्लान में दो युवकों ने दिया साथ

इस प्लान में उसका साथ दिया सारांश और तेजिंदर नाम के दो युवकों ने।

इंदौर में पढ़ाई के वक्त अर्चना की मुलाकात शुजालपुर के रहने वाले सारांश जोगचंद से हुई।

इस केस में एक और शख्स जुड़ा हुआ है तेजिंदर सिंह, जिसे फ्रॉड केस में दिल्ली पुलिस ने उसी रात गिरफ्तार किया था जब अर्चना गायब हुई थी।

अर्चना ने सारांश और तेजिंदर के साथ मिलकर 6 अगस्त को हरदा में गायब होने की योजना बनाई।

अर्चना ने पुलिस को बताया कि सब कुछ उसकी मर्जी और योजना के अनुसार हुआ।

तेजेंद्र और सारांश ने उसकी मदद जरूर की, लेकिन उन्होंने उसके साथ कोई गलत हरकत नहीं की।

खुद रची अपने गायब होने की साजिश

7 अगस्त को रक्षाबंधन पर घर जाने के लिए अर्चना नर्मदा एक्सप्रेस में बैठी।

लेकिन इटारसी पहुंचने से पहले ही उसने अपने पुराने क्लाइंट तेजेंद्र सिंह और दोस्त सारांश जोगचंद से मदद मांगी।

अर्चना ने ट्रेन की सीट पर अपना दुपट्टा और सामान छोड़ दिया, ताकि लगे कि वह अचानक गायब हो गई है।

बुधनी के पास जंगल में उसने अपना मोबाइल और सिम तोड़कर फेंक दिया, जिससे उसकी लोकेशन ट्रेस न हो सके।

तेजेंद्र ने नर्मदापुरम स्टेशन पर अर्चना को ट्रेन से उतारा और कार से इटारसी पहुंचाया।

वहां सारांश जोगचंद  तैयार था, जो उसे अपनी कार से शुजालपुर ले गया।

इंदौर से हैदराबाद, फिर दिल्ली से नेपाल

शुजालपुर से अर्चना इंदौर लौटी, लेकिन डर था कि परिवार उसे ढूंढ लेगा।

इसलिए वह सारांश की मदद से हैदराबाद चली गई।

हैदराबाद में दो-तीन दिन रही, लेकिन मीडिया पर केस चर्चित होते देख वहां भी खुद को असुरक्षित महसूस नहीं किया।

इसके बाद 11 अगस्त को सारांश के साथ दिल्ली पहुंची और वहीं से नेपाल की सीमा पार कर गई।

नेपाल के काठमांडू में अर्चना एक होटल में रुकी।

सारांश ने अपने परिचित वायपी देवकोटा की मदद से उसके ठहरने का इंतजाम किया।

देवकोटा ने ही उसे स्थानीय नेपाल का सिम कार्ड दिलवाया।

जिसके जरिए वह सारांश और परिवार से व्हाट्सएप पर संपर्क में रहती थी।

कुछ दिनों बाद सारांश नेपाल से लौट आया और अर्चना को वहां अकेला छोड़ दिया।

पुलिस को गुमराह करने का पूरा प्लान

रेलवे एसपी राहुल लोढ़ा के मुताबिक अर्चना ने कानूनी जानकारी का इस्तेमाल करते हुए गुमशुदगी का ऐसा प्लान बनाया, जिससे पुलिस को लगे कि उसका अपहरण हुआ है।

उसने मोबाइल 10 दिन पहले ही बंद कर दिया और नया फोन MP से न लेकर बाहर से लिया।

CCTV कैमरों से बचने के लिए कार में लेटकर यात्रा की।

पुलिस को भ्रमित करने के लिए जंगल में मोबाइल तोड़ा और ट्रेन में सामान छोड़ दिया।

उसने सोचा था कि GRP में गुमशुदगी के केस की जांच ज्यादा गहन नहीं होती, इसलिए आसानी से बच जाएगी।

इस मामले में जीआरपी सारांश जैन को 18 अगस्त की रात पूछताछ के लिए हिरासत में ले चुकी थी।

शुजालपुर निवासी सारांश एग्रीकल्चर ड्रोन कंपनी में काम करता है और फिलहाल इंदौर में रहता है।

उसी ने तेजिंदर सिंह के बारे में बताया, जिसे दिल्ली पुलिस ने धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया था।

पुलिस जब केस की जड़ तक गई तब जाकर ये पूरा खुलासा हो गया।

कांस्टेबल राम तोमर का नाम भी जुड़ा

जांच में ग्वालियर के कांस्टेबल राम तोमर का नाम भी आया।

राम ने अर्चना का टिकट अपनी आईडी से बुक किया था।

दोनों की पहचान जबलपुर में प्रैक्टिस के दौरान हुई थी।

लेकिन GRP ने साफ किया कि उसकी गुमशुदगी से राम का कोई संबंध नहीं है।

अर्चना तक पहुंचने के लिए पुलिस ने करीब 2000 से ज्यादा CCTV फुटेज खंगाले।

मोबाइल कॉल डिटेल्स और ट्रैकिंग से पुलिस तेजेंद्र और सारांश तक पहुंची।

इनके बयान और नेपाल एम्बेसी की मदद से अर्चना की लोकेशन पक्की हुई।

अर्चना को 19 अगस्त को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के पास नेपाल बॉर्डर से बरामद किया गया।

नेपाल सरकार और यूपी पुलिस की मदद से उसे भारत लाया गया।

बुधवार सुबह फ्लाइट से भोपाल पहुंचने के बाद उसे रानी कमलापति GRP थाने में रखा गया।

बड़ा सवाल – क्या वाकई अपराध?

अर्चना ने लापता रहने के दौरान एक बार अपनी मां से कॉल पर बात कर बताया था कि वह सुरक्षित है।

लेकिन 12 दिन तक उसका कोई सुराग न मिलने पर परिवार बेहद परेशान रहा।

अब जब सच्चाई सामने आई है कि उसने खुद ये पूरा प्लान बनाया था, तो परिवार हैरान है।

कानून की जानकारी रखने वाली अर्चना ने गुमशुदगी का जो ड्रामा रचा, वह पुलिस को छकाने में कामयाब तो हुआ।

लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस मामले में उसके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई होगी या नहीं।

फिलहाल पुलिस ने स्पष्ट किया है कि उसके साथ किसी तरह का अपराध नहीं हुआ, उसने खुद अपनी मर्जी से यह कदम उठाया।

साथ ही यह केस बताता है कि समाज और परिवार का शादी का दबाव किस हद तक युवाओं की मानसिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है।

सिविल जज बनने की चाहत रखने वाली अर्चना ने शादी से बचने और अपने करियर को बचाने के लिए खुद के गुमशुदगी का प्लान बना दिया।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *