Karnataka Muslim Contractors: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने हाल ही में मुस्लिम ठेकेदारों को सरकारी टेंडर में 4% आरक्षण देने का प्रस्ताव पारित किया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस निर्णय को मंजूरी दी गई, और जल्द ही इसे कानूनी रूप देने के लिए विधानसभा में पेश किया जाएगा। यह कदम कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट (KTPP) एक्ट में संशोधन के जरिए लागू किया जाएगा।
बजट में मुस्लिम समुदाय के लिए अन्य घोषणाएं
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने 7 मार्च को विधानसभा में बजट पेश किया था। इस दौरान सरकार ने लोक निर्माण विभाग में 4% ठेकेदारी मुस्लिम समुदाय के लिए रिजर्व करने की घोषणा की थी। वहीं सरकार ने इस बजट में मुस्लिम समुदाय के कल्याण के लिए कई अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की हैं:
- इमामों को 6,000 रुपये मासिक भत्ता
- मुस्लिम स्टूडेंट्स के लिए 50% फीस में छूट
- वक्फ संपत्तियों और कब्रिस्तानों के विकास के लिए 150 करोड़ रुपये
- मुस्लिम बहुल इलाकों में ITI कॉलेजों की स्थापना
- उर्दू स्कूलों के लिए 100 करोड़ रुपये
- मुस्लिम छात्राओं के लिए सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग कार्यक्रम
- बेंगलुरु में हज भवन के विस्तार के लिए बजट आवंटन
- उलाल शहर में मुस्लिम लड़कियों के लिए रेजिडेंशियल पीयू कॉलेज
- मुस्लिमों को विवाह के लिए 50 हजार रुपये की सहायता
- मुस्लिम कल्चरल प्रोग्राम के लिए 50 लाख रुपये
- अल्पसंख्यक कल्याण के लिए 1 हजार करोड़ रुपये
कैबिनेट में पारित अन्य प्रमुख प्रस्ताव
इसके अलावा, इस कैबिनेट बैठक में कई अन्य महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए गए:
- कर्नाटक लोक सेवा आयोग (KPSC) में सुधार – राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही, KPSC सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक सर्च कमेटी भी बनाई जाएगी।
- ग्राम पंचायत अधिनियम में संशोधन – पंचायत व्यवस्था को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए कैबिनेट मीटिंग में कर्नाटक ग्राम स्वराज और पंचायत राज संशोधन विधेयक को मंजूरी दी गई। इस संशोधन से ग्रामीण विकास और प्रशासन को मजबूती मिलेगी जिससे स्थानीय निकायों की कार्यक्षमता बढ़ेगी।
- कृषि और बायोइनोवेशन सेंटर को राहत – कृषि विभाग की 4.24 एकड़ जमीन को इंटरनेशनल फ्लॉवर ऑक्शन बेंगलुरु (IFAB) को दो साल के लिए किराया मुक्त देने का प्रस्ताव पारित किया गया। इसके अलावा, बेंगलुरु बायोइनोवेशन सेंटर में आग लगने की घटना के बाद वहां उपकरणों के पुनर्निर्माण के लिए 96.77 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता को भी मंजूरी दी गई।
विपक्ष के सवालों पर सरकार का जवाब
कांग्रेस सरकार के इस फैसले पर विपक्षी दलों, विशेष रूप से भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई है। भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए इसे तुष्टिकरण की राजनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार धर्म के आधार पर आरक्षण देकर संविधान का उल्लंघन कर रही है। सरकारी ठेके योग्यता के आधार पर दिए जाने चाहिए न कि धार्मिक पहचान के आधार पर।
वहीं कांग्रेस विधायक रिजवान ने सरकार के इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि यह तुष्टिकरण नहीं बल्कि न्यायसंगत प्रतिनिधित्व की पहल है। उनका कहना है कि सरकारी ठेकेदारी पर अपर क्लास का दबदबा रहा है, जिससे कमजोर समुदायों को आगे आने का मौका नहीं मिलता। इस आरक्षण के जरिए मुस्लिम समुदाय को समान अवसर प्रदान करने की कोशिश की जा रही है।
सरकारी टेंडर में आरक्षण की नई व्यवस्था
वर्तमान में कर्नाटक में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के ठेकेदारों को सरकारी टेंडरों में आरक्षण का लाभ मिलता है। इसके अलावा, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की कुछ श्रेणियों को भी इस व्यवस्था में शामिल किया गया था। अब, मुस्लिम ठेकेदारों को भी OBC के तहत 2B श्रेणी में रखते हुए 4% आरक्षण दिया जाएगा। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और सरकारी ठेकों में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है।
हालांकि कर्नाटक सरकार का यह निर्णय राज्य की राजनीति और समाज पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है। जहां कांग्रेस इसे सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में एक कदम बता रही है, वहीं भाजपा इसे वोट बैंक की राजनीति करार दे रही है। इस प्रस्ताव को लेकर राज्य में राजनीतिक बहस तेज हो गई है और यह देखना दिलचस्प होगा कि विधानसभा में इस प्रस्ताव को किस तरह से आगे बढ़ाया जाता है।
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