कमलनाथ के ‘पहले मारे वो मीर’ अंदाज़ से शिवराज की सत्ता हिली !

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कांग्रेस ने 15 प्रत्याशी घोषित कर मारा मैदान

2018 के चुनाव की तरह इस बार भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने अपने प्रबंधन से भाजपा को चौंकाया, बीजेपी ‘गद्दार’ से परेशान, कांग्रेस ने चुनावी मैदान में मारी बाज़ी

दर्शक

इंदौर। मध्यप्रदेश में उपचुनाव की सरगर्मी तेज़ है। कांग्रेस लगातार बढ़त बनाती हुई दिख रही है। भाजपा को लगातार एक के बाद एक मुद्दे पर घेरने वाली  कांग्रेस ने शुक्रवार को एक और बाज़ी मार ली। उप चुनाव वाली 27 सीटों में से 15 पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए। इससे नैतिक तौर पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को बल मिलेगा। जनता के बीच भी कांग्रेस प्रत्याशी को ज्यादा मौका मिलेगा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने 2018 के विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह की रणनीति से भाजपा को परास्त कर दिया था। इस बार भी नाथ उतने ही आक्रामक दिख रहे हैं, और प्रत्याशी चयन इसकी गवाही है। सरकार बनाकर खुद को इक्कीस बताने में जुटी भाजपा अभी अपने प्रत्याशियों की जीत को लेकर संदेह में है। समीक्षा बैठकों में भी ये उभरकर सामने आया है कि भाजपा के पक्ष में उनके चुनाव प्रभारी तक नहीं है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के जिस चेहरे से भाजपा को बड़ी उम्मीद थी वो भी तमाम सभाओं में गद्दार के नारों का सामना कर रहा है। भाजपा अभी तक सिंधिया कुनबे और भाजपा के बीच तालमेल में ही लगी है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने 2018 में भी चौकाने वाले परिणाम निकाले थे, इस बार भी कुछ ऐसा ही दिखाई दे रहा है। कांग्रेस की पहली सूची में युवा और अनुभवी दोनों का जोड़ है। सांवेर से राजनीति के मंझे हुए खिलाडी प्रेमचंद गुड्डू का मुकाबला तुलसी सिलावट से होगा। ऐसे ही आगर से विपिन वानखेड़े हैं। वानखेड़े जुझारू और युवा चेहरा है।]इलाके में पिछले चुनाव के बाद से ही सक्रिय है।

बमोरी में अनुभवी नेता और पूर्व मंत्री कन्हैयालाल अग्रवाल है, उनके सामने सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसोदिया रहेंगे। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आये सिसोदिया से लोग बेहद नाराज है। सिसोदिया अपने करीबी लोगों में खुद स्वीकार चुके है कि चुनाव जीतना मुश्किल है। कांग्रेस के अग्रवाल पुराने नेता है और इलाके में जड़ों तक पकड़ हैं। अधिकांश नामों को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री और कमलनाथ की सहमति के बाद ही शामिल किया गया है।

पार्टी का प्रत्याशी चयन कमलनाथ ने खुद बेहद जमीनी रिपोर्ट के बाद किया . हाटपिपल्या से राजबीर सिंह बघेल मैदान में हैं। ये राजनीतिक परिवार से हैं इनका चुनाव लड़ने और जीतने का तगड़ा अनुभव है। भाजपा में पूर्व मंत्री दीपक जोशी इस सीट पर अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े दिखाई दे रहे हैं। कांग्रेस ने भांडेर से फूलसिंह बरैया को टिकट देकर कई निशाने साधे हैं।

बरैया की इलाके में मजबूत पकड़ है, वे कई सीटों पर दलित वोट को कांग्रेस के पक्ष में करने का दम रखते हैं। इसी तरह से साँची से मदनलाल चौधरी मैदान में हैं। चौधरी का मुकाबला प्रभुराम चौधरी से होना है। इस सीट पर भी दूसरी सीट की तरह भाजपा में बगावत है। वरिष्ठ नेता गौरीशंकर शेजवार और इलाके से जुड़े विधायक उमाकांत शर्मा भी कांग्रेस से भाजपा में आये प्रभुराम चौधरी के पक्ष में नहीं है।

भाजपा के पास उम्मीदवार बदलने का
भी विकल्प नहीं

भारतीय जनता पार्टी को सिंधिया समर्थकों टिकट दिन मजबूरी है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशियों को देखकर उनकी ताकत के हिसाब से भी भाजपा अपने प्रत्याशी बदलने की स्थिति में नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस के पहले टिकट घोषित कर देने से भाजपा के सामने मुश्किलें और बढ़ गई है। खुद शिवराज कई मौके पर कह चुके है कि सरकार चली जाएगी, तो कुछ नहीं बचेगा। इस वक्त भाजपा में जो बगावत है उसका भी कांग्रेस को बड़ा लाभ मिलेगा।

उम्मीदवारों की सूची
दिमनी- राघवेंद्र सिंह तोमर
अंबाह (सुरक्षित)- सत्यप्रकाश सिकरवार
गोहद (सुरक्षित)- मेवाराम जाटव
ग्वालियर- सुनील शर्मा
डबरा- सुरेश राजे
भांडेर- फूल सिंह बरैया
करेरा (सुरक्षित)- प्रगीलाल जाटव
बमोरी- कन्हैयालाल अग्रवाल
अशोकनगर- आशा दोहरे
अनूपपुर (सुरक्षित)- विश्वनाथ सिंह कुंजाम
सांची (सुरक्षित)- मदनलाल चौधरी
आगर (सुरक्षित)- विपिन वानखेड़े
हाटपिपल्या- राजवीर सिंह बघेल
नेपानगर (सुरक्षित)- राम किशन पटेल
सांवेर (सुरक्षित)- प्रेमचंद गुड्डू

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