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भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू कानूनी उलझन में फंसते दिखाई दे रहे हैं। पटवारी ने अपने खिलाफ दर्ज दो एफआईआर को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी है।हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद दोनों मामलों में फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट का अंतिम निर्णय जल्द ही सुनाया जाएगा।
पटवारी की ओर से उनके वकील ने पक्ष रखा, जबकि दोनों मामलों में आपत्ति जताने वाले पक्षों के वकील भी कोर्ट में मौजूद रहे। जस्टिस संजय द्विवेदी की अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रखा है।
पहला मामला- रेप पीड़िता की पहचान उजागर करने का आरोप
पहला मामला अप्रैल 2024 का है। उस समय जीतू पटवारी झाबुआ में कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया के साथ एक 11 वर्षीय आदिवासी रेप पीड़िता के घर पहुंचे थे। मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने पीड़िता की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा कर दी, जिससे उसकी पहचान उजागर हो गई। इस मामले में झाबुआ पुलिस ने पॉक्सो एक्ट और आईपीसी की धाराओं में एफआईआर दर्ज की थी।
जानकारी के अनुसार, गांव के ही 14 से 18 वर्ष के दो किशोरों ने बच्ची से दुष्कर्म किया था। दोनों को भगाने में मदद करने वाले एक अन्य किशोर सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।
दूसरा मामला: इमरती देवी पर विवादित टिप्पणी
दूसरी एफआईआर मई 2024 में ग्वालियर के डबरा थाने में दर्ज की गई। इसमें सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में जीतू पटवारी को पूर्व मंत्री इमरती देवी पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए देखा गया।
पटवारी ने वीडियो में कहा था, “देखो ऐसा है, अब इमरती जी का रस खत्म हो गया है। जो अंदर चाशनी होती है… उनके लिए अब मैं कुछ बात नहीं कर रहा।”
इस बयान को लेकर इमरती देवी ने डबरा थाने में आईपीसी और एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी।
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