Radhika Yadav Murder Case

Radhika Yadav Murder Case

कहानी इंटरनेशनल टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की: अपने कलेजे के टुकड़े को पिता ने उतारा मौत के घाट

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Radhika Yadav Murder Case: यह कहानी है 25 साल की जूनियर इंटरनेशनल टेनिस प्लेयर राधिका यादव की। जिसकी हत्या उसी के पिता दीपक यादव ने गोली मारकर की है।

गुरूवार को हरियाणा के गुरुग्राम में आई इस खबर ने हर किसी को हैरत में डाल दिया।

प्यारी सी राधिका एक मेहनती और टैलेंटड लड़की थी। राधिक कम उम्र में उस कामयाबी के मुकाम पर थी, जिसका सपना हर माता-पिता अपने बच्चे के लिए देखते हैं।

तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक पिता हत्यारा बन गया? आखिर एक पिता कैसे अपने कलेजे के टुकड़े को मौत के घाट उतार सकता है?

हत्या की पूरी कहानी चाचा की जुबानी

घटना गुरुग्राम के सेक्टर 57 स्थित सुशांत लोक फेस-2 की है।

राधिका के चाचा कुलदीप यादव ने पुलिस को दी गई शिकायत में लिखा कि गुरुवार सुबह दीपक और राधिका के बीच एक बार फिर एकेडमी को लेकर झगड़ा हुआ।

जब राधिका किचन में खाना बना रही थीं, तभी दीपक ने पीछे से अपनी लाइसेंसी पिस्टल से तीन गोलियां मार दीं।

गोली की आवाज सुनकर कुलदीप ऊपर पहुंचे तो राधिका खून से लथपथ पड़ी थीं। पिस्टल ड्राइंग रूम में फेंकी हुई थी।

वे तुरंत उसे अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

चौंकाने वाली बात यह है कि हत्या के बाद दीपक वहीं पास में बैठा रहा और उसने भागने की कोशिश नहीं की।

हत्या के समय घर पर नहीं थी राधिका की मां

राधिका की मां मंजू यादव ने पुलिस को बताया कि घटना के समय वह घर पर नहीं थीं और उन्हें बुखार था।

लेकिन चाचा कुलदीप का कहना है कि घटना के वक्त मंजू पहली मंजिल पर मौजूद थीं।

पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं इस मामले में मां की चुप्पी किसी दबाव या सहमति का संकेत तो नहीं है।

फिलहाल, आरोपी पिता पुलिस की गिरफ्तार में है। कोर्ट ने दीपक यादव को एक दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा है।

राधिका के शव का पोस्टमॉर्टम किया जा रहा है। पुलिस राधिका की मां, चाचा और पड़ोसियों से पूछताछ कर रही है ताकि परिवार की भीतरी परिस्थितियों की पूरी सच्चाई सामने आ सके।

टेनिस खेलना छोड़ा और फिर कोच बनी राधिका

SHO विनोद कुमार के अनुसार, दीपक यादव एक बिल्डर है, जो किराए पर फ्लैट देने का काम करता है।

उसकी बेटी राधिका यादव एक होनहार टेनिस खिलाड़ी थीं, जिसने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई थी।

करीब तीन महीने पहले राधिका के कंधे में चोट लग गई थी, जिससे वह पेशेवर टेनिस खेलना छोड़ने को मजबूर हुईं।

इसके बाद उन्होंने खुद की टेनिस एकेडमी खोल ली, जिसमें वह युवाओं को कोचिंग दे रही थीं।

इस एकेडमी से उन्हें अच्छा पैसा मिल रहा था, जिससे वह आत्मनिर्भर हो गई थीं।

लोगों ने ताने मारे तो पिता ने गोली मारी

एकेडमी से राधिका को अच्छी आमदनी हो रही थी, लेकिन पिता को यह बात पसंद नहीं थी।

दीपक को लोगों के ताने सुनने पड़ते थे कि वह अपनी बेटी की कमाई खा रहा है।

पुलिस को दिए बयान में दीपक ने कहा, जब मैं दूध लेने निकलता था तो लोग कहते थे- तेरी बेटी तो पैसा कमा रही है, तू ऐश कर रहा है।

ये बातें मुझे चुभती थीं। हम संपन्न परिवार हैं, फिर भी बेटी काम क्यों करे?

लोग क्या कहते हैं, ये सोचकर मैंने उसे कई बार समझाया, लेकिन वह नहीं मानी।

कई बार राधिका से एकेडमी बंद करने को कहा, लेकिन वह मुझसे बहस करती थी।

परिजन के मुताबिक राधिका को टेनिस एकेडमी खोलने के लिए पिता ने ही सवा करोड़ रुपए दिए थे।

लेकिन, महीनेभर बाद ही एकेडमी बंद करने के लिए बेटी पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था।

परिवार से यह भी पता चला कि एकेडमी को लेकर 15 दिन से बाप-बेटी में रोजाना झगड़ा हो रहा था।

राधिका का टेनिस करियर: जुनून, मेहनत और सफलता की कहानी

राधिका यादव का जन्म 23 मार्च 2000 को हुआ था। उन्होंने गुरुग्राम के स्कॉटिश हाई इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ाई की और 2018 में कॉमर्स विषय से 12वीं पास की। स्कूली दिनों में ही उन्होंने टेनिस खेलना शुरू किया और जल्द ही राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली।

  • राधिका ने कई इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन (ITF) टूर्नामेंट्स में भाग लिया था, वह करियर की हाई ITF रैंकिंग लगभग 1638 रही है।
  • राधिका की ITF (इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन) में करियर की सर्वोच्च रैंकिंग 113 (डबल्स, नवंबर 2024) थी।
  • AITA विमन डबल्स में 112 हफ्तों तक टॉप 100 में बनी रहीं।
  • AITA विमन सिंगल्स में सर्वोच्च रैंकिंग 35 (2018) रही।
  • हरियाणा की टॉप 5 महिला खिलाड़ियों में शामिल थीं।
  • उन्होंने जून 2024 में ट्यूनीशिया में हुए W15 टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था।
  • 2017 में ग्वालियर में ताइवान की खिलाड़ी हसीन-युआन शिह से भी उनका मुकाबला हुआ।

लड़की जो मिसाल बन सकती थी, अब कहानी बन गई

राधिका की एक अधूरी कहानी है, जो लाखों लोगों के लिए मिसाल बन सकती थी।

इस हत्या ने समाज की उस सोच को उजागर कर दिया है, जहां महिलाओं की सफलता को पुरुषों की असफलता माना जाता है।

एक होनहार खिलाड़ी, जिसने अपनी मेहनत से सफलता की ऊंचाइयों को छुआ, लेकिन समाज को ये हजम नहीं हुआ।

एक आत्मनिर्भर बेटी, जो खुद का नाम कमा रही थी। उसे इसलिए मार दिया गया क्योंकि एक पिता को उसकी सफलता बर्दाश्त नहीं थी।

पिता को बेटी पर गर्व नहीं था बल्कि इसकी चिंता थी कि समाज ताने दे रहा कि वो बेटी की कमाई खा रहा है।

 

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