असली संविधान को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष भिड़ा

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मंगलवार को संविधान की मूल प्रति के विषय पर सत्ता पक्ष और विपक्ष एक बार फिर आमने सामने था। असली संविधान कौन सा है मूल प्रति कौन सी है इस को लेकर बहुत गहमा गहमी रही। जहाँ सत्ता पक्ष का कहना था की जो प्रति अभी उपलब्ध है वो सही नहीं है। जबकि विपक्ष का कहना रहा कि मूल प्रति में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि संविधान की मूल प्रति वही है, जिस पर संविधान निर्माताओं ने दस्तखत किए हैं और जिसमें 22 चित्र हैं जो भारत की सांस्कृतिक यात्रा के 5000 साल दर्शाती है। दोनों पक्षों की बहस के बाद बात यहाँ तक पहुंच गयी कि खरगे को बोलने नहीं दिया गया। और विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया।

संविधान और संविधान की मूल प्रति को लेकर अक्सर ही संसद में मुद्दे उठाते रहते हैं। आज की बहस में संविधान की मूल प्रति को लेकर बड़ी लम्बी चली। इस बहस की खास बात यह रही कि जगदीश धनगड़ ने भी अपना पक्ष रखा। मंगलवार को संसद में उठे इस मुद्दे पर सभापति ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि संविधान सभा के सदस्यों की ओर से हस्ताक्षरित संविधान की उस मूल प्रति का ही प्रकाशन हो, जिसमें भारत की 5000 साल पुरानी संस्कृति को प्रदर्शित करते 22 चित्रों का उल्लेख है। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी के सदस्य राधामोहन दास अग्रवाल की ओर से इस मुद्दे को उठाया गया। सदन के नेता जेपी नड्डा ने सदस्यों को आश्वस्त किया कि सरकार सुनिश्चित करेगी कि संविधान की मूल प्रति की प्रतिलिपि ही बाजार में उपलब्ध हो।

भाजपा सदस्य राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि संविधान की मूल प्रति में चित्रकार नंदलाल बोस की ओर से बनाए गए कुल 22 चित्र हैं। इनमें मोहनजोदड़ो, लंका पर श्रीराम की विजय, गीता का उपदेश देते श्रीकृष्ण, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, महारानी लक्ष्मीबाई, महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, हिमालय और समुद्र के दृश्य शामिल थे, जिन्हें हटा दिया गया। अग्रवाल की इस टिप्पणी का कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने विरोध किया ।’

जगदीप धनखड़ ने कहा देश में भारतीय संविधान का केवल प्रामाणिक रूप ही प्रकाशित किया जाए। इसके किसी भी उल्लंघन को सरकार की ओर से काफी गंभीरता से लिया जाना चाहिए और कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सदन में इस मुद्दे को अनावश्यक उठाया जा रहा है। कोई विक्रमादित्य की फोटो बोल रहा है, कोई कृष्ण की फोटो बोल रहा है। वह कहां है संविधान में। मुझे बताइए। मैंने भी संविधान देखा है और पढ़ा है।’

जेपी नड्डा ने भी इस विषय को गंभीर बताते हुए सभापति का पक्ष लिया। उन्होंने कहा की विपक्ष इस विषय पर राजनीति कर रहा है। तृणमूल कांग्रेस के सदस्य डेरेक ओब्रायन ने कहा कि उनके कम्प्यूटर में संविधान के 404 पन्ने हैं और इसमें भी चित्र नहीं हैं तो क्या यह भी अवैध है।
खरगे कुछ बोलना चाहते थे लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई। इसके बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी दलों सहित अन्य विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया। नड्डा ने इसके बाद कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि संविधान में जो कृतियां हैं, वे उन्हें तकलीफ देती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत की संस्कृति को याद करने और आने वाली पीढ़ी को इससे वंचित रखना ही विपक्ष का एजेंडा है। धनखड ने कहा कि विपक्ष के बहिर्गमन करने से वह आश्चर्य में हैं।

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