Satya Pal Malik Death

Satya Pal Malik Death

पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन: अनुच्छेद 370 हटने की सालगिरह पर ली अंतिम सांस, बेबाक छवि के लिए किए जाएंगे याद

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Satya Pal Malik Death: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ राजनेता सत्यपाल मलिक का 79 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।

उन्होंने मंगलवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में दोपहर 1:12 बजे अंतिम सांस ली।

सत्यपाल मलिक लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित थे और 11 मई से अस्पताल में भर्ती थे।

वह जम्मू-कश्मीर के अलावा बिहार, गोवा और मेघालय के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

साल 2018 में उन्होंने ओडिशा के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला था।

राजनीतिक जीवन के दौरान उन्होंने भारतीय क्रांति दल, लोकदल, कांग्रेस, जनता दल, समाजवादी पार्टी और अंत में भाजपा में काम किया।

अनुच्छेद 370 हटने की वर्षगांठ पर ली अंतिम सांस

सत्यपाल मलिक का निधन एक ऐसे दिन हुआ जो उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी ऐतिहासिक घटना से जुड़ा हुआ है।

सत्यपाल मलिक 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे।

उनका नाम इतिहास में इसलिए दर्ज रहेगा क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान ही जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा खत्म हुआ था।

केंद्र सरकार ने आज ही के दिन 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35A को निरस्त कर दिया था।

इसी के साथ राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था।

जब जम्मू और कश्मीर को पूर्ण राज्य की जगह केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया गया, तब सत्यपाल मलिक केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्याल हो गए थे।

संयोग की बात है कि आज ही इस फैसले की छठी वर्षगांठ है और इसी दिन सत्यपाल मलिक ने अंतिम सांस ली है।

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक सफर

  • जन्म: 24 जुलाई 1946, हिसावदा गांव, बागपत, उत्तर प्रदेश
  • शिक्षा: मेरठ यूनिवर्सिटी से बीएससी और एलएलबी
  • राजनीति में शुरुआत: 1968-69 में मेरठ विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए
  • 1974: पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य बने
  • 1980-1986: राज्यसभा सांसद रहे
  • 1984: कांग्रेस में शामिल हुए
  • 1986-89: राज्यसभा सांसद रहे
  • बोफोर्स घोटाले के बाद कांग्रेस से इस्तीफा देकर वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल में शामिल हुए
  • 1989-91: जनता दल से अलीगढ़ से लोकसभा सांसद
  • 1990: कुछ समय के लिए केंद्रीय संसदीय कार्य और पर्यटन राज्य मंत्री
  • 2004: भाजपा में शामिल हुए
  • 2014: भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए

राज्यपाल के रूप में कार्यकाल

सत्यपाल मलिक का राजनीतिक जीवन जितना लंबा था, उतना ही विविध और प्रभावशाली उनका राज्यपाल का कार्यकाल भी रहा। वे कई राज्यों में राज्यपाल रहे, जिनमें शामिल हैं:

राज्य कार्यकाल
बिहार सितंबर 2017 से अगस्त 2018 तक
ओडिशा मार्च से मई 2018 तक (अतिरिक्त प्रभार)
जम्मू-कश्मीर अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक
गोवा नवंबर 2019 से अगस्त 2020 तक
मेघालय अगस्त 2020 से अक्टूबर 2022 तक

बेबाक छवि और विवादों से रहा नाता

सत्यपाल मलिक ने अपने पूरे करियर में बेबाक राय देने के लिए पहचान बनाई।

वे कई बार केंद्र सरकार की आलोचना कर चुके थे, विशेषकर किसान आंदोलन भ्रष्टाचार, और नीति मामलों को लेकर।

2021 में मलिक ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते उन्हें 150-150 करोड़ रुपए की रिश्वत ऑफर की गई थी, जब उनके पास दो घोटाले से जुड़ी फाइलें आई थीं।

उन्होंने सौदे को ठुकरा दिया और कहा था, मैं पांच कुर्ता-पायजामे के साथ आया हूं और उसी के साथ चला जाऊंगा।

सत्यपाल मलिक पर था भ्रष्टाचार का आरोप

CBI ने 22 मई को सत्यपाल मलिक समेत 5 लोगों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में चार्जशीट दाखिल की थी।

इसमें करीब 2,200 करोड़ रुपये के सिविल वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट में गड़बड़ी का आरोप है।

CBI ने इसी मामले को लेकर 22 फरवरी 2024 को सत्यपाल मलिक के ठिकाने पर छापा मारा था, साथ ही दिल्ली में 29 अन्य ठिकानों पर भी रेड की थी।

इसके अलावा CBI ने एक और मामले में एफआईआर दर्ज की, जिसमें 60 करोड़ रुपए की रिश्वत का आरोप था।

यह 2017-18 के एक हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम में घोटाले से जुड़ा मामला था।

सत्यपाल मलिक, जो कभी भाजपा के करीबी माने जाते थे, बाद में मोदी सरकार के मुखर आलोचक बन गए।

2022 के उत्तर प्रदेश चुनावों से पहले उन्होंने सपा और रालोद का समर्थन किया था और खुद को किसानों का मार्गदर्शक बताया।

सत्यपाल मलिक का जीवन एक ऐसा उदाहरण है, जिसमें राजनीति, सत्ता, विवाद और ईमानदारी के कई पहलू दिखाई देते हैं।

उनके निधन से भारतीय राजनीति में एक बेबाक और निष्कलंक नेता की कमी महसूस की जाएगी।

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