SP MP Meeting Masjid

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मस्जिद में सपा सांसदों की बैठक पर घमासान: BJP ने बताया ‘नमाजवादी’, अखिलेश ने किया पलटवार

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SP MP Meeting Masjid: दिल्ली स्थित संसद भवन के पास एक मस्जिद में सपा सांसदों की बैठक को लेकर सियासी बवाल खड़ा हो गया है।

बीजेपी ने इस बैठक को लेकर सपा पर धर्म का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।

वहीं, अखिलेश यादव ने इसे भाजपा की नफरत की राजनीति बताया है और कहा कि भाजपा समाज को बांटना चाहती है।

मस्जिद को सपा का दफ्तर बना दिया- बीजेपी

मामला मंगलवार का है, जब संसद सत्र की कार्यवाही स्थगित हो गई थी।

उस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने पार्टी सांसदों के साथ बैठे थे।

रामपुर से सांसद मोहिबुल्ला नदवी, जो संसद भवन के पास की मस्जिद में इमाम भी हैं, उन्होंने ने अखिलेश को मस्जिद के बारे में बताया।

अखिलेश ने उनसे मस्जिद की दूरी पूछी और जवाब मिलने पर कुछ सांसदों के साथ मस्जिद देखने चले गए।

वे कुछ देर वहां रुके और इसी को लेकर बीजेपी ने यह मुद्दा खड़ा कर दिया।

भाजपा का आरोप है कि अखिलेश यादव ने मस्जिद को समाजवादी पार्टी का दफ्तर बना दिया है।

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा ने मस्जिद में बैठक की तस्वीरें साझा करते हुए सपा पर निशाना साधा।

मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कहा, मस्जिद को राजनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करना गलत है।

ये आस्था का केंद्र है, न कि पार्टी मीटिंग की जगह। मोहिबुल्ला नदवी को इमाम पद से हटाया जाना चाहिए।

इसी को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने विरोध प्रदर्शन की भी घोषणा की है।

पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने कहा है कि 25 जुलाई को जुमे की नमाज के बाद मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

अखिलेश का भाजपा के आरोपों पर जोरदार जवाब

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने भी इस मामले पर आपत्ति जताई है।

बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा कि मस्जिद में राजनीतिक बैठक करना मुसलमानों की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है।

उन्होंने अखिलेश यादव से माफी की मांग करते हुए कहा, मस्जिदें इबादत की जगह हैं, यहां राजनीति नहीं होनी चाहिए।

इधर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा के आरोपों का जोरदार जवाब दिया।

उन्होंने कहा, हम सभी धर्मों में विश्वास रखते हैं, आस्था जोड़ने का काम करती है।

भाजपा को इस बात से तकलीफ है कि कोई किसी से जुड़े।

भाजपा का एजेंडा है कि समाज में दूरी बनी रहे, लोग एकजुट न हों।

भाजपा धर्म को हथियार बनाकर नफरत फैलाती है।

अखिलेश ने मीडिया को भी घेरते हुए कहा कि वह भाजपा के जाल में फंस गई है।

उन्होंने कहा, बीजेपी जानबूझकर मस्जिद जाने को मुद्दा बना रही है, ताकि असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके।

अगर हम कहीं बैठ गए, तो उसे बैठक कह दिया गया।

क्या अब किसी इबादतगाह में जाना भी राजनीति हो गया है?

मस्जिद जाने के लिए भाजपा से लाइसेंस लेना पड़ेगा?

यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी अखिलेश यादव पर निशाना साधा।

उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, मस्जिद गए, लेकिन जालीदार टोपी ले जाना भूल गए सपा बहादुर। जब ख्याल रखना ही था तो जमात का पूरा ख्याल रखते।

मौर्य ने कहा कि सपा का चरित्र शुरू से ही हिन्दू विरोधी रहा है और मस्जिद में जाकर मौलाना के साथ बैठकर तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।

डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने तो अखिलेश यादव को “नमाजवादी” करार देते हुए कहा कि उन्हें संविधान पर विश्वास नहीं है।

उन्होंने कहा, संविधान में स्पष्ट है कि धर्म का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाएगा, लेकिन सपा बार-बार इसका उल्लंघन करती है।

दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय ने भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, क्या अब मंदिर या मस्जिद जाने के लिए भी हमें भाजपा से लाइसेंस लेना पड़ेगा?

धर्म किसी का व्यक्तिगत मामला है। उसका राजनीतिकरण करना भाजपा की आदत बन चुकी है।

बहरहाल, इस पूरे घटनाक्रम ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को भी गरमा दिया है।

जहां भाजपा इस मुद्दे को लेकर सपा पर तीखा हमला कर रही है, वहीं सपा इसे भाजपा की धर्म के नाम पर नफरत फैलाने की राजनीति करार दे रही है।

 

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