Congress MLA Phool Singh Baraiya

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बरैया के बिगड़े बोल: कांग्रेस MLA ने कहा- रानी लक्ष्मीबाई ने आत्महत्या की, फिर वो वीरांगना कैसे?

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Congress MLA Phool Singh Baraiya: 18 जून को वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस मनाया जा रहा है।

इसी बीच फूल सिंह बरैया का एक विवादित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा।

वीडियो में कांग्रेस विधायक ने रानी लक्ष्मीबाई को लेकर अपत्तिजनक टिप्पणी की है, जिसको लेकर वो भाजपा के निशाने पर आ गए हैं।

रोज 10 लड़कियां आत्महत्या कर रही, वो वीरांगना है

दतिया जिले के भांडेर से कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया में रानी लक्ष्मीबाई की शहादत पर सवाल उठाए।

इसमें वह कह रहे हैं, रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों से पेंशन लेती थी। खूब लड़ी मर्दानी, वो तो झांसी वाली रानी है।

बुंदेलों के हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी है। सुनी ही है, ये तो लिखी भी नहीं।

काहे को सुनते हो तुम! युद्ध का मैदान झांसी में था और लक्ष्मीबाई मरी थीं ग्वालियर में आत्महत्या करके।

आत्महत्या करने वाले को कभी वीरांगना कहा तो फिर रोज 10 लड़कियां आत्महत्या कर रही हैं, उनको भी लिखो वीरांगना।

दिमाग से सोचिए आप लिखी हुई और सुनी हुई बातें।

BJP प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर ने शेयर किया वीडियो

यह वीडियो अपने सोशल मीडियो अकाउंट X (पूर्व में ट्विटर) पर भाजपा के प्रदेश मंत्री लोकेंद्र पाराशर ने शेयर किया है।

उन्होंने लिखा- महारानी लक्ष्मीबाई ने आत्महत्या की थी, इस नेता का यह बयान माफ करने योग्य नहीं है।

18 जून को महारानी की पुण्यतिथि है, इस अवसर पर मैं इस ‘काली जुबान’ की तीखे शब्दों में निंदा करता हूं।

हालांकि, फूल सिंह बरैया का ये वीडियो 03 अक्टूबर 2015 को कांशीराम साहब की पुण्यतिथि का बताया जा रहा है।

 

बुंदेलखंड का वृहद इतिहास की किताब में दावा

अपनी सफाई में कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया ने दावा किया कि उनका वीडियो करीब दस साल पुराना है।

उनका संदर्भ था कि झांसी एक राज्य है तो वहां झांसी में भी लोग अपने महापुरुषों को मानते ही हैं।

तो झांसी में एक झलकारी बाई कोरी नाम की एक इनकी ही सहयोगी लड़ाई लड़ी थी।

उसका नाम इतिहासकारों ने नहीं लिखा। जो लड़ाई लड़ी और रानी लक्ष्मीबाई के लिए जिसने जान दे दी। उसका नाम नहीं आता।

बरैया ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई ने आत्महत्या की इसका जिक्र काशीनाथ त्रिपाठी की किताब “बुंदेलखंड का वृहद इतिहास” में है।

इस किताब में लिखा है कि झांसी के शासक गंगाधर राव की कोई संतान नहीं थी।

रानी लक्ष्मीबाई ने दावा किया कि उन्होंने दामोदर निंबालकर को गोद लिया है और वही उनका उत्तराधिकारी है।

हालांकि, गोद लेने के भी कुछ नियम और कानून थे, जिन पर रानी खरी नहीं उतरीं। अदालत ने गोदनामा रद्द कर दिया।

उमेशचंद्र बनर्जी इस फैसले को चुनौती देने कोर्ट गए, लेकिन वे केस हार गए।

इसके बाद लॉर्ड डलहौजी की नीति लागू हो गई और झांसी को अंग्रेजों ने अधिकार में ले लिया।

झांसी की व्यवस्था के लिए मेजर स्कीन को कमिश्नर नियुक्त किया।

वहां दो टुकड़ियां तैनात कर दीं, सिंधिया कंटीन्जेंसी फोर्स और बंगाल इन्फेंट्री फोर्स।

रानी को 5 हजार रुपये मासिक पेंशन और रहने के लिए एक महल दिया गया।

यह घटना साल 1853-54 की है। रानी उस महल में चार-पांच साल तक अंग्रेजों की पेंशन पर रहीं।

 

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