Karnataka Congress Crisis: कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा को लेकर सियासी उठापटक का दौर जारी है।
इसी बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को साफ किया कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय पूरी तरह से पार्टी हाईकमान के अधिकार क्षेत्र में है।
उन्होंने कहा, कोई नहीं कह सकता कि हाईकमान के दिमाग में क्या चल रहा है। यह फैसला लेना उनका विशेषाधिकार है और इस पर किसी को अनावश्यक बयानबाज़ी नहीं करनी चाहिए।
विधायक के बयान से मचा राजनीतिक घमासान
दरअसल, कांग्रेस विधायक एच. ए. इकबाल हुसैन ने कहा था कि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को आने वाले 2-3 महीनों में मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
इस बयान ने कर्नाटक की राजनीति में हलचल मचा दी और इसके बाद से ही कर्नाटक में CM बदलने की अटकलें शुरू हो गई।
BJP ने उठाए सवाल, पूछा- कौन है आलाकमान?
दूसरी तरफ भाजपा ने कांग्रेस नेतृत्व पर निशाना साधते हुए सवाल किया कि प्रिय खरगे जी, यदि आप आलाकमान नहीं हैं, तो कौन है?
कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक ने तंज कसते हुए कहा, राहुल गांधी? सोनिया गांधी? प्रियंका गांधी? या फिर यह एक अदृश्य समिति है।
कांग्रेस में अध्यक्ष सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं, जबकि निर्णय 10 जनपथ में बंद दरवाजों के पीछे लिए जाते हैं।
पहले भी उठ चुके हैं सीएम पद को लेकर सवाल
मार्च 2025 में कांग्रेस विधायक बसवराजू वी शिवगंगा ने दावा किया था कि डीके शिवकुमार दिसंबर में मुख्यमंत्री बनेंगे और कम से कम 7.5 साल तक पद पर बने रहेंगे।
इस दावे को पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोइली का समर्थन भी मिला था। मोइली ने कहा था कि शिवकुमार का सीएम बनना तय है, कोई उन्हें रोक नहीं सकता। यह फैसला पहले ही हो चुका है।
कर्नाटक के गृह मंत्री ने दिया स्पष्टीकरण
पूरे मामले में कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने स्पष्ट किया कि सिद्धारमैया को कांग्रेस विधायक दल का नेता पूरे पांच साल के लिए चुना गया था।
उन्होंने कहा, घोषणा के वक्त कहीं भी ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले की बात नहीं हुई थी। अगर वे पांच साल तक पद पर रहते हैं, तो यह रिकॉर्ड होगा।
ढाई-ढाई साल फॉर्मूले की अटकलें कैसे शुरू हुईं?
मई 2023 में सरकार गठन के समय डीके शिवकुमार ने एक इंटरव्यू में यह कहने से इनकार कर दिया था कि क्या सिद्धारमैया पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहेंगे।
उन्होंने सरकार के स्थायित्व की बात तो की, लेकिन नेतृत्व को लेकर गोलमोल जवाब दिया।
तभी से कयास लगाए जाने लगे थे कि दोनों नेताओं में ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर सहमति बनी थी।
वैसे तो कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर अंदरूनी खींचतान की खबरें समय-समय पर सामने आती रही हैं।
हालांकि, फिलहाल पार्टी नेतृत्व ने इन अटकलों को खारिज करते हुए नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है।
लेकिन पार्टी के भीतर से आ रही आवाज़ों और विपक्ष के सवालों ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। अब सबकी निगाहें कांग्रेस हाईकमान के अगले कदम पर टिकी हैं।
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