हरियाणा के भूपिंदर हुड्डा हों या मध्यप्रदेश के कमलनाथ, सब यह मानकर चल रहे हैं कि इस पार्टी का अब कोई धनी धौरी नहीं है, जैसे चाहो हांको। पहले सोनिया गांधी तय करे कि हाईकमान की पुनर्प्रतिष्ठा कैसे होगी?
संजीव आचार्य (वरिष्ठ पत्रकार )
पटियाला राजवंश के वारिस पूर्व फौजी अफसर वर्तमान में पंजाब में काँग्रेस के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने फिर हाईकमान को ठेंगा दिखा दिया है। पिछले चुनाव के मौके पर भी उन्होंने बागी रुख अपनाया था और दिल्ली नेतृत्व को झुकना पड़ा था। उन्हें मुख्यमंत्री का प्रत्याशी घोषित करना पड़ा था। अमरिंदर सिंह ने यह कहकर राजी किया था कि यह उनका आखिरी चुनाव है।
नरेन्द्र मोदी के चहेते रहे नवजोत सिंह सिद्धू को राहुल और प्रियंका आप में जाने से रोकने में तो कामयाब हो गए लेकिन कैप्टन के अहंकार से नहीं बचा पाए।
अब कल अमरिंदर सिंह ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को अपना सलाहकार तो बनाया ही, प्रदेश अध्यक्ष जाखड़ से यह भी घोषणा करवा दी कि ” कैप्टन फ़ॉर 2022″ !! यानी कौन सोनिया, राहुल, काहे का हाईकमान, मैं तो अपनी मर्जी का मालिक हूँ। विरोध करोगे तो क्षेत्रीय दल बनाकर काँग्रेस का नामोनिशान मिटा दूंगा!!
काँग्रेस हाईकमान नाम की कोई संस्था अब बची नहीं है। इसलिए ये हाल हो गया है। राहुल को नेता थोंपने पर आमादा सोनिया गांधी ने पार्टी के सारे नट बोल्ट ढीले कर दिए हैं। कभी भी भरभरा के पूरी पार्टी बिखर जाएगी।
हरियाणा के भूपिंदर हुड्डा हों या मध्यप्रदेश के कमलनाथ, सब यह मानकर चल रहे हैं कि इस पार्टी का अब कोई धनी धौरी नहीं है, जैसे चाहो हांको। पहले सोनिया गांधी तय करे कि हाईकमान की पुनर्प्रतिष्ठा कैसे होगी? अधिवेशन बुलाएं, संगठन चुनाव कराए, अध्यक्ष पद पर छाया कोहरा छंटे, तभी आगे की राह दिखाई देगी।
एकमात्र समाधान है प्रियंका को पार्टी अध्यक्ष बनाना। राहुल गांधी और बाग़ी नेताओं के बीच अब सुलह मुश्किल है। राहुल के दाएं और बाएं के सी वेणुगोपाल और रणदीप सुरजेवाला को कोई भी नेता स्वीकार नहीं कर रहा है!!
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